हीरो मोटोकार्प में भर्ती प्रक्रिया की एक तस्वीर!
बिगुल संवाददाता, गुड़गाँव
जैसाकि आप सबको ज्ञात होगा कि हीरो मोटोकार्प की शाखा स्पेयर पार्ट डिपार्टमेंट (एसपीडी) में 11 अगस्त 2014 को कम्पनी प्रबन्धन ने 700 मज़दूरों को काम से निकाल दिया था जो कि पिछले 15-17 सालों से काम कर रहे थे। कम्पनी प्रबन्धन की मंशा साफ़ है कि इन तमाम (700) मज़दूरों को निकालकर कम वेतन पर नये मज़दूरों को ठेके पर छः महीने के लिए भर्ती किया जाये, सिर्फ़ गुड़गाँव में ही लाखों लाख मज़दूरों की सदस्यता वाली ट्रेड यूनियनें काम कर रही हैं जिनका नाम क्रमश: सीटू, एटक, एचएमएस, आदि-आदि हैं। इन तमाम ट्रेड यूनियनों ने इन निकाले गये 700 मज़दूरों के लिए शोक व्यक्त करने के अलावा कुछ विशेष क़दम नहीं उठाये, क्योंकि अन्दर खाने ये सारी ट्रेड यूनियनें उन्हीं फ़ैक्टरी मालिकों के लिए काम करती हैं और मज़दूरों से किये गये धोखे और ग़द्दारी की अच्छी रक़में वसूल करती हैं जिससे कि इनकी दुकानदारी चलती रहती है। ख़ैर हम बात कर रहे थे हीरो मोटोकार्प में भर्ती प्रक्रिया की। हीरो मोटोकार्प की शाखा (एसपीडी) से निकाले गये 700 मज़दूरों से मोलभाव किया गया कि पिछले सभी सालों का 10 हज़ार रुपये प्रति साल के हिसाब से और जो हिसाब बनता है, वो सारा हिसाब ले लो, और नये सिरे से भर्ती हो जाओ। कुछ मज़दूर कम्पनी की इन्ही शर्तों पर भर्ती हो गये। दूसरी कम्पनी में 6-6 महीने जो मज़दूर काम कर चुके हैं, उन्हें भी कम्पनी प्रबन्धन ने फ़ोन कर-कर के भर्ती के लिए बुलाया, कुछ मज़दूर इस प्रकार भर्ती हुए। इतनी भर्ती करने के बाद भी कम्पनी को अभी 100 मज़दूरों की और भी ज़रूरत थी। कम्पनी प्रबन्धन ने तीसरा तरीक़ा खुली भर्ती का अपनाया और यह खुली भर्ती की प्रक्रिया 20 अगस्त से लगातार जारी है। बेरोज़गारों की भीड़ रोज़ हीरो कम्पनी के गेट पर खड़ी होती है, उनमें से कुछ का बायोडाटा, फ़ार्म लिया जाता है। कुछ नियम-शर्तें बतायी जाती हैं, घण्टों इन्तज़ार करवाया जाता है, उसके बाद दो-तीन जगह इण्टरव्यू लिया जाता है। और फिर एक हफ्ते बाद बुलाया जाता है, जिसकी सबसे अच्छी डिग्री हो या जो इण्टरव्यू मे अच्छे नम्बर लाता है उसकी नौकरी पक्की कर दी जाती है।
नियम व शर्तें कुछ इस प्रकार हैं – 10 सितम्बर 2014 सुबह 11 बजे ( पढ़े-लिखे बेरोज़गारों की फ़ौज सुबह 8 बजे से ही तैनात थी।) करीब 250 लड़के अपनी क़िस्मत आज़माने के लिए गेट के बाहर अपने पहचान-पत्र व डिग्रियाँ हाथ में लिये खड़े थे। सहसा कम्पनी के अन्दर से ठेकेदार के दो मज़दूर आये और उन्होंने लड़कों को भर्ती होने की प्रक्रिया के बारे में बताया कि तुम लोग शोर बहुत मचा रहे हो, अब चुपचाप अनुशासन में मेरी बात सुनो। भर्ती उसी लड़के की होगी, जिसका वज़न 50 किलो से ऊपर होगा, जिसकी 10वीं, 12वीं की मार्कशीट व पहचान पत्र की ओरिजनल (असली) कापी उसके पास होगी, जिसका खाता किसी बैंक में होगा, जिसको अंग्रेज़ी का अच्छा ज्ञान होगा। जो इन शर्तों को पूरा करता हो वो यहाँ रुके बाक़ी सब यहाँ से चले जायें। और हाँ (आईटीआई) वाले लड़कों को भी नहीं लिया जायेगा। इतनी शर्तों के बाद आधी संख्या तो घट गयी और बची आधी संख्या तो उसकी भर्ती प्रक्रिया का ज़िक्र हमने पहले ही कर दिया है।
आज असली समस्या तो यह है कि जब तक हम लोग यूँ ही अकेले व बिखरे रहेंगे, तब तक हम लोगों का इस्तेमाल ये तमाम पूँजीपति करते रहेंगे और हमको भर्ती करके हम पर एहसान जताते रहेंगे। इसलिए आज के समय में हम सबको मिलकर रोज़गार के अधिकार के लिए लड़ना होगा और अगर यह सरकार हमको रोज़गार नहीं दे पाती तो ऐसी हालत मे बेरोज़गारी भत्ता देने की गारण्टी ले, नहीं तो यूँ ही हम लोग बेरोज़गार घूमते रहेंगे और अपनी समस्याओं के ज़िम्मेदार हम ख़ुद ही होंगे।
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2014
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