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(बिगुल के दिसम्बर 2001 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला : यह समय अन्धराष्ट्रवादी उन्माद में बहने का नहीं, तर्क और विवेक से निकली राहों पर आगे बढ़ने का है
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
एनरॉन को दिवाला निकला : पूँजी के गंदे खेल का एक और घिनौना चेहरा सामने आया / योगेश पन्त
विशेष लेख / रिपोर्ट
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और संयुक्त क्रान्तिकारी जन परिषद, नेपाल की ओर से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपील / बाबुराम भट्टराई
संघर्षरत जनता
ईस्टर के मज़दूर आन्दोलन की राह पर : नौ मज़दूर निलम्बित, कारखाने में प्रवेश वर्जित
छात्राओं द्वारा हास्टल खाली कराये जाने का विरोध : सब्र का बांध टूटा, गुस्से का लावा फूटा
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
होण्डा पावर प्रोडक्टस में शिफ्टिंग के खिलाफ : संघर्ष कांटे का है लेकिन संगठित ताकत और इलाकाई एकता के दम पर जीत मज़दूरों की होगी
महान शिक्षकों की कलम से
बोझ से छुटकारा पाओ और मशीनरी चालू करो / माअो
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
पोटो का दानवी खेल शुरू, पुलिसिया मनमानापन और बढ़ा : इस काले कानून को दफ्न करने के लिए आगे आओ
पी.डब्ल्यू.जी. और एम.सी.सी. पर पोटो के तहत प्रतिबन्ध : सरकार ने साबित किया कि आतंकवाद नहीं जनसंघर्ष ही असली निशाना है
सुप्रीम कोर्ट ने बाल्को सौदे को सही ठहराया : थैलीशाहों की हिफाजत में खड़ी न्यायपालिका
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
उ.प्र. विधानसभा चुनाव में भाजपा का चुनावी कार्ड : देशभक्ति के भरोसे या दोनों के भरोसे
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
साम्राज्यवादी लुटेरों की ऊपरी एकता लेकिन अन्दरखाने में तकरार
दक्षिण एशिया में साम्राज्यवादी दखलन्दाजी : साम्राज्यवाद खुद को एक दावानल से घेर रहा है
नेपाल में आपातकाल और भारतीय हस्तक्षेप का विरोध करो
लेखमाला
पार्टी की बुनियादी समझदारी (अध्याय-5) ग्यारहवीं किश्त
लेनिन के साथ दस महीने – नौवीं किश्त / एल्बर्ट रीस विलियम्स
कारखाना इलाक़ों से
बेहद खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं यूरेनियम खदान मज़दूर : सुविधाओं में लगातार कटौती और छंटनी की तलवार सिर पर
गतिविधि रिपोर्ट
दिल्ली में सम्मेलन : जाने-माने साहित्यकारों-पत्रकारों ने कहा भारत नेपाल में दखलन्दाजी से बाज आये
कला-साहित्य
बेताल उवाच : “आज मैं भी आचार संहिता तोड़ूँगा राजन” / राम अवतार
कविता : अंधेरे के सभी लोगों के लिए सूर्य के फल हों / पाब्लो नेरूदा
उद्धरण
माओ का एक उद्धरण
मज़दूरों की कलम से
मालिक मालामाल मज़दूर बेहाल / एक मज़दूर, लुधियाना
जागो संघर्ष करो / खेमकरन साहनी, रुद्रपुर
एक मज़दूर दूसरे मज़दूर के खिलाफ क्यों है / विजय कुमार पटेल, लुधियाना
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन