आपस की बात – झूठ फैलाने वाले नहीं सच बताने वाला अख़बार पढ़ो
अम्बरीश, गोरखपुर
बहुत से लोगों के हर दिन की शुरुआत बीते कल की घटनाओं को जानने की उत्सुकता के साथ शुरू होती है। लेकिन आज-कल के अखबारों को देख जाइए, मेहनतकश जनता की रोज़मर्रा की समस्याओं या समाज के लिए उपयोगी ख़बरें ढूँढे से भी नहीं मिलेंगी। हाँ, साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली मनगढ़न्त ख़बरें और हिन्दुत्व व नफ़रत के मसाले डालकर पकाई गई ज़हरीली कहानियाँ इसके पन्नों पर भरी रहती हैं। अख़बारों का यह चरित्र धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक देश कहलाने वाले भारत के लोकतंत्र के चौथे खंभे की ढोल की पोल खोल देता है।
एक दिन इलाहाबाद के एक प्रमुख हिन्दी अख़बार के मुख्य पृष्ठ (पूरा पेज) की शुरुआत इन लाइनों से थी – “भारतवर्ष के हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित होने की जन मंगल कामना एवं हिन्दू समाज के जन कल्याण हेतु माँ भगवती का शतचण्डी यज्ञ एवं अनुष्ठान” (व्यक्ति और कार्यक्रम स्थल के नाम के साथ)।
मुख्यधारा की चाटुकार पत्रकारिता के इस काले समय में आज आम मेहनतकश आबादी से जुड़े मुद्दे जैसे बेरोज़गारी, महँगाई, संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने मज़दूर आबादी की समस्याओं, निजीकरण, छात्र-युवा विरोधी नई शिक्षानीति, बढ़ते स्त्री अपराध और अन्य सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत खबरें और लेख ‘मज़दूर बिगुल’ अखबार में होते हैं, इससे लगता है कि सत्ता के तलवाचाट अखबारों के बीच ‘मज़दूर बिगुल’ अख़बार ही मेहनतकश आबादी का अपना अखबार है।
इसे पढ़ते हुए मुझे आज के समाज की समस्याओं और उन्हें हल करने के असली रास्ते को समझने काफी मदद मिली। इस लोकतंत्र के तीसरे और चौथे खंभे यानी न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की असलियत पर विस्तृत रूप से चर्चा करने के लिए मज़दूर बिगुल के सम्पादक मंडल का बहुत-बहुत आभार और उम्मीद है कि आने वाले समय में भी मज़दूर बिगुल अखबार मेहनतकश के प्रति अपने कर्तव्य का पूर्ण रूप से निर्वहन करता रहेगा।
एकजुट होना होगा
आपका एक मज़दूर साथी!
मज़दूर भाइयों! अगर हम एकजुट नहीं हुए तो ये कम्पनियाँ प्रशासन के साथ मिलीभगत करके यूँ ही हमारा शोषण करती रहेंगी। सभी साथियों से मेरी प्रार्थना है कि एकजुट हो जाओ। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो मज़दूर का और अधिक शोषण होगा। सभी साथियों से प्रार्थना है कि सभी साथी एकजुट होकर संघर्ष करें, संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। इंक़लाब ज़िन्दाबाद, लाल सलाम साथियो!
मज़दूर बिगुल, सितम्बर 2025