उजाले के दरीचे – क्रांतिकारी गीतों का संग्रह
विहान आपके बीच आया है एक अंधेरे समय में अंधेरे के बारे में सच्चाइयां बयान करते और उजाले की उम्मीदों के गीतों काे लेकर, जिन्दगी की तकलीफों और जद्दोजहद के…
विहान आपके बीच आया है एक अंधेरे समय में अंधेरे के बारे में सच्चाइयां बयान करते और उजाले की उम्मीदों के गीतों काे लेकर, जिन्दगी की तकलीफों और जद्दोजहद के…
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कम्पनी का मालिक अदार पूनावाला लन्दन भाग गया। वह कह रहा है कि भारत में उसकी जान को ख़तरा था। अब वह यूरोप में ही वैक्सीन बनाने की बात कर रहा है। पूनावाला को सरकार ने वैक्सीन बनाने के लिए सारे सरकारी नियमों में ढील देकर 3000 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था और कहा था कि यह वैक्सीन जनता को मुफ़्त दी जायेगी। अब पूनावाला इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में बेच रहा था।
अख़बारों और टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक में अक्सर आतंकवाद का मुद्दा छाया रहता है। टीवी स्टूडियो और अख़बारों के सम्पादकीय पृष्ठों पर देश के नामी-गिरामी रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी व नौकरशाह हमें बताते हैं कि आतंकवाद देश की सबसे बड़ी समस्या है। हमें बताया जाता है कि देश के बाहर और भीतर देश को कमज़ोर करने वाली ताक़तें आतंकी कार्रवाइयाँ अंजाम देने का षडयंत्र रच रही हैं। सरकार भी इन विशेषज्ञों की राय को संजीदगी से लेते हुए हर साल रक्षा बजट में इज़ाफ़ा करती रहती है। लेकिन अगले साल आतंकवाद का मुद्दा और ज़्यादा ज़ोर-शोर से उछलने लगता है और सैन्यबलों के आधुनिकीकरण की माँग पहले से भी ज़्यादा ज़ोर पकड़ने लगती है। सिर्फ़ हमारे ही देश के नहीं, बल्कि दुनियाभर के हुक्मरान आतंकवाद को सबसे बड़ी समस्या और चुनौती के रूप में पेश करते रहे हैं। ये बात दीगर है वे कभी भी आतंकवाद को बढ़ावा देने में ख़ुद की भूमिका की कभी बात नहीं करते।
तुम सेठों के संग पेट जनता का काटो,
तिस पर आज़ादी की सौ-सौ बातें छाँटो।
हमें न छल पायेगी यह कोरी आज़ादी,
उठ री, उठ, मज़दूर-किसानों की आबादी।
अगस्तजिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया वो है सैद्धान्तिक स्तर पर ज़रा भी समझौता किये बग़ैर विनम्र बने रहना, ज्ञानी होने के अहंकार को पास ना फटकने देना। ‘कम्युनिस्टों’ के अन्दाज़-ए-बयाँ अम्बेडकर के मुद्दे पर हमेशा तिरस्कारपूर्ण रहे हैं, ये लेख बड़ा ही सुखद बदलाव है। जिग्नेश मेवानी में वे सम्भावनाएँ अभी नज़र आती हैं कि जाति तोड़ो आन्दोलन से वर्ग विहीन आन्दोलन की तरफ़ जा सकें, दूसरे रिपब्लिकन तो कब के पतन को प्राप्त हो चुके। अम्बेडकर के मूल्यांकन में ये एहतियात ख़ास तौर से क़ाबिले तारीफ़ है कि कोई अम्बेडकरवादी बिना बिदके कुछ ज़रूर सीख सकता है।
मोदी सरकार की ‘मेक इन इण्डिया’ की नीति ने चीन जैसे देशों के लिए बड़ी सहूलियत पैदा कर दी है। उन्हें अपने देश के अत्यधिक प्रदूषण पैदा करनेवाले और पुरानी तकनीक पर आधारित उद्योगों को भारत में ढीले और लचर श्रम क़ानूनों की बदौलत यहाँ खपा देने का मौक़ा मिल गया है। पिछले तीन दशकों से चीन में लगातार जारी औद्योगिकीकरण ने चीन की आबोहवा को इस कदर प्रदूषित कर डाला है कि वहाँ के कई शहरों में वायु प्रदूषण के चलते हमेशा एक धुन्ध जैसी छायी रहती है। यह किस ख़तरनाक हद तक मौजूद है इसे सिर्फ़ इस बात से समझा जा सकता है कि यहाँ एक क्यूबिक मीटर के दायरे में हवा के प्रदूषित कण की मात्र 993 माइक्रोग्राम हो गयी है जबकि इसे 25 से अधिक नहीं होना चाहिए। एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 16 तो चीनी शहर ही हैं और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में इसका स्थान तीसरा है। चीन के पर्यावरण के लिए ये महाविपदा साबित हो रही हैं।
एक सपने को टालते रहने से क्या होता है ”यह अंधेरा कालिख की तरह स्मृतियों पर छा…
लुधियाना के गौशाला, कशमीर नगर, माधोपुरी के पावरलूम मजदूरों का संघर्ष पावरलूम मजदूरों का श्रम कार्यालय पर निर्णायक धरना गौशाला, कशमीर नगर, माधोपुरी के पचास से…
23 सितंबर को धरना देते पावरलूम मजदूर लुधियाना के गौशाला, कशमीर नगर और माधोपुरी इलाके में जारी 52 पावरलूम कारखानों के सैकड़ों मजदूरों की हड़ताल आज भी किसी नतीजे तक…
आज कारखाना मजदूर यूनियन ने गौशाला, कशामीर नगर, माधोपुरी आदि इलाकों के 50 से भी अधिक पावरलूम कारखानों के हड़ताली मजदूरों की माँगें मनवाने के लिए श्रम विभाग पर विशाल…