आपस की बात

साथी अरविन्द के अचानक निधन पर गहरा दुःख…

कॉ. अरविन्द की स्मृति को अक्षुण्ण रखने और सामाजिक परिवर्तन के जिन वैचारिक-सांस्कृतिक कार्यभारों के प्रति वे समर्पित थे उन्हें आगे बढ़ाने के लिए ‘अरविन्द स्मृति न्यास’ और ‘अरविन्द मार्क्सवादी अधययन संस्थान’ स्थापित करने का आप लोगों का निर्णय सराहनीय है।

डॉ. कपिलेश भोज, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)

संघर्ष की दिशा दे रहे हैं लेख

साथी जी, लाल सलाम

आशा है आप कुशलतापूर्वक होंगे। आप द्वारा हमारे कार्यालय लाइब्रेरी में बिगुल लगातार आ रहा है। बिगुल में दिए जा रहे लेख व कविताएँ स्मरण योग्य हैं तथा लेख संघर्ष की दिशा दे रहें। नई समाजवादी क्रान्ति की अलख जगाओ, मन्दी की मार, जनता के अधिाकारों पर हमला फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष, चीन की मेहनतकश जनता, नताशा की जीवनी इत्यादि-इत्यादि लेख। बड़े मार्मिक लगे, कवि जवालामुखी।

मजदूर कार्यालय में मजदूर गरीब व शोषित-पीड़ित लोगों का आना-जाना लगा रहता है तथा बिगुल के लेख व कविताओं का भी विचार मंथन आपस में किया जाता है। कार्यालय गरीबों व खड्डा बस्ती के नज़दीक है।

बिगुल भेजने का फ़िर आपको धन्यवाद।

आपका साथी

महेश महर्षि, जिला मजदूर कार्यालय, शुगर मिल गेट के सामने, श्रीगंगानगर-335001

 

खराब नेता

कितना खराब नेता है। भइया
ये तो बहुत घूस खोर है। भइया
ये नियमों का उल्लंघन करता
इसे ऊँचे पद से हटाओ भइया
अपना भारत को चमकाओ भइया
कितना खराब नेता है भइया
ये तो बहुत घूसखोर है। भइया
ये अपने देश के लिए कुछ नहीं करता है।
और अपने देश को अमेरिका के
हवाले करता है। भइया
समाज के लिए पैसा आता है। भइया
पर गाँव-गाँव तक आते-आते
खब जाता है भइया।

सागर, अपना घर (हास्टल), मकान नं. बी 135/8, प्रधान गेट नानकारी, आई आई टी कानपुर नगर

नींद से जागो

 

सूली चढ़कर शहीद भगत ने दुनिया को ललकारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।
जीवनभर जो वस्त्र बनाया फटी बहन की साड़ी है,
सारी उम्र जो बैठ के खाया उसकी बंगला गाड़ी है।
जो काम करे वो रोटी खाये यही हमारा नारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।
नदी का सीना चीरके तुमने ऊर्जा बाँध बनाया है,
अपनी मेहनत का फल तुमने कितना अच्छा पाया है।
उनके महल में रात भी दिन है तेरा घर अंधियारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।
खाल पहन कर इंसानों की चेहरा वही दिखाते हैं,
मखमल का है बिस्तर उनका सोना चाँदी खाते हैं।
भूख-गरीबी और अशिक्षा हिस्सा यही तुम्हारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।
इंकलाब के नारे को हम मंजिल तक ले जायेंगे,
भूख से मरने से अच्छा है जालिम से टकरायेंगे।
गुरबत ने अब कफन बाँधा कर दौलत को ललकारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।
समाजवाद के परचम को हम दुनिया में लहरायेंगे,
अपने हिस्से की रोटी को छीन के उनसे खायेंगें।
ताज यही है चाहत अपनी सपना यही हमारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमो सारा देश तुम्हारा है।

टी.एम. अंसारी, शक्ति नगर, लुधियाना

 

बिगुल, अप्रैल 2009

 


 

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