सभी इंसाफ़पसन्द नागरिकों और मज़दूरों के नाम एक अपील
मज़दूरों के बहादुराना संघर्ष को आपकी ज़रूरत है!
साथियो!
शायद आपको पता हो कि दिल्ली के बीचों-बीच वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में गरम रोला पर काम करने वाले इस्पात मज़दूर पिछले 15 दिनों से ‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में हड़ताल पर हैं। ये मज़दूर भयंकर ख़तरनाक स्थितियों में काम करते हैं और पिछले लम्बे समय से न्यूनतम मज़दूरी, ईएसआई, पीएफ़ आदि जैसे अपने कानूनी हक़ों की माँग कर रहे हैं। इन मज़दूरों की ज़बर्दस्त साहसिक हड़ताल के कारण वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के गरम रोला कारखाने ठप पड़े हैं। श्रम विभाग इन कारखानों में श्रम कानूनों के उल्लंघन से लम्बे समय से वाक़िफ़ रहा है, लेकिन इस हड़ताल के बाद पड़े दबाव के बाद ही वह कुछ हरक़त में आया है।
इस हड़ताल को तोड़ने के लिए कारखाना मालिकों ने पहले नेतृत्व के मज़दूरों पर झूठे केस दर्ज़ कर उन्हें गिरफ्तार करवाने की कोशिश की। जब वे उसमें सफल नहीं हो पाये तो फिर उन्होंने तमाम किस्म के दलालों, ठेकेदारों, छुटभैये नेताओं, और ग़द्दार ट्रेड यूनियनों द्वारा अफ़वाहें फैलाकर हड़ताल को तोड़ने का प्रयास किया। और उसमें भी मुँह की खाने के बाद अब वे इस हड़ताल को तोड़ने के लिए अपने सबसे बड़े हथियार का सहारा ले रहे हैं-भूख! वे मज़दूरों को भूख से तोड़ना चाहते हैं। लेकिन ये इस्पात मज़दूर डटे हुए हैं; आधा पेट खाकर भी लड़ रहे हैं, ताकि उनके जायज़, कानूनी और संवैधानिक हक़ उन्हें मिल सकें। क्या वे कुछ ग़लत माँग रहे हैं? नहीं! वे तो बस अपने कानून-प्रदत्त अधिकार माँग रहे हैं और इसके लिए आधे पेट भी लड़ रहे हैं। कई मज़दूरों के घर खाने का भयंकर संकट पैदा हो चुका है। इस समस्या से निपटने के लिए ‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ शनिवार (21 जून) से सामुदायिक रसोई की शुरुआत कर रही है। हम किसी भी हालत में हड़ताल को टूटने नहीं देंगे।
ऐसे में, हम सभी इंसाप़फ़पसन्द नागरिकों, शिक्षकों, जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और मज़दूर साथियों से अपील करेंगे कि हड़ताल को जारी रखने के लिए अधिकतम सम्भव धनराशि, राशन, मिट्टी का तेल, आदि सहयोग स्वरूप दें। सभी जनपक्षधर लोगों की राजनीतिक एकजुटता के ज़रिये ही यह लड़ाई लड़ी जा सकती है। हम उम्मीद करते हैं ऐसे लोगों की इस देश में कमी नहीं है।
क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ,
आपके सहयोग के इन्तज़ार में,
रघुराज, सनी
(सदस्य, लीडिंग कोर)
गरम रोला मज़दूर एकता समिति
किसी भी प्रकार का सहयोग देने के लिए इन फोन नम्बरों पर फोन करेंः
रघुराज – 9211532753, सनी – 9873358124
धनराशि आप निम्न अकाउण्ट में भी भेज सकते हैं:
खाताधारक – मनोज कुमार,
खाता सं- – 32732928188,
IFSC सं- – SBIN0011358
शाखा – शालीमार बाग, दिल्ली
पुनश्चः आन्दोलन से जुड़ी सूचनाओं, खबरों और रिपोर्टों के लिए आप निम्न ब्लॉग चेक कर सकते हैं :
http://garamrolla.blogspot.in/
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन