17 फरवरी को भारतीय पूंजीपतियों के राष्ट्रीय संगठन सी.आई.आई. की मीटिंग में केजरीवाल ने असल बात कह ही दी। उसने कहा कि उसकी पार्टी पूंजीपतियों को बिजनेस करने के लिए बेहतर माहौल बनाकर देगी। विभिन्न विभागों के इंस्पेक्टरों द्वारा चेकिंग करके मालिकों को तंग किया जा रहा है, यह इंस्पेक्टर राज खत्म कर दिया जाएगा। उसने तो यह भी कहा कि पूंजीपति तो 24-24 घंटे सख्त मेहनत करते हैं और ईमानदार हैं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी और नेता उन्हें तंग-परेशान करते हैं। पूंजीपतियों की ईमानदारी के बारे में तो सभी मजदूर जानते ही हैं कि वे कितनी ईमानदारी के साथ मजदूरों को तनख्वाहें और पीसरेट देते हैं और कितने श्रम कानून लागू करते हैं। बाकी रही बात श्रम विभाग, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स आदि विभागों द्वारा चेकिंग की, तो अगर कोई चोर नहीं है, तो उसे अपने हिसाब-किताब की जांच करवाने में क्या आपत्ति है। रोजाना अखबारों में खबरें छपती हैं कि पूंजीपति बिना बिल के सामान बेचते हैं और टैक्स चोरी करके सरकारी खजाने को चूना लगाते हैं। कारखानों द्वारा बिजली चोरी की खबरें भी अखबारों में पढ़ने को मिलती हैं। सोचा जा सकता है कि केजरीवाल के ”ईमानदार” पूंजीपति कितने पाक-साफ हैं। उसने यह भी कहा कि सरकार का काम सिर्फ व्यवस्था देखना है, बिजनेस करना तो पूंजीपतियों का काम होना चाहिए यानी रेलें, बसें, स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी आदि से संबंधित सारे सरकारी विभाग पूंजीपतियों के हाथों में होने चाहिए। जैसाकि अब हो भी रहा है, जिन विभागों में पूंजीपतियों ने हाथ डाला है, ठेके पर भर्ती करके मजदूरों की मेहनत को लूटा है और कीमतें बढ़ाकर आम जनता की जेबों पर डाके ही डाले हैं। तेल-गैस और बिजली के दाम बढ़ना इसी के उदाहरण हैं।