क्रान्तिकारी संगठनों ने अमर शहीद सुखदेव का जन्म दिन मनाया
शहीद सुखदेव का जन्म स्थान लुधियाना का नौघरा मोहल्ला इंकलाबी नारों से गूँजा
सैंकड़ों लोगों को इकट्ठ ने शहीद सुखदेव के सपनों का समाज बनाने के लिए जद्दोजहद जारी रखने का संकल्प लिया
बिगुल संवाददाता
शहीद सुखदेव के जन्मदिन (15 मई 201त्6) पर उनके जन्म स्थान नौघरा मोहल्ला में बिगुल मज़दूर दस्ता, लोक मोर्चा पंजाब, और इंकलाबी केन्द्र पंजाब द्वारा संयुक्त तौर पर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया गया। घण्टा घर चौंक के नज़दीक नगर निगम कार्यालय से लेकर नौघरा मोहल्ला तक पैदल मार्च किया गया। शहीद सुखदेव की यादगार पर लोगों ने फूल भेंट किये। इलाक़े में संगठनों द्वारा जारी एक पर्चा भी बाँटा गया। जगह-जगह नुक्कड़ सभाएँ की गयी। इस अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता के नेता लखविन्दर, लोक मोर्चा पंजाब के नेता कस्तूरी लाल और इंकलाबी केन्द्र पंजाब के नेता सुखदेव सिंह ने लोगों को सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि उनके लिए शहीद सुखदेव को याद करना कोई रस्मपूर्ति नहीं है। क्रान्तिकारी शहीदों की कुर्बानियाँ मानवता की लूट, दमन, अन्याय से मुक्ति चाहने वाले और इस खातिर जूझने वाले लोगों के लिए हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रही हैं। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि शहीद सुखदेव और उनके साथी सिर्फ अंग्रेज हकूमत से आजादी के लिए ही लड़ रहे थे। शहीद सुखदेव व उनके साथियों के विचारों के जितने बड़े दुश्मन अंग्रेज हाकिम थे, उतने ही बड़े दुश्मन भारतीय हाकिम भी हैं।
वक्ताओं ने कहा कि सुखदेव का यह स्पष्ट मानना था कि सिर्फ अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति से ही मेहनतकशों की जिन्दगी बेहतर नहीं हो जायेगी, कि जब तक समाज के समूचे स्रोत-संसाधनों पर मेहनतकश लोगों का कब्जा नहीं हो जाता तब तक जनता बदहाल ही रहेगी। वे समाज के स्रोत-साधनों पर चंद धन्नाढ्यों का कब्जा नहीं चाहते थे बल्कि उनकी लड़ाई तो समाजवादी व्यवस्था क़ायम करने के लिए थी। सुखदेव ने लिखा था- ”हिन्दुस्तानी सोशियलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के नाम से ही पता साफ पता चलता है कि क्रान्तिवादियों का आदर्श समाज-सत्तावादी प्रजातंत्र की स्थापना करना है।”
वक्ताओं ने कहा कि शहीद सुखदेव को धर्म, जाति, बिरादरी, क्षेत्र आदि से जोड़कर उनकी कुर्बानी के महत्व को घटाने व उनके विचारों पर्दा डालने की जाने-अनजाने में कोशिशें पहले भी होती रही हैं और आज भी हो रही हैं। लेकिन उनकी लड़ाई तो समूची मानवता को हर तरह की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक गुलामी, लूट, दमन, अन्याय से मुक्त करने की थी। इसलिए जाने-अनजाने में की जा रही ऐसी कोशिशों का डटकर विरोध करना चाहिए। मेहतनकश लोगों का ग़रीबी-बदहाली, बेरोज़गारी से छुटकारा धर्मों, जातियों, क्षेत्रों आदि के भेद मिटाकर एकजुट होकर लुटेरे हाकिमों के ख़िलाफ़ क्रान्तिकारी वर्ग संघर्ष के जरिए ही हो सकता है।
वक्ताओं ने कहा कि अमीरी-ग़रीबी की बढ़ती खायी, बेरोज़गारी, इलाज योग्य बीमारियों से भी मौतें, बाल मज़दूरी, स्त्रियों के विरुद्ध बढ़ते अपराध, गरीबों की शिक्षा से बढ़ती दूरी, वोटों के लिए लोगों को धर्म-जाति आधारित साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने की तेज़ हो रही घिनौनी साजिशें, कदम-कदम पर साधारण जनता पर बढ़ता जा रहा ज़ोर-जुल्म – यही वो आज़ादी है जिसके गुणगान देश के हाकिम पिछले 70 वर्षों से करते आएँ हैं। शहीद सुखदेव के जन्मदिन पर इंकलाबी शहीदों की सोच अपनाने व फैलाने का प्रण करने व उनके सपनों के समाज के निर्माण की ज़ोरदार तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया।
मज़दूर बिगुल, जून 2016
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