बुरे दिनों की एक और आहट – बजरंग दल के शस्त्र प्रशिक्षण शिविर
रणबीर
हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी संगठन बजरंग दल द्वारा उत्तर प्रदेश में विभिन्न जगहों पर ”आत्मरक्षा शिविर” लगाये जा रहे हैं। आतंकवादियों से लड़ने के प्रशिक्षण देने के नाम पर लगाये जा रहे इन शिविरों का असल मक़सद बड़े पैमाने पर आतंकवाद को अंजाम देना है। शिविर में आतंकवादियों को मुसलमानों के तौर पर पेश किया जा रहा है। आर.एस.एस. और उससे जुड़े संगठन लगातार मुसलमानों को आतंकवादियों के रूप में पेश करते रहते हैं। अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ साम्प्रदायिक नफ़रत पैदा करके दंगे तो ये कराते ही रहे हैं, अब आम हिन्दू नौजवानों को हिन्दुत्ववादी आतंकवाद के रास्ते पर धकेलने के लिए संगठित प्रयास भी इन्होंने शुरू कर दिये हैं। बजरंग दल के इन शिविरों का असली मक़सद अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ गहरी नफ़रत पैदा करना, उनके निर्मम कत्लेआम के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना और इसके लिए हथियारबन्द प्रशिक्षण देना है। इन शिविरों में तलवार, बन्दूक, छुरा, लाठी आदि चलाने आदि की ट्रेनिंग दी जा रही है। उत्तर प्रदेश में अब तक अयोध्या, नोयडा, सिद्धार्थनगर आदि जगहों पर ऐसे शिविर लगाये जा चुके हैं।
मुसलमानों व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा कर रहे इन शिविरों के मामले में अब तक सिर्फ एक गिरफ्तारी हुई है। उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार सिर्फ दिखावे के लिए विरोध कर रही है। राज्य की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी हिन्दुत्ववादी कट्टरपन्थियों की काली करतूतों का फ़ायदा मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए उठाती रही है। इस मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ज्यों-ज्यों चुनाव नज़दीक आ रहे हैं त्यों-त्यों राज्य में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने की साजिशें तेज़ हो रही हैं।
पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा की उत्तर प्रदेश में बड़ी कामयाबी के पीछे ‘‘लव जिहाद’’, ‘‘गौहत्या’’, ‘‘धर्म परिवर्तन’’ आदि हौवे खड़े करके बड़े स्तर पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल ही था। साधारण हिन्दुओं के मनों में मुसलमानों के खिलाफ़ साम्प्रदायिक नफ़रत का जहर घोल कर भाजपा विधानसभा चुनावों में भी इसी ढंग से जीत हासिल करना चाहती है। बजरंग दल के बैनर तले लगाये जा रहे शिविर आर.एस.एस. व भाजपा की इसी साजिश का हिस्सा हैं।
वास्तव में सभी धर्मों से सम्बन्धित आतंकवादी जनता के दुश्मन हैं। हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी संगठन आर.एस.एस. दुनिया के सबसे ख़तरनाक आतंकवादी संगठनों में से एक है। यह साधारण हिन्दुओं को अन्य धर्मों के लोगों (खासकर मुसलमानों व ईसाइयों) के खिलाफ़ भड़काता है। योजनाबद्ध ढंग से अल्पसंख्यकों के कत्लेआमों को अंजाम देता है। गुजरात व मुज़्ज़फ़्फ़रनगर में मुसलमानों के कत्लेआम, सन् 84 में सिखों के कत्लेआम में इसकी भागीदारी, उड़ीसा में ईसाइयों का कत्लेआम सिर्फ़ कुछ उदाहरणे हैं। लाखों लोग आर.एस.एस. और इसके संगठनों के आतंकवाद का शिकार हो चुके हैं। लेकिन इसकी कार्रवाईयों पर कोई रोक नहीं है। यह भारत सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त आतंकवादी संगठन है!! इसे खुलेआम क़त्लेआम की तैयारी के अधिकार प्राप्त हैं। हथियारों की ट्रेनिंग के शिविर लगाने की पूरी छूट है। अब तो ख़द सरकार ही इन्हीं की है। मालेगाँव बम धमाकों के दोषी आर.एस.एस. से जुड़ लोग एक-एक करके छोड़े जा रहे हैं। गुजरात में क़त्लेआम के दोषी आज़ाद घूम रहे हैं ( एक तो प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा है)!
आने वाला समय और भी भयानक होने वाला है। हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी धार्मिक अल्पसंख्यकों से भी बड़े दुश्मन कम्युनिस्टों, जनवादी कार्यकर्ताओं, तर्कशील व धर्मनिरपेक्ष लोगों आदि को मानते हैं। इसमें ज़रा भी शक नहीं है कि हिन्दुत्व कट्टरपंथी फासीवादी भारत में इन सभी पर हमले की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि यही लोग इनके नापाक मंसूबों की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। लेकिन स्वाल यह है कि हम इसके मुकाबले की क्या तैयारी कर रहे हैं?
मज़दूर बिगुल, जून 2016
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