मज़दूरों के क्रान्तिकारी अख़बार के बारे में लेनिन के विचार
हमारी राय में, हमारे कामों की शुरुआत, जिस संगठन को हम बनाना चाहते हैं उसके निर्माण की दिशा में हमारा पहला क़दम, एक अखिल रूसी राजनीतिक अख़बार की स्थापना होना चाहिए। हम कह सकते हैं कि यही वह मुख्य सूत्र है जिसे पकड़ कर हम संगठन का लगातार विकास कर सकेंगे और उसे गहरा और विस्तृत बना सकेंगे। हमें सबसे ज्यादा ज़रूरत एक अख़बार की ही है; उसके बिना सिद्धान्तपूर्ण, व्यवस्थित और चौमुखी प्रचार और आन्दोलन के उस कार्य को हम नहीं कर सकते जो सामाजिक-जनवादी पार्टी (यानी कम्युनिस्ट पार्टी –सं.) का आमतौर से मुख्य और स्थायी काम है। और, इस समय, जबकि राजनीति तथा समाजवाद से सम्बन्धित सवालों के विषय में जनता के व्यापकतम हिस्सों में दिलचस्पी पैदा हो गयी है, यह काम और भी ज़रूरी बन गया है। व्यक्तिगत कार्रवाइयों, स्थानीय पर्चों, पत्रिकाओं आदि के रूप में चलने वाले छिटपुट आन्दोलन को एक आम व्यवस्थित आन्दोलन के ज़रिए बल पहुँचाने की आवश्यकता कभी इतनी तीव्रता से नहीं महसूस की गयी थी जितनी आज की जा रही है। और इस काम को केवल एक नियमित रूप से निकलने वाले अख़बार की मदद से ही किया जा सकता है। बिना किसी अतिशयोक्ति के कहा जा सकता है कि इस तथ्य से कि अख़बार कितनी जल्दी-जल्दी और कितनी नियमितता से निकलता (और वितरित किया जाता) है इस बात का ठीक-ठीक अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि हमारी लड़ाकू कार्रवाइयों के इस मुख्य और सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग को कितनी अच्छी तरह से पूरा किया जा रहा है। इसके अलावा, हमारे अख़बार को अखिल रूसी होना चाहिए। छपे शब्द के माध्यम से जनता और सरकार को प्रभावित करने के लिए अपने प्रयासों को यदि हम संयुक्त नहीं कर सकते तो – और जब तक ऐसा नहीं कर सकते तब तक– प्रभाव डालने के दूसरे, अधिक जटिल, अधिक कठिन, किन्तु, साथ ही अधिक निर्णायक तरीकों को जोड़कर और संगठित करके उनका इस्तेमाल करने का विचार मात्रा काल्पनिक होगा। नन्हें-नन्हें टुकड़ों में बँटे होने तथा सामाजिक-जनवादियों के अधिकांश लोगों के लगभग पूरे तौर से स्थानीय कामों में डूबे रहने के कारण, हमारे आन्दोलन को, सर्वप्रथम विचारधारात्मक रूप से और फिर व्यावहारिक-सांगठनिक रूप से भी नुक़सान पहुँचता है। स्थानीय कामों में इस तरह डूबे रहने के कारण सामाजिक-जनवादियों का दृष्टिकोण, उनकी गतिविधियों का दायरा, तथा गुप्त रूप से काम करने तथा अपनी तैयारी को कायम रखने की उनकी कार्य-निपुणता संकुचित हो जाती है। जिस अस्थिरता तथा जिस ढुलमुलपन का ऊपर उल्लेख किया गया है उसकी गहरी जड़ें आन्दोलन के छितराव की इसी अवस्था में पायी जा सकती हैं। इस कमज़ोरी को दूर करने और विभिन्न स्थानीय आन्दोलनों को एक अविभाजित अखिल-रूसी आन्दोलन का रूप देने के लिए, आवश्यक पहला क़दम एक अखिल रूसी अख़बार की स्थापना करना होना चाहिए। अन्त में, हमें निश्चित रूप से एक राजनीतिक अख़बार की आवश्यकता है। एक राजनीतिक मुखपत्र के बिना किसी राजनीतिक आन्दोलन की, ऐसे किसी आन्दोलन की जो इस नाम को धारण करने का अधिकारी हो, आज के यूरोप में कल्पना तक नहीं की जा सकती। इस तरह के अख़बार के बिना हम अपने काम को, राजनीतिक असन्तोष और विरोध के तमाम तत्वों को एक जगह एकत्रित करने और उसके द्वारा सर्वहारा वर्ग के क्रान्तिकारी आन्दोलन में जीवन संचार करने के काम को, कदापि पूरा नहीं कर सकते।
पहला क़दम हमने उठा लिया है, “आर्थिक”, फै़क्टरी सम्बन्धी, भण्डाफोड़ करने के लिए मज़दूर वर्ग के अन्दर हमने एक जोश पैदा कर दिया है; अब हमें अगला क़दम उठाना चाहिए। जनसंख्या के उस प्रत्येक अंग के अन्दर, जिसमें किंचित भी राजनीतिक चेतना पैदा हो गयी है, हमें राजनीतिक भण्डाफोड़ करने के लिए जोश जागृत करने का क़दम उठाना चाहिए। इस बात से हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए कि राजनीतिक भण्डाफोड़ की आवाज़ आज इतनी कमज़ोर अैर सहमी हुई है, और इतनी कम उठती है। इसकी वजह यह नहीं है कि पुलिस की निरंकुशता के सामने लोगों ने पूरे तौर से हथियार डाल दिये हैं, बल्कि इसकी वजह यह है कि जो लोग भण्डाफोड़ करने की क्षमता रखते हैं और उसके लिए तैयार हैं उनके पास ऐसा कोई मंच नहीं है जहां से वे बोल सकें, उनके पास उत्सुक और उत्साह दिलाने वाले ऐसे श्रोता नहीं हैं जिनसे वे बोल सकें, जनता के बीच उन्हें वह शक्ति कहीं नहीं दिखलायी देती जिसकी अदालत में “सर्वशक्तिशाली” रूसी सरकार के ख़िलाफ़ अपनी शिकायत करने से उन्हें कोई लाभ होगा।
परन्तु आज यह सब तेजी से बदल रहा है। अब ऐसी शक्ति पैदा हो गयी है – यह शक्ति है क्रान्तिकारी सर्वहारा वर्ग। उसने न केवल उनकी बात सुनने और राजनीतिक संघर्ष के आह्वानों का समर्थन करने की, बल्कि साहसपूर्वक स्वयं मोर्चा लेने की भी अपनी तत्परता प्रदर्शित कर दी है। ज़ारशाही रूस की सरकार के राष्ट्रव्यापी भण्डाफोड़ के लिए अब हम एक मंच प्रस्तुत कर सकते हैं, और हमारा कर्तव्य है कि इस काम को हम पूरा करें। ऐसा मंच एक सामाजिक-जनवादी अख़बार ही हो सकता है। रूस का मज़दूर वर्ग रूसी समाज के दूसरे वर्गों तथा अन्य स्तर के लोगों से भिन्न है: राजनीतिक ज्ञान प्राप्त करने में यह बराबर दिलचस्पी दिखलाता है और गैर-क़ानूनी साहित्य की लगातार (केवल तीव्र उथल-पुथल के कालों में ही नहीं) तथा भारी मात्रा में माँग करता है। ऐसे समय में जबकि जनता की इस तरह की माँग साफ़-साफ़ दिखलायी देती है, जबकि अनुभवी क्रान्तिकारी नेताओं की ट्रेनिंग (शिक्षा-दीक्षा) शुरू हो चुकी है, और जबकि बड़े शहरों के मज़दूर इलाक़ों और फै़क्टरी की बस्तियों और आबादियों में काफी मात्रा में संकेन्द्रित हो जाने की वजह से मज़दूर वर्ग उन क्षेत्रों का वस्तुतः मालिक बन गया है, तब सर्वहारा वर्ग के लिए राजनीतिक अख़बार निकालने का काम भी सर्वथा सम्भव बन गया है। सर्वहारा वर्ग के माध्यम से शहर के निम्न-पूँजीपति वर्ग, देहातों के दस्तकारों और किसानों तक अख़बार पहुँच जायेगा और, इस प्रकार, वह जनता का एक वास्तविक राजनीतिक समाचारपत्र बन जायेगा।
लेकिन अख़बार की भूमिका मात्र विचारों का प्रचार करने, राजनीतिक शिक्षा देने, तथा राजनीतिक सहयोगी भरती करने के काम तक ही नहीं सीमित होती। अख़बार केवल सामूहिक प्रचारक और सामूहिक आन्दोलनकर्ता का ही नहीं बल्कि एक सामूहिक संगठनकर्ता का भी काम करता है। इस दृष्टि से उसकी तुलना किसी बनती हुई इमारत के चारों ओर खड़े किये गये बल्लियों के ढाँचे से की जा सकती है। इस ढाँचे से इमारत की रूपरेखा स्पष्ट हो जाती है और इमारत बनाने वालों को एक दूसरे के पास आने-जाने में सहायता मिलती है जिससे वे काम का बँटवारा कर सकते हैं और अपने संगठित श्रम के संयुक्त परिणामों पर विचार-विनिमय कर सकते हैं। अख़बार की मदद और उसके माध्यम से, स्वाभाविक रूप से, एक स्थायी संगठन खड़ा हो जायेगा जो न केवल स्थानीय गतिविधियों में, बल्कि नियमित आम कार्यों में भी हिस्सा लेगा, और अपने सदस्यों को इस बात की ट्रेनिंग देगा कि राजनीतिक घटनाओं का वे सावधानी से निरीक्षण करते रहें, उनके महत्व और आबादी के विभिन्न अंगों पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन करें, और ऐसे कारगर उपाय निकालें जिनके द्वारा क्रान्तिकारी पार्टी उन घटनाओं को प्रभावित करे। अख़बार के लिए नियमित रूप से सामग्री जमा करने तथा उसके नियमित वितरण की व्यवस्था कायम करने के मात्र तकनीकी काम के लिए भी आवश्यक होगा कि एकताबद्ध पार्टी के ऐसे स्थानीय एजेन्टों* का जाल बिछा दिया जाये जो एक-दूसरे के साथ निरन्तर सम्पर्क रखेंगे, आम हालात की जानकारी प्राप्त करेंगे, अखिल रूसी कार्य-योजना के अन्तर्गत अपने निर्धारित कार्यों को नियमित रूप से पूरा करने के आदी हो जायेंगे, और विभिन्न क्रान्तिकारी कार्रवाइयों के संगठन-कार्य के द्वारा अपनी शक्ति की परीक्षा करेंगे।
* एजेन्टों: निस्संदेह, यह बात तो साफ़ है कि ये एजेन्ट हमारी पार्टी की स्थानीय समितियों (दलों, अध्ययन केन्द्रों) के साथ घनिष्ठतम सम्पर्क बनाये रखकर ही सफलतापूर्वक काम कर सकते हैं। आम तौर से, जो सम्पूर्ण योजना हमने पेश की है उसे केवल ऐसी कमेटियों के अत्यन्त सक्रिय समर्थन से ही अमली रूप दिया जा सकता है जिन्होंने पार्टी को एकताबद्ध करने की बारम्बार कोशिश की है और जो कि, हमें पूरा विश्वास है, उसे एकताबद्ध करने में – आज नहीं तो कल, एक तरह से नहीं तो किसी दूसरी तरह से – अवश्य सफल होंगी।
(‘कहाँ से शुरू करें’ लेख से)
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रूस के समस्त भागों की फै़क्टरियों और दफ़्तरों में काम करने वाले लोगों के पत्रों के उत्तर में मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये जाने वाले चन्दों की रिपोर्टें पढ़कर प्रावदा के पाठकों को – जिनमें से अधिकांश रूसी जीवन की कठिन बाह्य परिस्थितियों के कारण दूर-दूर और एक दूसरे से अलग बिखरे हुए हैं – इस बात का कुछ अनुमान हो सकता है कि विभिन्न व्यवसायों और स्थानों के सर्वहारा किस प्रकार लड़ रहे हैं और किस प्रकार उनके अन्दर मज़दूर वर्गीय जनतंत्र की रक्षा की चेतना पैदा हो रही है।
मज़दूरों के जीवन-वृतान्त का प्रकाशन ‘प्रावदा’ का एक स्थायी स्तम्भ बन ही रहा है। इसमें ज़रा भी सन्देह नहीं कि आगे चलकर, फै़क्टरियों में होने वाली ज़्यादतियों, सर्वहारा वर्ग के नये-नये अंगों की जागृति, मजदूरों के हितों से सम्बन्धित कामों के लिए किये जाने वाले चन्दों आदि के बारे में लिखे गये पत्रों के अलावा, मज़दूरों के विचारों और उनकी भावनाओं के विषय में, चुनाव आन्दोलनों के विषय में, मज़दूरों के प्रतिनिधियों के चुनावों के विषय में, मज़दूर क्या पढ़ते हैं, किन प्रश्नों में उनकी विशेष दिलचस्पी है आदि के विषयों में भी रिपोर्टें मज़दूरों के समाचारपत्र के दफ़्तर में आने लगेंगी।
मज़दूरों का समाचारपत्र मज़दूरों का एक मंच है। इस मंच से, पूरे रूस के सामने, एक के बाद एक उन तमाम प्रश्नों को मज़दूरों को उठाना चाहिए जिनका आम तौर से मज़दूरों की ज़िन्दगी से तथा खास तौर से मज़दूर वर्ग के जनतांत्रिक अधिकारों से सम्बन्ध है।
(‘मज़दूर और प्रावदा’ लेख से)
मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2021
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन