लुधियाना में मज़दूरों के लिए पुस्तकालय की स्थापना
बिगुल संवाददाता, लुधियाना
उत्पादन की प्रक्रिया यानी प्रकृति से संघर्ष से ही ज्ञान पैदा होता है। उत्पादन प्रक्रिया में मुख्य भूमिका उत्पादक वर्ग की होती है। कहने का अर्थ है कि सारे ज्ञान और संस्कृति को पैदा करने वाले मेहनतकश लोग ही हैं। लेकिन वे ही हर तरह के ज्ञान और संस्कृति से वंचित हैं। आज के समय में वे मशीनों के पुर्जे बनकर रह गये हैं। पूँजी की अन्धी लूट ने आधुनिक मज़दूर वर्ग को एक अमानवीकृत समूह बना दिया है। मज़दूर वर्ग तक ज्ञान और संस्कृति को लेकर जाना मुक्ति की नयी परियोजना का एक अहम हिस्सा है। इसी सोच को व्यावहारिक रूप देने के लिए लुधियाना की मज़दूर कालोनी में मज़दूर पुस्तकालय की शुरुआत की गयी है।
पिछली 10 जुलाई को चण्डीगढ़ रोड, लुधियाना स्थित मज़दूर बस्ती ई.डबल्यू.एस. कालोनी में मज़दूर पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में लगभग पाँच सौ मज़दूर पहुँचे। पुस्तकालय का उद्घाटन बुज़ुर्ग वामपंथी तथा देशभगत यादगार हाल कमेटी, जालन्धर के उपाध्यक्ष कामरेड नौनिहाल सिंह जी ने किया। समारोह की शुरुआत पुस्तकालय के मुख्य प्रबन्धक साथी राजविन्दर ने क्रांतिकारी गीत पेश करके की। इसके बाद मज़दूर पुस्तकालय के उद्देश्य के बारे में बताते हुए मज़दूर संगठनकर्ता लखविन्दर ने कहा कि जिस तरह मज़दूर वर्ग को पूँजीपति वर्ग ने अन्य सभी चीजों से वंचित रखने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दी उसी तरह उन्हें ज्ञान से भी वंचित कर दिया गया है। मज़दूरों को ही ज्ञान की सबसे अधिक ज़रूरत है क्योंकि दुनिया की ऐतिहासिक कायापलट करने का काम अब इसी वर्ग के कन्धों पर है। लखविन्दर ने कहा कि मज़दूर पुस्तकालय की स्थापना मज़दूरों तक मुक्ति का ज्ञान पहुँचाने के प्रयासों का ही एक छोटा-सा अंग है।
कामरेड नौनिहाल सिंह ने मज़दूर साथियों से कहा कि मज़दूरों में चेतना फैलाने की यह कोशिश बहुत प्रशंसनीय है और उम्मीद ज़ाहिर की कि मज़दूरों की ओर से उनके लिए स्थापित किये गये इस पुस्तकालय के लिए अच्छा उत्साह दिखायेंगे। देशभगत यादगार हाल के पुस्तकालय के इंचार्ज चिरंजीवी लाल ने कहा कि उन्होंने मज़दूरों को अपनी आर्थिक माँगों व मसलों पर तो को जुटते देखा है लेकिन एक पुस्तकालय के उद्घाटन के मौके पर इतनी दिलचस्पी और अनुशासित ढंग से एकत्रित होते हुए देखने का अवसर उन्हें पहली बार मिला है। मज़दूरों को जागृत करने के लिए पुस्तकालय स्थापित किया जाना एक अच्छा कदम है।
उद्घाटन समारोह में साथी ताज मोहम्मद ने मज़दूर मुक्ति की कविता पेश की तथा घनश्याम, नसीम तथा अन्य मज़दूर साथियों ने भी अपने विचार पेश किये।
मज़दूर बिगुल, जूलाई 2011
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