मुनाफ़े की अन्धी हवस में हादसों में मरते मजदूर
मानव
पिछली 25-28 फरवरी के बीच रूस की राजधानी मास्को से 1600 कि.मी. उत्तर-पूर्व में स्थित कोमी प्रान्त की सेवेरनाया कोयला खदान में विस्फोट होने से तकरीबन 36 मज़दूर मारे गये।| मरने वालों की उम्र 24 से 55 साल के बीच बताई गयी है। घटनास्थल पर पहुंचे रूसी उप-प्रधान मंत्री आर्केडी द्वोरकोविच और कंपनी मैनेजर के अनुसार यह हादसा प्राकृतिक कारणों की वजह से हुआ। द्वोरकोविच के मुताबिक सरकारी जांच में पाया गया है कि खान में मीथेन गैस का स्तर खतरे के स्तर से नीचे था, इसीलिए कारण के तौर पर कंपनी की ओर से चूक का होना नज़र नहीं आ रहा। लेकिन इस तरह के विस्फोटों के मामले एक विशेषज्ञ अलेक्सांद्र गेरुसोव के अनुसार यदि सारे सुरक्षा प्रबंध सही काम कर रहे हों तो हादसों की संभावना शून्य हो सकती है। उनके मुताबिक, 90% खान हादसे व्यवस्था में किसी गड़बड़ी के कारण होते हैं।
हादसे में मारे गये म़जदूरों के परिवार वाले और बचे हुए मज़दूर इन सरकारी दावों को सही नहीं मानते। एक मजदूर जो उन दिनों छुट्टी पर था उसका कहना था, “हर कोई जानता है कि पिछले कुछ महीनों से उस जगह पर मीथेन गैस की भारी मात्रा इकट्ठा हो चुकी थी लेकिन कंपनी प्रशासन की ओर से इसके बारे में कुछ नहीं किया गया।”
मारे गये एक मजदूर की बेटी दारिया तरियासुखो ने इंटरनेट पर हादसे से 2 हफ्ते पहले डाली एक फोटो से दिखाया कि मीथेन गैस का स्तर 2.5 था जबकि रूसी पैमानों के अनुसार यदि यह स्तर 1 से ऊपर हो जाये तो खतरे के दायरे में माना जाता है। इसी मज़दूर की पत्नी ने बताया, “हादसे से कुछ ही दिन पहले मेरे पति ने बताया था कि चट्टान फटने का खतरा है। हवा में गैस का स्तर बेहद ज्यादा था लेकिन प्रशासन ने गैस सुरक्षा संयन्त्रों को काम करने से रोकने के लिए हर प्रयास किये थे। उन्होंने सयन्त्रों को लपेट कर दबा दिया था। उन्होंने ऐसा इसीलिए किया था क्योंकि पूरा प्रबंध स्वचालित था और जब सेंसर चालु हो जाते थे तो काम अपने-आप बंद हो जाता था। उनको सिर्फ पैदावार चाहिए थी और कुछ नहीं, सुरक्षा को लेकर कोई भी चिंतित नहीं था। “
सेवेरनाया के एक और नागरिक माडलेना ने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों से जब लोग खान में काम करके आते थे तो उलटी, नाक से खून बहना जैसी समस्याएं पेश आती थीं। साथ ही लोगों ने बताया कि 2013 में इसी के साथ मौजूद एक और खान में विस्फोट के कारण 11 लोगों की जान चली गयी थी। उस जगह सुरक्षा मामलों का जो इंचार्ज था, उसी व्यक्ति को हादसे के बाद सेवेरनाया कोला खान में इसी जिम्मेदारी पर लगा दिया गया था।
सेवेरनाया कोयला खान, रूस के पांचवें सब से अमीर व्यक्ति अलेक्सी मोरदाशोव की संपत्ति है। इसलिए उसके ऊपर कोई कार्रवाई होगी, इसके बारे में संदेह ही है। बल्कि उसने तो कोयला खान को 6 महीनों की मरम्मत के बाद दुबारा चालू करने का भी ऐलान कर दिया है।
रूस में हुआ यह हादसा कोई पहला नहीं है और ना ही आखिरी होगा। हर साल विश्व में कोयला खान हादसों में 20,000 से ज्यादा मज़दूरों की मौत होती है और इसमें बड़ा हिस्सा चीन के भीतर होने वाले हादसों का होता है। भारत में भी अक्सर कोयला खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं में मज़दूरों की मौत होती रहती है। लगातार ऐसे हादसों का घटित होना इस पूरी मुनाफे पर टिकी हुई व्यवस्था का ही परिणाम है जिसमें मुनाफ़े के आगे इंसान की जान की कोई क़ीमत नहीं है। हादसों के बाद प्रशासन और सरकारों की ओर से सुरक्षा को लेकर कुछ दिखावटी फैसले किये जाते हैं लेकिन कुछ ही समय बाद मुनाफे के आगे ऐसे फैसलों की असल औकात दिख जाती है और काम फिर से पहले की तरह चलता रहता है। मुनाफे पर टिकी हुई इस पूरी व्यवस्था को उखाड़ कर ही ऐसे हादसों की संभावना को बेहद कम किया जा सकता है।
मज़दूर बिगुल, मार्च-अप्रैल 2016
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