“हिन्दू जोड़ो यात्रा” के अगुवा बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री के नाम एक सरोकारी हिन्दू का खुला पत्र
श्रीमान धीरेन्द्र शास्त्री, मीडिया के हवाले से ख़बर मिली कि आप अपने क्षेत्र में “हिन्दू जोड़ो पदयात्रा” निकाल रहे हैं! भगवामय इस यात्रा द्वारा आपने “हिन्दू एकता” का आह्वान किया है। आपकी इस पहल के लिए मेरे पास कुछ ठोस सुझाव हैं। सुझाव क्या, कहिए तो सही मायने में यही ‘हिन्दू एकता’ का रास्ता है। इससे हिन्दुओं को बाँटने वाली ताक़त का ख़ात्मा हो जायेगा। करोड़ों-करोड़ हिन्दू आबादी हर रोज़ जिस ख़तरे का सामना करती है, उससे लोहा लेना ही होगा, तभी तो सही मायनों में “हिन्दू एकता” स्थापित हो सकती है!
सबसे पहले सबसे ज़रूरी सुझाव
हमने देखा है कि एक हिन्दू जो पैसे वाला है, कारख़ाना-मालिक है, पूँजीपति है, धनी व्यापारी है और दूसरा हिन्दू जो मज़दूर, मेहनतकश है, ग़रीब है, उनके बीच बहुत भारी अन्तर है। पहले वाला हिन्दू दूसरे वाले को न्यूनतम मज़दूरी नहीं देता, 8 घण्टेे के काम के दिन का अधिकार नहीं देता, उनके बोनस व अन्य लाभ चोरी कर-करके अपनी तिजोरी भर रहा है, जबकि दूसरा ग़रीब मेहनतकश मज़दूर हिन्दू उसके शोषण के जुए के नीचे पिस रहा है, जबकि अमीर मालिक-सेठ-व्यापारी हिन्दुओं की समस्त समृद्धि की बुनियाद में तो इस ग़रीब मेहनतकश हिन्दू की मेहनत और ख़ून-पसीना है! इन दोनों हिन्दुओं में एकता एक ही तरह से स्थापित हो सकती है: सारे हिन्दुओं को मेहनत-मशक़्क़त और शारीरिक श्रम करना चाहिए जिससे कि समाज की समूची सम्पदा पैदा होती है। अगर कुछ हिन्दू मालिक बने रहें और कुछ उनके मज़दूर, तो “हिन्दू एकता” कैसे स्थापित होगी?
शास्त्री जी इतने समझदार हैं, उनके पास तो ज्ञान की गंगोत्री है, तो वे सारे अमीर, मालिक, सेठ, व्यापारी, ठेकेदार हिन्दुओं को यह सन्देश क्यों नहीं देते कि सबसे पहले तो मज़दूरों के सारे क़ानूनी अधिकार उनको दें और सारे श्रम क़ानून लागू करें। और वैसे तो उन्हें कल-कारख़ानों, खेतों-खलिहानों, और खानों-खदानों पर सारे हिन्दुओं के सामूहिक मालिकाने का आह्वान करना चाहिए और कहना चाहिए कि जो मेहनत करे, वही रोटी खाये! अगर ऐसा हो जाये, तो शास्त्री जी भी समझते होंगे, कि “हिन्दू एकता” का उनका महान सपना पूरा हो जायेगा।
कल कारख़ानों, खानों-खदानों का मालिकाना कुछ हिन्दुओं के पास है, अम्बानी, अडानी जी जैसों के पास, और हिन्दुओं का एक बड़ा हिस्सा है, जो कारख़ानों में मजूरी करता है और बमुश्किल परिवार पाल पाता है, ज़्यादातर समय बेरोज़गार घूमता है, चप्पल फटकारता है, हालात बुरे हों तो जान तक देने पर मजबूर होता है! ऐसी स्थिति बनी रहेगी, तो भला “हिन्दू एकता” कैसे स्थापित होगी? एक हिन्दू दूसरे हिन्दू को लूटेगा, उसका शोषण करेगा, उसकी मेहनत की कमाई निगल जायेगा, अधिकार माँगने पर उसे गुण्डों और पुलिस से पिटवायेगा, उसका अपमान करेगा, तो फिर “हिन्दू एकता” कैसे स्थापित होगी?
हमें इस मामल में भी हिन्दुओं की एकता स्थापित करने की ज़रूरत है, असल में कहिए तो, सबसे पहले यहीं स्थापित करने की ज़रूरत है। एक हिन्दू मालिक और बहुत से हिन्दू आधुनिक दास हों, आखिर कैसे हिन्दुओं के बीच इस अन्तर को एक सच्चा हिन्दू बर्दाश्त करे!? इसलिए सब कल-कारख़ानों, खानों-खदानों, खेतों-खलिहानों का मालिकाना कुछेक हिन्दुओं के हाथों से लेकर 80 करोड़ हिन्दुओं के हाथों में दे देना होगा! तब होगी सही अर्थों में हिन्दुओं की एकता और तब होगा धीरेन्द्र शास्त्री जी का सपना पूरा!
जैसा कि हमने कहा, इसकी शुरुआत करते हुए सबसे पहले सभी हिन्दू मालिकों-ठेकेदारों को हिन्दू मज़दूरों के लिए न्यूनतम वेतन लागू कर, ठेका प्रथा का ख़ात्मा कर, पक्का रोज़गार देकर, आठ घण्टे काम व अन्य श्रम क़ानूनों को लागू कर एक सुन्दर और पावन धार्मिक पहल करनी चाहिए! अगर शास्त्री जी अपने हज़ारों-लाखों मालिक व ठेकेदार हिन्दू भक्तों को यह आदेश दे दें, तो क्या भला वे इस आदेश को टाल पायेंगे? नहीं!
तो अगर शास्त्री जी चाहें तो “हिन्दू् एकता” स्थांपित करने के लिए अपनी यात्रा को सभी औद्योगिक इलाकों व पूँजीपतियों के रिहायशी इलाकों से गुज़ारकर सभी मालिकों, ठेकेदारों, व्यानपारियों को यह प्रवचन दे सकते हैं और अपने भक्त मालिकों-ठेकेदारों को तो वे आदेश भी दे सकते हैं!
हर रोज़ हज़ारों हज़ार की संख्या में हमारे हिन्दू बच्चे इलाज़ के अभाव, ग़रीबी, बीमारी के कारण मारे जाते हैं। गाँव-देहातों से लेकर शहर के झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में रहने वाले अपने हिन्दू भाइयों-बहनों तक इलाज़ की पहुँच नहीं है। अब समय आ गया है, हिन्दुओं की स्वस्थ एकता यानी “स्वस्थ हिन्दू एकता” हासिल करने का! इसलिए अब से सभी हिन्दू लोगों का इलाज हिन्दू मालिकों के अस्पतालों में मुफ़्त किया जाये! अगर सारे हिन्दू अस्पताल मालिक धीरेन्द्र शास्त्री जी महाराज के आदेश पर यह कदम उठा दें, तो हिन्दू भाइयो-बहनो, ज़रा सोचिए, क्या चट्टानी “हिन्दू एकता” स्थापित होगी!
“हिन्दू एकता” बनाने के लिए एक और महत्वतपूर्ण कदम उठाना होगा! हिन्दुओं के बच्चे ही तो “हिन्दू राष्ट्र” को विश्वगुरु बनायेंगे! इसके लिए हिन्दू मालिकाने वाले तमाम निजी स्कूलों में हिन्दू बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दी जाये, यह आह्वान श्री धीरेन्द्र शास्त्री को करना चाहिए। बच्चों की शिक्षा में हर प्रकार के अन्तर को ख़त्म कर सभी हिन्दू बच्चों के लिए, चाहे वह राष्ट्रपति की सन्तान हो या किसी सन्तरी की, सबको एक समान मुफ़्त शिक्षा दी जाये, और “हिन्दू एकता” की नींव बचपन से ही मज़बूत की जाये!
हिन्दुओं की काफ़ी ताक़त सड़कों पर बरबाद हो रही है! कई करोड़ हिन्दू फ़ुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर हैं! उनके पास अपना कोई घर नहीं है! हमें “हिन्दू एकता” स्थापित करनी है, इसलिए इन सभी हिन्दुओं को अपने साथ लेना होगा! इसके लिए आलीशान कोठियों, बंगलों, बड़े-बड़े होटलों, सरायों, जागीरों के हिन्दू मालिक, व्यापक “हिन्दू एकजुटता” स्थापित करने के लिए, अपने हिन्दू भाइयों-बहनों के लिए, अपने बंगलों, कोठियों, होटलों के दरवाज़े खोल दें, और उनकी रिहायश का इन्तज़ाम करें! उनको ख़ुद रहने के लिए 3-4 कमरे ही तो चाहिए! बड़ा संयुक्त परिवार हो तो 6-7! लेकिन उसके बाद भी उनके बंगलों और फार्म हाउसों में कमरों और जगह की भरमार है। सारे हिन्दू बिल्डरों को अपने ख़ाली पड़े लाखों फ़्लैट ग़रीब मेहनतकश हिन्दू आबादी में बाँट देने चाहिए! ज़रा सोचिए, शास्त्री जी! अगर हिन्दुओं के बीच बेघरी ख़त्म हो जाये, तो कैसी अभूतपूर्व “हिन्दू एकता” क़ायम हो सकती है!
सभी हिन्दू नेताओं-नौकरशाहों के बच्चे जो विदेशों में शिक्षा या नौकरी कर रहे हैं, उनको तत्काल वापस बुलाया जाये! उनकी पढ़ाई “हिन्दू राष्ट्र” के गुरुकुलों में होगी, तभी तो शक्तिवान होगा “हिन्दू राष्ट्र” और “हिन्दू एकता”!
“रामराज्य” में मर्यादा और धार्मिक उत्थान को आगे बढ़ाने और गन्दे-गन्दे विचारों के आगमन को रोकने के लिए हिन्दू पुरुषों व स्त्रियों के लिए धोती-कुर्ता व साड़ी अनिवार्य कर दी जाये! देश के सभी देशी-विदेशी कारख़ाने, जो पाश्चात्य शैली के वस्त्रों का निर्माण करते हैं, उनपर तत्काल ही ताला लटका दिया जाये! बल्कि ऐसे कारख़ानों के मालिक अगर हिन्दू हों, तो उन्हें ख़ुद खादी उद्योग में लग जाना चाहिए और पाश्चात्य वस्त्रों, जूतों आदि के कारख़ानों की जगह खड़ाऊँ और धोती आदि के कारख़ाने लगा लेने चाहिए! अगर शास्त्री जी यह बात मालिक हिन्दु़ओं को समझा दें, तो कोई शक्ति “हिन्दू एकता” के बनने में आड़े नहीं आ सकती!
“हिन्दू जोड़ो यात्रा” में सबसे पहले जात-पाँत को पूरी तरह से ख़त्म किया जाये। अगर हिन्दू एक है, तो फिर विभिन्न जातियाँ क्यों? “हिन्दू एकता” की पहली शर्त है, हिन्दुओं के जातिगत बँटवारे, ऊँच-नीच, छुआ-छूत, आदि का ख़ात्मा! इसके लिए धीरेन्द्र शास्त्री महाराज को सबसे पहले मिसाल पेश करनी चाहिए और यह घोषणा कर देनी चाहिए कि उन्होंने जात-पाँत का पूर्णत: त्याग कर दिया है! आज भी हिन्दुओं का एक हिस्सा हिन्दुओं के दूसरे हिस्से का छुआ पानी नहीं पी सकता। हिन्दुओं का एक हिस्सा, दूसरे हिस्से के इलाक़े से अपनी बारात पर घोड़ी पर बैठकर नहीं जा सकता, यहाँ तक की मूछें तक नहीं रख सकता। इसलिए शास्त्री जी को “हिन्दू एकता” स्थापित करने के लिए सबसे पहले तो इस जातिवाद, ऊँच-नीच के ऊपर बुलडोज़र चलाना होगा! सुना है आपको भी बुलडोज़र से बड़ा लगाव है!
हिन्दू एकता के लिए धीरेन्द्र शास्त्री महाराज को सबसे पहले तो अन्तरजातीय विवाह को बढ़ावा देना चाहिए और एक मिसाल पेश करने के लिए अपनी किसी प्रवचन सभा में ही कुछ दर्जन अन्तरजातीय प्रेमी जोड़ों के बीच जन्म-जन्मान्तर का रिश्ता स्थापित कर देना चाहिए।
उनको सरकार से माँग उठानी चाहिए कि तमाम जाति-आधारित राजनीतिक मंचों, संगठनों को ख़त्म करने के लिए उनकी प्रिय सरकार संवैधानिक संशोधन करे। जो भी पार्टी या नेता चुनाव के लिए जाट-गैर जाट, मराठा-गैर मराठा, अगड़ा-पिछड़ा, आदि करता है, वह तो “हिन्दू एकजुटता” को कमज़ोर कर रहा है! ऐसी पार्टियों तथा नेताओं का पूर्णतया बहिष्कार करें, यह आह्वान शास्त्री जी को अपनी सभाओं में कर देना चाहिए! यह रोड़ा रास्ते से हट जाये, तो समझ लो बनी गयी “हिन्दू एकता”!
श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी महाराज! यदि आप सही अर्थों में हिन्दुओं की एकता के हामी हैं तो आइए इन बिन्दुओं के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया जाये! मुझे पूरा भरोसा है कि शास्त्री जी “हिन्दू एकजुटता” के लिए आवश्यक ये कदम अवश्य उठायेंगे! शास्त्री जी की जय हो!
आपका तुच्छ सेवक और परम शिष्य,
त्रिविक्रमा वक्रदृष्टि
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2024
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