पिछले कई वर्षों से मैं मज़दूर बिगुल पढ़ रहा हूँ। और भी बहुत सारे मज़दूर यह अख़बार पढ़ते हैं। मज़दूरों में यह चेतना आयी है कि इन मालिकों को अगर झुकाना है को एक अपना संगठन बनाना पड़ेगा। हम मज़दूरों ने इस बात को समझकर सन 2010 में टेक्सटाइल मज़दूर यूनियन का गठन किया। न्यू शक्तिनगर, गौशाला, माधोपुरी, कशमीर नगर, टिब्बा रोड, गीता नगर, महावीर कालोनी, हीरा नगर, मोतीनगर, कृपाल नगर, सैनिक कालोनी, भगतसिंह नगर, और मेहरबान के हम मज़दूरों ने आवाज़ उठायी और एक न्यायपूर्ण संघर्ष लड़ा और जीता भी। पिछले करीब 20 वर्षों से हम मज़दूरों को मालिकों की मर्ज़ी से काम करना पड़ता था और मालिक जब चाहे काम पर रखते थे और जब मर्ज़ी आये तो काम से निकाल देते थे। गाली-गलौज और मार-पीट आम बात थी। अब एकता बनाकर हम मज़दूर मालिकों के सामने अपने हक़ की बात सर ऊँचा उठाकर करते हैं। अगर हम पूरे देश और पूरी दुनिया के मज़दूर मिलकर एक हो जाएँ तो देश-दुनिया के सारे मालिकों को झुका सकते हैं।