सीखो दोस्तो सीखो!
बर्तोल्त ब्रेख्त (अनुवाद राजेंद्र मंडल)
सीखो दोस्तो सीखो, सीखो दोस्तो सीखो!
बुनियाद से, बुनियाद से, बुनियाद से!
बुनियाद से शुरु करो
तुमको अगुआ है बनना!
अब भी नहीं है देर हुई, अगुआ तुम्हें जो है बनना!
बुनियाद से, बुनियाद से, बुनियाद से!
क ख ग घ सीखो लेकिन — इतना है नहीं काफी
फिर भी सीखो, जानो,
हर चीज को मेरे साथी।
पतवार को अपने हाथ में ले लो, हो जाओ तैयार,
अगुआ तुम्हें जो है बनना!
सीखो दोस्तो सीखो!
बहिष्कृतो तुम सीखो! एे बंदी तुम सीखो!
औरत रसोईघर की, तुम सीखो, तुम सीखो!
ए बाबा तुम सीखो!
पतवार को अपने हाथ में ले लो, हो जाओ तैयार,
अगुआ तुम्हें जो है बनना
बेघर भटकने वालों, अपना ही ग्रंथ बनाओ!
रुके हुए पानी की मछली,
ज्ञान की खोज में तुम निकलो!
ऐ भूखे, तुम अपने लिए एक किताब तलाश करो,
अस्त्र यही एक होगा, होगा यही हथियार!
पतवार को अपने हाथ में ले लो, हो जाओ तैयार!
अगुआ तुम्हें जो है बनना!
कभी ना डरना दोस्तो, कोई सवाल उठाने से,
अंधविश्वासों के दम पर, कभी यकीं न करना,
तुम खुद जांच कर देखो! तुम खुद जो न सीखोगे,
उसे कभी नहीं जान पाओगे!
पूछो सवाल हिसाबों से, जो तुम्हें चुकाने है सारे,
हर चीज पर रखकर उंगली पूछो —
यह कैसे मिला, कहां से आया!
अगुआ तुम्हें जो है बनना!
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