कुछ उद्धरण व राजेन्द्र धोड़पकर के दो प्रासंगिक कार्टून
“जब तक लोग अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने की ज़हमत नहीं उठायेंगे, तब तक तानाशाहों का राज चलता रहेगा; क्योंकि तानाशाह सक्रिय और जोशीले होते हैं, और वे नींद में डूबे हुए लोगों को ज़ंजीरों में जकड़ने के लिए, ईश्वर, धर्म या किसी भी दूसरी चीज़ का सहारा लेने में नहीं हिचकेंगे।”
– फ्रांसीसी क्रान्ति की वैचारिक नींव तैयार करने वाले महान दार्शनिकों में से एक, वोल्तेयर
“सबसे बुरा जाहिल वह है जो राजनीतिक रूप से जाहिल है। वह कुछ नहीं सुनता, कुछ नहीं देखता, राजनीतिक जीवन में कोई हिस्सा नहीं लेता। उसे शायद यह पता ही नहीं कि जीवन-यापन की क़ीमत, दालों, आटे, किराए, दवाओं की क़ीमत, सबकुछ राजनीतिक फ़ैसलों पर निर्भर करता है। वह अपनी राजनीतिक अज्ञानता पर गर्व भी करता है, सीना तानकर कहता है कि उसे राजनीति से नफ़रत है। वह मूढ़मति नहीं जानता कि उसकी राजनीतिक अज्ञानता और राजनीति से दूरी वेश्याओं, परित्यक्त बच्चों, लुटेरों और चोरों में सबसे बड़े चोर – बुरे राजनीतिज्ञों को जन्म देती है, जो भ्रष्ट व शोषक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के टुकड़ख़ोर सेवक होते हैं।”
– बेर्टोल्ट ब्रेष्ट (जर्मनी के महान जनपक्षधर लेखक)
धार्मिक बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो! पूँजीवादी लूट के ख़िलाफ़ एकता क़ायम करो!
”प्रतिक्रियावादी बुर्जुआ वर्ग हर जगह धार्मिक झगड़ों को उभाड़ने के दुष्कृत्यों में संलग्न रहा है, और वह रूस में भी ऐसा करने जा रहा है—इसमें उसका उद्देश्य आम जनता का ध्यान वास्तविक महत्व की और बुनियादी आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं से हटाना है जिन्हें अब समस्त रूस का सर्वहारा वर्ग क्रान्तिकारी संघर्ष में एकजुट हो कर व्यावहारिक रूप से हल कर रहा है। सर्वहारा की शक्तियों को बाँटने की यह प्रतिक्रियावादी नीति, जो आज ब्लैक हंड्रेड (राजतंत्र समर्थक गिरोहों) द्वारा किये हत्याकाण्डों में मुख्य रूप से प्रकट हुई है, भविष्य में और परिष्कृत रूप ग्रहण कर सकती है। हम इसका विरोध हर हालत में शान्तिपूर्वक, अडिगता और धैर्य के साथ सर्वहारा एकजुटता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की शिक्षा द्वारा करेंगे—एक ऐसी शिक्षा द्वारा करेंगे जिसमें किसी भी प्रकार के महत्वहीन मतभेदों के लिए कोई स्थान नहीं है। क्रान्तिकारी सर्वहारा, जहाँ तक राज्य का सम्बन्ध है, धर्म को वास्तव में एक व्यक्तिगत मामला बनाने में सफल होगा। और सर्वहारा वर्ग इस राजनीतिक प्रणाली में, जिसमें मध्यकालीन सड़न साफ़ हो चुकी होगी, आर्थिक ग़ुलामी के उन्मूलन के लिए व्यापक और खुला संघर्ष चलायेगा जो कि मानव जाति के धार्मिक शोषण का वास्तविक स्रोत है।”
— लेनिन (समाजवाद और धर्म)
सोचो, समझो, सावधान रहो !
“लोगों पर नियंत्रण करने और उन्हें पूरी तरह अपने वश में कर लेने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि उनकी आज़ादी थोड़ी-थोड़ी छीनी जाये, अधिकारों को एक हज़ार छोटी-छोटी और पता भी न चलने वाली कटौतियों से कम किया जाये। इस तरीक़े से, लोगों को इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं के छिनने का पता ही नहीं चलेगा और जब उन्हें पता चलेगा तब तक इन बदलावों को वापस लौटाना नामुमकिन हो जायेगा।”
— एडोल्फ़ हिटलर, माइन कैम्फ़ (आत्मकथा) में
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2025















