यहाँ मज़दूर की मेहनत की लूट के साथ ही उसकी आत्मा को भी कुचल दिया जाता है
अगर यहाँ मज़दूरों को कारख़ाना परिसर में दी जाने वाली सुविधाओं की बात करें, तो वे हमारे साथ मज़ाक करती सी लगती हैं। यहाँ हम औरतों की संख्या कोई दो-ढाई हज़ार के आस-पास है। लेकिन शौचालय हैं सिर्फ दो, जिनमें चार-चार टॉयलेट हैं यानि कुल आठ टॉयलेट इतनी औरतों के लिए हैं। इनमें से चार में पानी नहीं आता। इनमें नल को स्थाई रूप से बन्द कर दिया गया है। ये आठों टॉयलेट इतने गन्दे होते हैं कि सड़ाँध मार रहे होते हैं। दोनों शौचालयों के लिए सिर्फ एक-एक टयूब लाइट लगी है। सीलन का साम्राज्य तो, छत, दीवारों को पार करके फर्श तक फैला है। फर्श पर कीचड़ ही कीचड़ होता है। इन कीचड़ भरे, सड़ाँध मारते, सीलन भरे अँधेरे शौचालयों से हम औरतें क्या-क्या बीमारियाँ अपने शरीरों में पाल रही हैं — हमें ख़ुद नहीं पता।














