कारख़ानों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंधों के लिए मज़दूरों का डी.सी. कार्यालय पर ज़ोरदार प्रदर्शन

बिगुल संवाददाता

2016-05-13-LDH-Protest-213 मई, 2016 को बिगुल मज़दूर दस्ता, टेक्सटाईल-हौज़री कामगार यूनियन, कारख़ाना मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में लुधियाना के औद्योगिक मज़दूरों ने डी.सी. कार्यालय, लुधियाना पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। मेहरबान, लुधियाना की ज्ञानचंद डाइंग (गुलशन हौज़री) में 6 मई लगी भयानक आग के तीन मज़दूरों की मौत के कसूरवार कारख़ाना मालिक पर धारा 304 आई.पी.सी. के तहत केस दर्ज करके जेल में भेजने, मामले को रफा-दफा करने की साजिश में शामिल दोषी पुलिस अफसरों को बर्खास्त करने, कसूरवार श्रम विभाग के अफसरों पर सख़्त कार्रवाई करने, सभी कारख़ानों में हादसे रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबन्धों के लिए ज़ोरदार आवाज उठाई गयी। मज़दूरों ने कारख़ानों में पहचान पत्र, ई.एस.आई., पक्के हाजिरी कार्ड/रजिस्टर आदि सहित तमाम श्रम क़ानून लागू करने, सुरक्षा के इंतजामों की अनदेखी करने वाले कारख़ाना मालिकों पर सख़्त कार्रवाई करने, पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की माँगें भी उठाईं। डी.सी. लुधियाना के कार्यालय पर हाजरि ने होने के कारण ए.डी.सी. ने माँग पत्र लिया। मज़दूरों के दबाव के चलते ए.डी.सी. को बाहर आकर माँग पत्र लेना पड़ा। ए.डी.सी. ने मकादूरों को दोषियों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने का कोई भरोसा नहीं दिया। ए.डी.सी. का यह रवैया लुधियाना प्रशासन के मज़दूर विरोधी रवैये की एक बड़ी उदाहरण है।

2016-05-13-LDH-Protest-106 मई की रात 2 बजे बंटी झा, सतीश राऊत व भोला नाम के तीन मज़दूरों की उपरोक्त कारख़ानें में भड़की आग में झुलसने से मौत हो गयी थी। कारख़ाने के जिस कमरे में वे काम कर रहे थे वहाँ से बाहर निकलने का केवल एक ही रास्ता था जहाँ भयंकर आग लगी थी। आपातकालीन स्थिति के लिए कोई रास्ता था ही नहीं। आग लगने से रोकने व बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी।

वक्ताओं ने कहा कि लुधियाना ही नहीं बल्कि देश के सभी कारख़ानों में रोजाना भयानक हादसे होते हैं जिनमें मज़दूरों की मौते होती हैं और वे अपाहिज होते हैं। मालिकों को सिर्फ अपने मुनाफे़ की चिन्ता है। मज़दूर तो उनके के लिए सिर्फ मशीनों के पुर्जे बनकर रह गये हैं। सारे देश में पूँजीपति सुरक्षा सम्बन्धी नियम-क़ानूनों सहित तमाम श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। पूँजीपतियों, सरकार, श्रम विभाग, पुलीस-प्रशासन, गुण्डों का नापाक गठबन्धन मज़दूरों के हकों को कुचल रहा है। उन्होंने कहा कि मज़दूरों को इस लूट-खसोट, बेइंसाफी के ख़ि‍लाफ़ ज़ोरदार एकजुटता क़ायम करनी होगी। वक्ताओं ने कहा कि जबसे केन्द्र में मोदी सरकार बनी है तब से मज़दूरों की हालत और भी बदतर हो गयी है। मोदी सरकार इससे पहली सरकारों से भी अधिक तेज़ी व सख़्ती से मज़दूरों के अधिकारों को कुचल रही है। मज़दूरों को श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाने की पूरी छूट मिल चुकी है जिसके कारण औद्योगिक हादसों में काफी वृद्धि हो रही है।

कारख़ाना मज़दूर यूनियन की ओर से लखविन्दर, टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन की तरफ से घनश्याम, बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से विश्वनाथ, नौजवान भारत सभा की बलजीत के अलावा मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के नेता हरजिन्दर सिंह व विजय नारायल, लोक मोर्चा पंजाब के नेता कस्तूरी लाल, इंकलाबी केन्द्र पंजाब के नेता जसवंत जीरख आदि ने सम्बोधित किया।

मज़दूर बिगुल, जून 2016


 

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