मुम्बई में लगातार ग़रीबों के बच्चों की गुमशुदगी के ख़िलाफ़ मुहिम
बिगुल संवाददाता
वेश्यावृत्ति, अंगों के व्यापार, भीख मँगवाने आदि के लिए देशभर में बच्चे ग़ायब करने वाले गिरोह सक्रिय रहते हैं। पूरे देश में ग़ायब होने वाले बच्चों की संख्या के हिसाब से महाराष्ट्र टॉप पर है। मुम्बई में भी दक्षिण के पॉश वार्डों की अपेक्षा ईस्ट वार्ड से सबसे ज़्यादा बच्चे ग़ायब होते हैं। अमीरों का कुत्ता ग़ायब होने पर भी सक्रिय हो जाने वाली पुलिस ग़रीबों के बच्चों के ग़ायब होने पर भी अक्सर या तो रिपोर्ट ही नहीं लिखती है या फिर रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई नहीं करती है। ग़ायब बच्चों के मां-बाप को एक ओर अपने बच्चों के ग़ायब होने का दुख होता है तो दूसरी ओर पुलिस का संवेदनहीन रवैया उनके घावों पर मिर्च छिड़कने का काम करता है।
मुम्बई के मानखुर्द, गोवण्डी के इलाके में भी लम्बे समय से बच्चों को ग़ायब करने वाले गिरोह सक्रिय हैं। इलाके से अनेक बच्चों के ग़ायब हो जाने के बावजूद पुलिस आज तक किसी गिरोह का पर्दाफ़ाश नहीं कर पायी है। इलाके में नशे का व्यापार करने वाले तमाम गुण्डा गिरोह भी सक्रिय हैं जिसके कारण लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की अनेक घटनाएँ होती रहती हैं। लगभग तीन महीने पहले ज्योर्तिलिंगनगर के इलाके से चार साल की एक बच्ची ग़ायब हो गयी थी जिसकी बाद में लाश बरामद हुई। पोस्टमार्टम में बलात्कार के बाद हत्या की पुष्टि हुई। पुलिस ने दवाब में आकर एक लड़के को गिरफ़्तार किया पर अब उसे सबूतों के अभाव में छोड़ने की तैयारी चल रही है। इस लड़की के ग़ायब होने से कुछ ही दिन पहले उसी गली से एक दूसरी बच्ची भी ग़ायब हुई थी पर उसका भी आज तक कोई पता नहीं चला है। इलाके में ऐसे अनेक मां बाप हैं जिनकी ये कहानी है। नौजवान भारत सभा ने इसी को लेकर इलाके में जून में 15 दिन का अभियान चलाया। उसी के बाद ये तय हुआ कि इस मसले पर पहले तो इलाके के स्थानीय मानखुर्द थाने का घेराव किया जाय व बाद में मुम्बई पुलिस के हैडक्वार्टर का। नौजवान भारत सभा की अगुवाई में 17 जून को बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने मानखुर्द के ज्योर्तिलिंगनगर से पुलिस स्टेशन तक विरोध मार्च निकाला व बाद में थाने का घेराव किया।
इसके बाद वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर एन.एच.शेख को मुम्बई पुलिस कमिश्नर के नाम ज्ञापन भी दिया गया। आन्दोलनकारियों द्वारा उठाये गये तमाम सवालों का पुलिस अधिकारी ने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। ”जब बच्चों की देखभाल अच्छे से नहीं कर सकते तो उन्हें जन्म ही क्यों देते हो”, ऐसे संवेदनहीन सवाल गुमशुदा बच्चों के माँ-बाप से पुलिस कैसे कर सकती है, ये पूछने पर पुलिस इंस्पेक्टर शेख ने कहा कि पुलिस हवलदार के ऐसे शब्दों की तरफ ध्यान मत दीजिये, वरिष्ठ अधिकारी जो बोलते हैं सिर्फ़ उसी की बात कीजिये। जिस चार वर्ष की बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या हुई थी, उसकी मां के साथ भी पुलिस ने अशोभनीय बर्ताव किया था। माँ ने जब ये शिकायत इंस्पेक्टर शेख से की तो उन्होने फै़सला सुना दिया कि पुलिस तो ऐसा कर ही नहीं सकती। इलाके में नशे के गैरक़ानूनी व्यापार के बारे में पूछने पर वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर ने अफ़सोस जाहिर किया कि ”कानून में खामियाँ होने की वजह से अपराधियों को कठोर दण्ड नहीं मिलता है व इसी कारण नशे के व्यापार पर रोक लगाना मुश्किल है।”
नौ.भा.स. के नारायण खराडे ने बताया कि मासूम बच्ची के साथ बलात्कार व हत्या प्रकरण में पुलिस ने अगले तीन दिन में चार्जशीट दाखिल करने को कहा है। उसके बाद आन्दोलन की अागे की दिशा तय की जायेगी। पुलिस के असंवेदनशील बर्ताव के बारे में महिला आयोग व मानवाधिकार आयोग के पास भी शिकायत दर्ज करवायी जायेगी।
मज़दूर बिगुल, जून 2016
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