“मई दिवस बन जाये हर दिन साल का, यह सोच कर तैयारियाँ करने लगें हम फिर”
इंक़लाबी जोश-ओ-ख़रोश के साथ मज़दूरों ने दी शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि
‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ और ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ (आरडब्ल्यूपीआई) के संयुक्त तत्वावधान में बरगदवाँ औद्योगिक इलाक़े में अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर सभा का आयोजन किया गया। सभा के दौरान नुक्कड़ नाटक ‘मशीन’ तथा क्रान्तिकारी गीतों – ‘हल्ला बोल’, ‘हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा माँगेंगे’, ‘ग़र थाली आपकी ख़ाली है’ आदि की प्रस्तुति की गयी। सभा के बाद फ़र्टिलाइज़र स्थित शिव मन्दिर से बरगदवाँ औद्योगिक इलाक़े से होते हुए वी.एन. डायर्स कपड़ा मिल तक जुलूस निकाला गया। प्रसेन ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस ‘8 घण्टे काम, 8 घण्टे आराम, 8 घण्टे मनोरंजन’ के आन्दोलन से पैदा हुआ। 8 घण्टे के कार्यदिवस के आन्दोलन में मज़दूरों ने धर्म, नस्ल, क्षेत्र आदि का भेद मिटाकर अपनी वर्गीय एकता क़ायम की और शिकागो की लगभग 11000 फ़ैक्टरियों में मज़दूरों ने एक साथ हड़ताल की। मज़दूर वर्ग का ऐतिहासिक मिशन पूँजीवादी राज्यस्ता का ध्वंस करके मज़दूर राज की स्थापना करना है। आज भारत समेत पूरी दुनिया में मज़दूरों को अपने बीच से नेतृत्व पैदा करना होगा। मज़दूर वर्ग को पूँजीवादी शोषण तन्त्र की गहरी समझ हासिल करनी होगी व इलाक़ा आधारित और पेशागत यूनियन, अध्ययन मण्डल, पुस्तकालय, मोहल्ला कमेटियाँ आदि संस्थाएँ बनानी होंगी।
बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से अम्बेडकरनगर के अराजी देवारा (हंसू का पुरवा) गाँव में मई दिवस की पूर्व सन्ध्या पर सभा का आयोजन किया गया। सभा में विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की गयी तथा नुक्कड़ नाटक ‘मशीन’ का मंचन किया गया। बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से ग्रामीण मज़दूर यूनियन के निर्माण की पहल इसी दिशा में एक शुरुआती क़दम है।
साबितपुर गाँव में मई दिवस का कार्यक्रम किया गया। साबितपुर की ज़्यादातर आबादी दिहाड़ी या भट्ठा मज़दूर हैं। यह आबादी इस पूँजीवादी व्यवस्था के नर्क से परिचित तो है लेकिन राजनीतिक जागरूकता के अभाव में इन मज़दूरों का कोई संगठित संघर्ष नहीं है।
मुबारक़पुर पिकार गाँव में नुक्कड़ सभा व पर्चा वितरण का कार्यक्रम किया गया। सभा में कहा गया कि आज भी 12-16 घण्टे तक हड्डी गलाने के लिए मज़दूर बाध्य हैं। इस मामले में ग्रामीण मज़दूरों की हालत तो और भी बदतर है क्योंकि यहाँ कोई श्रम क़ानून ही नहीं है। अम्बेडकर नगर जि़ले में हज़ारों ईंट भट्ठे हैं। इन ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मज़दूरों की हालत का अन्दाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि रात के 3:00 बजे से मज़दूर और उसका परिवार काम में लग जाता है और दोपहर में खाने व आराम के डेढ़ से 2 घण्टे छोड़ कर रात के 8-9 बजे तक काम करते हैं।
लुधियाना में कारख़ाना मज़दूर यूनियन व टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन द्वारा मज़दूर दिवस सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें बिगुल मज़दूर दस्ता व नौजवान भारत सभा ने भी सहयोग दिया। “मई दिवस के शहीद अमर रहे”, “दुनिया के मज़दूरों एक हो” , “इन्क़लाब जि़न्दाबाद” आदि गगनभेदी नारों के साथ सम्मेलन का आरम्भ हुआ। संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा क्रान्तिकारी लाल झण्डा फहराकर शिकागो के शहीदों को सलामी दी गयी। शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद क्रान्तिकारी सांस्कृतिक मंच, दस्तक ने क्रान्तिकारी गीतों के ज़रिये शहीदों की राह पर चलने का सन्देश दिया। वक्ताओं ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस कोई रस्म अदायगी का त्यौहार न होकर मज़दूरों के न्यायपूर्ण संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का दिन है। इसी रूप में ही शिकागो के शहीदों को सच्ची श्रदांजलि दी जा सकती है।
टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के राजविन्दर ने कहा कि आज मज़दूरों की संगठित ताक़त न होने के चलते आठ घण्टे दिहाड़ी के क़ानूनी अधिकार सहित बहुतेरे क़ानूनी अधिकार लागू नहीं हो रहे। मज़दूरों को अपनी क्रान्तिकारी विरासत से सीखना होगा और संगठित ताक़त के दम पर अपने अधिकार हासिल करने के लिए आगे आना चाहिए। कारख़ाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर ने कहा कि यह झूठ कि पूँजीवादी व्यवस्था में वोटों के ज़रिये जि़न्दगी बेहतर बन सकती है, आज काफ़ी हद तक जनता के सामने नंगा हो चुका है। यह साबित हो चुका है कि पूँजीवादी व्यवस्था में जनतन्त्र नाम की कोई चीज़ नहीं होती, बल्कि हर जगह पूँजी का ही ज़ोर चलता है। उन्होंने कहा कि मई दिवस का इतिहास गवाह है कि मज़दूर एकजुट होकर ही पूँजी की ताक़त का मुक़ाबला कर सकते हैं।
दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र के मेट्रो विहार फेज़ 1 में चुनावी सभा रखी गयी। RWPI के सनी ने कहा कि मई दिवस का दिन मज़दूर वर्ग की राजनीतिक चेतना में छलाँग लगाने का दिन है और शिकागो के महान नायकों और लड़ाका मज़दूरों से सीखने का दिन है जिन्होंने काम के घण्टे आठ करने की माँग को हर मज़दूर तक पहुँचा दिया। मई दिवस यह घोषणा करने का दिन है कि मज़दूर भी इन्सान हैं और उजरत की ग़ुलामी उन्हें एक दिन भी स्वीकार नहीं। हालाँकि आज हमारी माँग काम के घण्टे 6 की होनी चाहिए, क्योंकि शिकागो में उठ खड़े उस आन्दोलन के बाद आज उत्पादकता बेहद बढ़ी है परन्तु वेतन नहीं बढ़ा है बल्कि पहले के मुक़ाबले घट गया है।
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1 मई मज़दूर दिवस के अवसर पर भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी और बिगुल मज़दूर दस्ता ने हरियाणा के चौशाला गाँव में मुख्य चौपाल में कार्यक्रम करते हुए जनता को मई दिवस के इतिहास और मज़दूरों के संघर्षों से अवगत कराया।
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भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी और बिगुल मज़दूर दस्ता की तरफ़ से मई दिवस के अवसर पर मुम्बई के मानखुर्द मज़दूर चौक, साठे नगर, लल्लू भाई कम्पाउण्ड और पीएमजीपी कॉलोनी में ‘मशीन’ नाटक का मंचन और क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की गयी। साथ ही जनता को मई दिवस के इतिहास से परिचित कराया गया और व्यापक पर्चा वितरण किया गया।
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मई दिवस की सुबह बिगुल मज़दूर दस्ता की लखनऊ टीम ने आईटी चौराहे से ऐशबाग स्थित तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र तक साइकिल व बाइक रैली निकाली और तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र में कारख़ानों के सामने मज़दूरों की सभाएँ कीं, पर्चा वितरण किया तथा क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किया।
फ़ैक्टरी इलाक़े में फ़ैक्टरियों के बाहर सभाएँ करते हुए बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं ने कहा कि मई दिवस पूरी दुनिया में मज़दूरों के संघर्षों के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में यह अफ़सोस की बात है कि आज के दिन भी तालकटोरा में रोज़ की तरह मज़दूर गाय-गोरू की तरह खट रहे हैं। ऐसा इसलिए मुमकिन हो पाता है क्योंकि मज़दूर आपस में बँटे हुए हैं और उनमें कोई एकजुटता नहीं है। शाम को लखनऊ के खदरा इलाक़े में मई दिवस की रैली निकाली गयी, और जनसभाएँ की गयीं।
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हरिद्वार के रौशनाबाद में बिगुल मज़दूर दस्ता और नौजवान भारत सभा द्वारा नुक्कड़ सभा, पर्चा वितरण, फि़ल्म स्क्रीनिंग और पोस्टरिंग का कार्यक्रम किया गया। नुक्कड़ सभा में बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि मई दिवस पूरी दुनिया के मज़दूरों की वर्गीय एकजुटता और उनके राजनीतिक संघर्षों व आन्दोलनों का प्रतीक दिवस है। यह मज़दूरों के गरिमामय जीवन,स्वाभिमान और वर्गीय राजनीतिक चेतना को अभिव्यक्त करने वाला त्योहार है, जिसे दुनियाभर के मज़दूर बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस अवसर पर मई दिवस की विरासत पर बनी फ़िल्म ‘अभी लड़ाई जारी है’ और चार्ली चैपलिन की फ़िल्म ‘द मॉडर्न टाइम्स’ दिखायी गयी।
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन