फ़तेहाबाद, हरियाणा के मनरेगा मज़दूर संघर्ष की राह पर
बिगुल संवाददाता
हरियाणा के ज़िला फ़तेहाबाद के मनरेगा मज़दूरों ने 6 फरवरी को विभिन्न जन-संगठनों के साझा मोर्चे के समर्थन से बड़ी जुटान की और जुलूस तथा डी.सी. कार्यालय पर धरने का आयोजन किया।
हरियाणा की भाजपा सरकार ने ग्रामीण मज़दूरों को ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारण्टी योजना’ के तहत काम देना बन्द कर दिया है। केन्द्र सरकार ने भी अपने अन्तरिम बजट में मनरेगा के तहत दी जाने वाली राशि में भारी कटौती की है। आने वाले समय में इसमें और कटौती की जानी है। मनरेगा के तहत होना तो यह चाहिए था कि रोज़गार गारण्टी को साल में 100 दिन से और ज़्यादा बढ़ाया जाता किन्तु केन्द्र सरकार ने इसे 34 दिन करने का प्रस्ताव रखा है। पहले भी मनरेगा के तहत होने वाले घोटाले आये दिन अख़बारों की सुर्खियाँ बनते थे और मज़दूरों को अपनी मेहनत का फल लेने के लिए ही चक्कर लगाने पड़ते थे। इस योजना के तहत ख़र्च होने वाली धनराशि का बड़ा हिस्सा दलालों और बिचौलियों के पेट में चला जाता था लेकिन इस सबके बावजूद ग्रामीण मज़दूरों के लिए रोज़गार की गारण्टी थोड़ी राहत तो देती ही थी। इस योजना को भी सरकारों ने खैरात में नहीं दे दिया था बल्कि लम्बे संघर्षों के बाद ही यह हासिल हुई थी। आज केन्द्र के साथ-साथ भाजपा की राज्य सरकारें भी मज़दूर विरोधी क़दम उठा रही हैं। एक तरफ़ तो श्रमेव जयते की नौटंकी होती है तो दूसरी तरफ़ मज़दूरों के रहे-सहे अधिकारों को भी छीना जा रहा है। ऐसे में मज़दूरों के पास अपने अधिकारों को लेकर सड़कों पर उतरने के सिवाय कोई चारा नहीं रह गया है। हरियाणा के ग्रामीण मज़दूरों में भाजपा की राज्य सरकार के खि़लाफ़ भारी असन्तोष है। बड़ी संख्या में मनरेगा मज़दूरों ने उक्त विरोध प्रदर्शन में भागीदारी की और अपनी माँगों को लेकर एस.डी.एम. को ज्ञापन सौंपा। हरियाणा ग्रामीण मज़दूर मोर्चा, शहीद भगतसिंह नौजवान सभा, नौजवान भारत सभा, देहाती मज़दूर संगठन आदि जनसंगठनों ने इस आयोजन में शिरकत की। हरियाणा की ग्रामीण मज़दूर आबादी को किस तरह से गोलबन्द किया जाये, यह रिपोर्ट लिखे जाने तक इस बात पर आगे की योजना बन ही रही थी।
मज़दूर बिगुल, फरवरी 2015
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