मज़दूर एकता ज़िन्दाबाद!
कारख़ाना मज़दूर यूनियन के आने से पावरलूम कारीगरों में कुछ हिम्मत और एकता बनी। 24 अगस्त से 31 अगस्त तक शक्तिनगर के कारख़ानों और 16 सितम्बर से 30 सितम्बर तक गौशाला, कश्मीर नगर, माधेफरी के पावरलूम कारख़ानों में मज़दूरों ने शानदार हड़तालें लड़ी हैं। इस दौरान काम तेज़ी पर था। मज़दूरों का पलड़ा इस वजह से भी भारी था लेकिन यह मज़दूरों की एकता ही थी जिसने उन्हें जिताया। मालिक पहले तो झुकने को तैयार ही नहीं हो रहे थे लेकिन 18 वर्षों से खीझे मज़दूरों ने प्रण कर लिया था कि बेशक अन्य कोई काम पकड़ना पड़े, लेकिन हार करके इन मालिकों के पास वापस नहीं जाना है। आखि़रकार मालिकों को मज़दूरों के आगे झुकना ही पड़ा और मज़दूरों के साथ लिखित समझौता करके पीस रेट बढ़ाना पड़ा। शक्तिनगर के मज़दूरों के संघर्ष की जीत की ख़बर ने अन्य इलाक़ों के मज़दूरों को भी जगाया और उन्हें भी हड़ताल के लिए प्रेरित किया। इस संघर्ष ने हमें सिखाया कि एकजुटता में इतनी ताक़त होती है कि नामुमक़िन काम मुमक़िन हो जाते हैं। हमने सीखा कि सीटू जैसे दलालों से दूर रहो, और क्रान्तिकारी यूनियन बनाओ।