दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन हुई पंजीकृत
पूरे इलाक़े में मज़दूर हुंकार रैली निकाली गयी
बिगुल संवाददाता
गत 7 ज़नवरी को वज़ीरपुर औद्योगिक इलाक़े में यूनियन पंजीकृत होने के मौक़े पर मज़दूर हुंकार रैली निकाली गयी जिसमें करीब हज़ार मज़दूरों ने भागीदारी कर अपनी एकजुटता का परिचय दिया। गरम रोला के मज़दूरों की हड़ताल से जन्मी यह यूनियन आज पूरी स्टील लाइन के मज़दूरों की यूनियन बन चुकी है। गरम रोला के आन्दोलन में 27 अगस्त की आम सभा में यह तय हुआ था कि ऐसी यूनियन बनानी होगी जो स्टील उद्योग के सभी तरह के काम करने वाले मज़दूरों का प्रतिनिधित्व करे। दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन ऐसी ही यूनियन के रूप में उभरकर सामने आयी। आज इसके सदस्य गरम रोला, ठण्डा रोला, तेज़ाब, तपाई, तैयारी, रिक्शा, पोलिश आदि यानी हर तरह के मज़दूर साथी हैं तथा सदस्यता संख्या में लगातार विस्तार हो रहा है।
और आज तमाम दल्ला ठेकेदारों व मालिकों की लाख कोशिशों के बावजूद गत 24 दिसम्बर को श्रम विभाग नीमड़ी कॉलोनी में यूनियन का पंजीकरण हो गया (पंजीकरण नम्बर F-10/DTRU/NWD/37/14) और इसी मौक़े पर पूरे इलाक़े में रैली निकाली गयी, उसके साथ ही सामूहिक भोजन का आयोजन भी किया गया। सभा राजा पार्क में ही की गयी जिसमें यूनियन के कमिटी सदस्यों ने सभा को सम्बोधित किया।
सभा को सम्बोधित करते हुए यूनियन कमिटी के सदस्य सनी ने अपनी बात में कहा कि वैसे तो मज़दूरों की असली ताक़त सड़क पर ही दिखती है, लेकिन यूनियन का पंजीकरण होने के बाद मज़दूरों के पास श्रम क़ानून तथा विभिन्न मामलों में प्रतिनिधित्व देने वाली अपनी एक ताक़त होगी। मज़दूर तरह-तरह के दल्लों के चक्कर में फँसने की बजाय यूनियन के माध्यम से निःशुल्क किसी भी तरह की क़ानूनी मदद ले सकेंगे और अपने केस लगा सकेंगे। यूनियन कमिटी सदस्य बाबूराम ने कहा कि यूनियन ने किस्म-किस्म के उन दलालों और 20 प्रतिशत खाने वाले धन्धेबाज़ों का पदाफ़ार्श भी किया है, जिन्होंने मज़दूरों का नाम लेकर उनकी ख़ून-पसीने की मेहनत को लूटने को ही अपना पेशा बना रखा था। ‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे’ को चरितार्थ करते हुए इन दलालों और मालिकों के तलवे चाटने वालों ने अपना लाख दम लगाया, लेकिन ये हमारी यूनियन का पंजीकरण नहीं रोक पाये। यूनियन की क़ानूनी सलाहकार शिवानी ने बताया कि यूनियन का पंजीकरण अपने-आपमें ही इन दलालों के मुँह पर एक करारा तमाचा है। यूनियन को कमज़ोर करने की इनकी कोशिशें अब भी जारी हैं। ये दल्ले और इनके आका अब यह बात उड़ा रहे हैं कि यूनियन की वजह से ही इलाक़े में चीन का माल आ रहा है! उन्होंने आगे कहा कि “इनसे पूछा जाना चाहिए कि बिजली का सामान, मोबाइल फ़ोन, खिलौने और बहुत सा सामान भी तो चीन का आ रहा है, क्या वहाँ भी यूनियन हड़ताल करने गयी थी? और क्या यूनियन बनने से बहुत पहले स्टील उद्योग में ही चीन का माल नहीं आ रहा था? असल में विदेशी माल के आने का कारण मालिकों के ही चहेते मोदी की लुटेरी नीतियाँ हैं, जो देश को लूट की चरागाह बनाने पर आमादा है। यदि इस्पात उद्योग के मज़दूर अपनी एकता को बढ़ाते रहे, उसे मज़बूत करते रहे तो हमारी एकता के सामने लूटेरा वर्ग आगे भी मुँह की खाने वाला है।”
इसके अलावा करावल नगर मज़दूर यूनियन, ऑटो मज़दूर संघर्ष समिति, नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रतिनिधियों ने भी आयोजन में शिरकत की। विहान सांस्कृतिक टोली के सदस्यों ने क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की। यूनियन की तरफ़ से मज़दूरों के पहचान कार्ड भी जारी हुए, तथा 300 के क़रीब मज़दूरों ने यूनियन की नयी सदस्यता ली।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2015
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