अडानी जी का मोदी जी से भ्रष्टाचार-विहीन प्रेम!
अन्वेषक
हिण्डनबर्ग ने एक बार फिर अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस बार इसने पिछली बार से भी बड़ा आरोप लगाया है। इन्होंने कहा है कि शेयर बाज़ार की निगरानी के लिए बनी सेबी ही शेयर बाज़ार के घोटाले में साथ दे रही है। अब भला ऐसा हो सकता है क्या कि जिसे खेत की निगरानी की ज़िम्मेदारी मिली हो, वही अनाज चुराकर बेचने लगे? सेबी की प्रमुख माधवी बुच के बारे में कहा है कि वह अडानी द्वारा किये गये घोटाले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं और अडानी को बचाया जा रहा है। इसके अलावा उनके पति की कम्पनी को फ़ायदा पहुँचाया गया है। ये विदेशी संस्था हमारे देश के भद्रजनों को बदनाम करने का काम लगातार कर रही है। यह सब हमारी देशभक्ति पर सवाल खड़ा करने के लिए षड्यन्त्र रचा जा रहा है। अब क्या एक पत्नी अपने पति-परमेश्वर की सेवा भी नहीं कर सकती? कैसा कलियुग आ गया है? राष्ट्रद्रोही लोग ही ऐसी बात कर सकते हैं!
आप सोचेंगे आख़िर कैसे एक विदेशी संस्था हमारी देशभक्ति पर सवाल खड़ा कर सकती है! अब समझिए : अगर आप कहेंगे कि सेबी प्रमुख अडानी को बचा रही हैं, जिसके सबूत हिण्डनबर्ग ने भी पेश किये हैं। फिर आप अडानी पर सवाल उठायेंगे। आप सोचेंगे कि जितना हम ज़िन्दगी भर मेहनत कर के नहीं कमा पाते अडानी एक दिन में कमा लेता है! आप सोचेंगे कि ये घपला कर रहा है तो इसे बचा कौन रहा है, हमारे देश में क़ानून नाम की चीज़ अभी ज़िन्दा है। क़ानून-व्यवस्था को कौन चला रहा है? सरकार! सरकार को चलाने वाले हैं हमारे प्रधानमन्त्री। यानी फिर आप प्रधानमन्त्री पर सवाल खड़ा करेंगे, उसकी पार्टी पर सवाल खड़ा करेंगे! यही पश्चिमी “सिक्युलर” तरीके से सोचना है। धर्मध्वजाधारी राष्ट्रभक्त मोदी जी पर सवाल? क्या आपको समझ में नहीं आता कि अडानी जी का विकास होगा, तभी तो राष्ट्र का विकास होगा! अब येन-केन-प्रकारेण मोदी जी अडानी जी का विकास करके राष्ट्र का विकास करने पर तुले हुए हैं, तो देशद्रोही लोग मोदी जी पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं! इसका मतलब आप देश पर सवाल उठा रहे हैं! अब तो आपकी देशभक्ति कठघरे के दायरे में खड़ी हो जायेगी। ख़ैर, मोदी जी ने उसका इन्तज़ाम नहीं राष्ट्रवादी अपराध संहिता लागू करके कर दिया है। यही चाहती है ये विदेशी संस्थाएँ। माधवी जी ने भी कह दिया है कि इसपर ज़्यादा ध्यान न दिया जाये नहीं तो बेवजह सवाल उठाने वालों को दिक्कत हो सकती है! अपना भला चाहने वाले समझें कि मोदी जी राष्ट्र का विकास करने के लिए अडानी जी का विकास कर रहे हैं। उन्हीं के कारख़ानों और धन्धों में तो है राष्ट्र! कुछ मूर्खों को लगता है कि देश कोई कागज़ पर बना नक्शा नहीं होता, बल्कि उसमें रहने वाले लोगों से बनता है! सही बात है! लेकिन किन लोगों से? क्या हर सड़क पर बेकार घूमते मज़दूर, नौजवान, औरतों से? ऐसा थोड़े होता है!
वैसे भी हमारे देश में भ्रष्टाचार- व्रष्टाचार की संस्कृति नहीं है। कभी आपने सुना है रामराज्य में भ्रष्टाचार हुआ हो? क्या आपने सुना है कि सतयुग में भ्रष्टाचार हुआ हो? ये तो बीच में 60 साल कलयुग के आ गये, वर्ना हमारा देश भ्रष्टाचारविहीन देश है। यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक देश है। यहाँ टॉर्च लेकर भी ढूँढेंगे, तब भी भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं दिखायी देगा। हमारे देश में आकर तो भ्रष्टाचारी अंग्रेज़ भी सदाचारी बन गये थे। इसीलिए उनकी हमारे देश के सदाचारी सावरकर, हेडगेवार, गोलवलकर, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से खूब बनती थी, जिन्होंने अंग्रेज़ों को सदाचार का तावीज़ दिया था। भ्रष्टाचार विदेशी संस्कृति है, हमारे देश के लोगो के ख़ून में भ्रष्टाचार नहीं है। यही कारण है कि हमारे देश के सबसे धनी लोग भ्रष्टाचार करें, ये हो ही नहीं सकता।
अभी अम्बानी ने 5000 करोड़ में अपने बेटे की शादी की। आपको क्या लगता है ये पैसा भ्रष्टाचार से कमाया है! नहीं महोदय, यह सेवा करके, धर्मांदाँ काम करके कमाया गया धन है! अब कमाया है तो ख़र्च करेगा ही। आप कर सकते हो तो आप भी कर लो! इसलिए तो मैं कह रहा हूँ अडानी हो या टाटा, बिड़ला, अम्बानी, माधवी या फिर हमारे प्रधानसेवक कोई भी कभी भी भ्रष्टाचार नहीं कर सकता।
पर मेरे कहने से क्या होता है? मैं कोई भगवान थोड़े ही हूँ कि जो कहूँगा वही होगा! मोदी जी ने भी कहा था – “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा।” पर भाई मोदी जी भी तो इन्सान हैं! चुनाव के बाद यह पुख़्ता हो गया है! भूख तो उन्हें भी लगती होगी! अगर वह ख़ुद भूखे रहेंगे, तो सरकार भूखी रहेगी। सरकार भूखी रहेगी तो सरकार को सरकार बनाने वाले भूखे रहेंगे। इससे तो सरकार को ही समस्या हो जायेगी। इसलिए सरकार तो खाती ही है। हमेशा से ही खाती रही है। इस बार फ़र्क यह है कि सालों से भूखे लोग सत्ता में बैठे हैं, तो अपना पेट भी अच्छे से भरना चाहते हैं। सरकार का पेट भरा रहे इसलिए सबको मौका देते हैं। खाओ भाई, अच्छे से खाओ, हम मिल बाँटकर खायेंगे! जब अडानी जी और मोदी जी आगे बढ़ेंगे, तभी तो देश आगे बढ़ेगा!
माधवी जी का अडानी जी से; अडानी जी का मोदी जी से जो रिश्ता है, वह क्या कहलाता है? ये सब प्यार के रिश्ते ही तो हैं! मोदी जी ‘प्यार बाँटते चलो’ में यक़ीन रखते हैं! अडानी ने उन्हें थोड़ा प्यार दिया और मोदी जी ने इस प्यार के लिए पूरा देश उनपर न्यौछावर कर दिया! मोदी जी को प्यार सिर्फ़ अडानी ही नहीं बल्कि अम्बानी से लेकर टाटा-बिड़ला-हिन्दुजा जैसे सब बड़े लोग करते हैं। बदले में मोदी जी भी सबका ख़्याल रखते हैं, बोलते हैं: “जितना खाना है खाओ, मैं बैठा हूँ।” आप इस प्रेम से प्रेम करें! अगर आप नहीं करते, तो आप कैसे देशद्रोही, विदेशपरस्त और सिक्युलर व्यक्ति हैं? प्रेम से प्रेम करने पर प्रेम बढ़ता है! इसलिए यह बात समझ लें कि राष्ट्र अडानी जी, अम्बानी जी, टाटा जी, बिड़ला जी आदि की तिजोरियों में निवास करता है! उनकी लक्ष्मी ही राष्ट्र है, वही धर्म है, वही नैतिकता है, वही सबकुछ है! अब मोदी जी ठहरे पक्के राष्ट्रवादी और धर्मध्वजाधारी! तो वे राष्ट्रसेवा और धर्मसेवा नहीं करेंगे, तो क्या करेंगे?
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