आपस की बात
संघर्ष ईमानदार-बहादुराना होगा तो समाज के अन्य तबके भी मज़दूरों का साथ देंगे
ताजिन्दर, एक मज़दूर, लुधियाना
बिगुल में गोरखपुर मज़दूर गोली काण्ड के बारे में विस्तार से पढ़ा। यह गोलीकांड यही ज़ाहिर कर रहा है कि देश का पूँजीपति वर्ग कितना बौखलाया हुआ है। मज़दूरों पर गोली चलवाना, बेगुनाहों को जेलों में ठूँसना, उन पर मुकदमे दर्ज करवाना यही साबित करता है कि पूँजीपति, प्रशासन और सरकार सब आपस में मिले हुए हैं।
बहादुराना संघर्ष लड़ने वाले मज़दूरों के समर्थन में जिस तरह देश के अलग-अलग हिस्सों से तथा अन्य देशों से मज़दूर संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा बुद्धिजीवियों ने समर्थन किया, प्रशासन के खिलाफ़ मुखर हुए उससे यह साबित होता है कि हक और इंसाफ़ की लड़ाई ईमानदारी और बहादुरी से लड़ने वालों के साथ देश-दुनिया के सभी इंसाफ़पसंद लोग होते हैं। अपनी लड़ाई के लिए एक बार तो मज़दूरों को खुद आगे आना ही होगा। जब संघर्ष ईमानदार और बहादुराना होगा तभी दूसरे लोग उनका साथ देंगे।
गोरखपुर गोलीकांड इस बात की गवाही देता है कि माँगपत्रक आन्दोलन की पहली ही रैली ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। पूँजीपति समझ रहे हैं कि मज़दूरों के एक ऐतिहासिक संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है। इसीलिए वह इस संघर्ष को कुचल देना चाहते हैं। मज़दूर वर्ग को एक होकर मुकाबला करना होगा। हमें उनसे टक्कर लेनी होगी जो हमें इंसान नहीं समझते।
मज़दूर बिगुल, जूलाई 2011
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन