(बिगुल के जून 2010 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

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सम्पादकीय

भोपाल हत्याकाण्ड : कटघरे में है पूरी पूँजीवादी व्यवस्था – भोपाल पर अदालती फैसले ने नरभक्षी मुनाफाखोर व्यवस्था, पूँजीवादी राजनीति और पूँजीवादी न्याय को नंगा कर दिया है

अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

यूनानी मजदूरों और नौजवानों के जुझारू आन्दोलन के सामने विश्व पूँजीवाद के मुखिया मजबूर – यूरोपीय आर्थिक संघ के संकट ने खोली वित्तीय संकट से उबरने के दावों की पोल! जनता नहीं उठायेगी सट्टेबाजों, आर्थिक लुच्चों-लफंगों के जुए का बोझ / अभिनव

छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति 2009-2014 : पूँजीवादी लूट व शोषण और मेहनतकश ग़रीबों के विस्थापन के लिए रास्ता साफ करने का फरमान

संघर्षरत जनता

चीन में मजदूर संघर्षों का नया उभार – मजदूर हड़तालों के अनवरत सिलसिले से चीनी शासकों और दुनियाभर के पूँजीपतियों की नींद उड़ी / सत्‍यप्रकाश

मज़दूर आंदोलन की समस्याएं

कॉमरेड के ”कतिपय बुध्दिजीवी या संगठन” और कॉमरेड का कतिपय ”मार्क्‍सवाद” – दिल्ली के बादाम मजदूरों का ऐतिहासिक आन्दोलन और मजदूर आन्दोलन की भावी दिशा / अभिनव

लेखमाला

कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (चौथी किस्त) – अन्तरिम सरकार और संविधान सभा / आलोक रंजन

कारखाना इलाक़ों से

मालिकों के लिए हम सिर्फ मुनाफा पैदा करने की मशीन के पुर्जे हैं / आनन्द, बादली औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली

औद्योगिक दुर्घटनाएं

टेक्सटाइल मजदूर प्रेमचन्द उर्फ पप्पू की मौत महज एक हादसा नहीं – कारख़ाना मालिकों की मुनाफे की हवस और लापरवाही का अगला शिकार कहीं आप तो नहीं? / राजविन्‍दर

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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