Table of Contents
बिगुल के नवम्बर-दिसम्बर 1996 अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अक्टूबर क्रान्ति की मशाल बुझी नहीं है, बुझ नहीं सकती : अमर नहीं है पूँजीवाद, उसका संहार होगा नई समाजवादी क्रान्ति के हाथों
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
डाक-तार कर्मचारियों की सात दिनों की सफल हड़ताल : कुछ जरूरी सबक : इस जीत को एक नई शुरूआत का मुकाम बनाओ, एक कठिन लड़ाई का संकटपूर्ण दौर अभी आगे आने वाला है / ओ.पी. सिन्हा
स्त्री मज़दूर
अक्टूबर क्रान्ति के दिनों की वीरांगनाएं / अलेक्सांद्रा कोल्लोन्ताई
बाल मज़दूर
श्रम की लूट पर टिकी व्यवस्था में ‘बचपन बचाया’ नहीं जा सकता : भूमण्डलीकरण की नीतियों के साथ बाल मज़दूरों के बर्बर शोषण में भारी वृद्धि / प्रांजल फीचर सेवा
फिरोजाबाद के कांच व चूड़ी कारखाने में जानलेवा स्थितियों में खटते हैं 80 हजार बच्चे
अलीगढ़ के ताला और मुरादाबाद के पीतल उद्योग में 75 हजार बाल मज़दूर
लेखमाला
कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन और उसका ढांचा (तीसरी किश्त) / व्ला.इ. लेनिन
बोल्शेविकों ने सत्ता पर कब्जा कैसे किया? (पहली किश्त)
कला-साहित्य
कविता – 7 नवम्बर : जीतों के दिन की शान में गीत / पाब्लो नेरूदा
लेनिन की कविता का अंश
लेनिन (कविता का एक अंश) / सुकांत भट्टाचार्य
आपस की बात
आपस की बात / 1. का गणपत लाल, बेगूसराय 2. कलाधर, पूर्णिया
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन