(मज़दूर बिगुल के अगस्‍त-सितम्‍बर 2011 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

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सम्पादकीय

पूँजीवादी व्यवस्था को ख़त्म किये बिना भ्रष्टाचार मिट नहीं सकता! – अण्णा हज़ारे का आन्दोलन झूठी उम्मीद जगाता है

अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिकी साम्राज्यवाद का कर्ज़ संकट / सुखविन्‍दर

गोबिन्दपुरा ज़मीन अधिग्रहण काण्ड – विकास के नाम पर पूँजीपतियों की सेवा / लखविन्‍दर

संघर्षरत जनता

मारुति सुज़ुकी के मज़दूर फ़िर जुझारू संघर्ष की राह पर

हड़ताल: मेट्रो के सफ़ाईकर्मियों ने शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की

लुधियाना में टेक्सटाइल मज़दूरों की पंचायत – फ़ौलादी एकजुटता की ज़रूरत समझी मज़दूरों ने

साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्‍धराष्‍ट्रवाद

ब्रिटेन में ग़रीबों का विद्रोह – संकटग्रस्‍त दैत्‍य के दुर्गों में ऐसे तुफ़ान उठते ही रहेंगे / सत्‍यप्रकाश

स्‍वास्‍थ्‍य

ग़रीबों की जान से खेलकर होती है दवाओं की परख / डॉ. अमृत

लेखमाला

कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (बारहवीं किस्त) – प्रस्तावना में जोड़े गये “समाजवादी” शब्द की बेशर्म धोखाधड़ी / आलोक रंजन

माँगपत्रक शिक्षणमाला – 8 स्त्री मज़दूर सबसे अधिक शोषित-उत्पीड़ित हैं (दूसरी किस्‍त)

मज़दूर बस्तियों से

करावल नगर के मज़दूरों ने बनायी इलाक़ाई यूनियन

गतिविधि रिपोर्ट

तृतीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी की रिपोर्ट – सत्ता के बढ़ते दमन और जनता के मूलभूत अधिकारों के बढ़ते हनन के विरुद्ध व्यापक आधार वाला एकजुट जनवादी अधिकार आन्दोलन खड़ा करना आज समय की माँग है!


 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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