निर्माण मज़दूर यूनियन (नरवाना, हरियाणा) द्वारा निःशुल्क मेडिकल कैम्पों का आयोजन
हरियाणा संवाददाता
गत 30 दिसम्बर को निर्माण मज़दूर यूनियन द्वारा नौजवान भारत सभा के सहयोग से निःशुल्क मेडिकल कैम्पों का आयोजिन किया गया। पहला कैम्प शहीद भगतसिंह चौक पर लगाया गया तथा दूसरा निर्माण मज़दूर यूनियन के कार्यालय पुराने बस अड्डे के पास लगाया गया। दो डॉक्टर साथियों ने कैम्प के लिए अपना समय दिया। कैम्पों में करीब 400 लोगों के स्वास्थ्य की जाँच की गयी, उन्हें दवाइयाँ वितरित की गयी और स्वास्थ्य के सवाल पर जागरूक किया गया। अधिकतर लोग मौसमी बीमारियों से ग्रसित थे और देखे गये लोगों में से लगभग 70-80 प्रतिशत कुपोषण का शिकार थे, जिनमें मज़दूरों के मामले सबसे अधिक थे। निर्माण मज़दूर यूनियन के सचिव रमेश ने बताया कि लोगों के दवा-इलाज का प्रबन्ध करना सरकार की ज़िम्मेदारी होती है, क्योंकि जनता अपनी हर ज़रूरत के सामान पर अप्रत्यक्ष कर भरती है जो अप्रत्यक्ष कर कुल बजट का लगभग 85-90 प्रतिशत हिस्सा होता है, लेकिन लोकतन्त्र के नाम पर पूँजीवादी सरकारें हमेशा ही आम जनता के साथ शिक्षा-चिकित्सा और रोज़गार जैसे मुद्दों पर भद्दा मज़ाक़ करती रही हैं। जन स्वास्थ्य के नाम पर खस्ताहाल अस्पताल और बदइन्तज़ामी का आलम एकदम साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। दवा कम्पनियों और भ्रष्ट डॉक्टरों का गठजोड़ लोगों को सिर्फ़ कमाई के एक ज़रिये के रूप में इस्तेमाल करता है। लोगों की मेहनत की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा आज दवाओं पर ही ख़र्च हो जाता है। सरकार पूरी तरह दवा कम्पनियों के हित में काम कर रही है। पिछले दिनों सरकार ने 108 दवाओं को मूल्य नियन्त्रण में लाने के फ़ैसले पर रोक लगा दी। हालिया बजट में स्वास्थ्य पर सिर्फ़ 35 हज़ार करोड़ रुपया ख़र्च हुआ है लेकिन बड़े कॉरपोरेट घरानों को 5 लाख 32 हज़ार करोड़ की प्रत्यक्ष छूट दे दी गयी। हाल ही में भाजपा ने स्वास्थ्य बजट में से 20 फ़ीसदी की कटौती करके कोढ़ में खाज का काम किया है। बेशक स्वास्थ्य के बुनियादी हक़-अधिकारों को जनएकजुटता और संघर्ष के द्वारा ही हासिल किया जा सकता है। सरकारों के मुँह की तरफ़ निहारने से कुछ नहीं होने वाला। इसीलिए जनता को लगातार स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी जागरूक किये जाने की ज़रूरत है। कैम्प के दौरान इस मुद्दे पर पर्चा वितरण भी किया गया। कैम्प के लिए दवाओं का इन्तज़ाम भी जनसहयोग के द्वारा ही किया गया और डॉक्टर साथियों ने भी सहयोग में ही अपना समय दिया। इसके अलावा नौजवान भारत सभा के नरवाना इकाई के वालंटियरों ने व्यवस्थागत प्रबन्ध किया।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2015
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