पटना में दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान

बिगुल संवाददाता

देश के विभिन्न इलाक़ों में क्रान्तिकारी राजनीति का प्रचार-प्रसार करने और लोगों को संगठित करने की मुहिम में एक और डग भरते हुए, ‘दिशा छात्र संगठन’ और ‘नौजवान भारत सभा’ के कार्यकर्ताओं ने बिहार के पटना ज़िले में 15 और 16 मार्च को शहीदेआज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 80वें शहादत दिवस के मौक़े पर दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान चलाया।

पिछले क़रीब डेढ़ दशक से दिशा और नौ.भा.स. के कार्यकर्ता देश के विभिन्न इलाक़ों में रेल अभियान, नुक्कड़ सभा, सांस्कृतिक सन्ध्या जैसे आयोजनों के माध्यम से क्रान्तिकारी विचारों का प्रचार-प्रसार करने की मुहिम में पुरज़ोर तरीक़े से जुटे हुए हैं। इसी क्रम में, पटना में पहली बार चलाये गये इस अभियान में, शहर के स्थानीय छात्र और युवा भी शामिल हुए।

15 मार्च को सीने पर क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान बिल्ला लगाये और हाथों में पर्चा लिये, दिशा और नौ.भा.स. के नौ सदस्यीय दस्ते ने अपरान्ह 12 बजे पटना शहर के बीचो-बीच गंगा नदी के साथ लगे हुए अशोक राजपथ मार्ग पर अभियान की शुरुआत की। अभियान के दौरान रास्ते में ‘भगतसिंह तुम ज़िन्दा हो, हम सबके संकल्पों में!’, ‘भगतसिंह का ख़्वाब, इलेक्शन नहीं इन्क़लाब!’, ‘भगतसिंह का सपना आज भी अधूरा, छात्र और नौजवान इसे करेंगे पूरा!’ जैसे नारे गूँजते रहे। इसके बाद क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किया गया।

फिर लोगों को सम्बोधित करते हुए, इस बात को पुरज़ोर तरीक़े से रखा गया कि भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद, बिस्मिल, अश्फाकउल्ला ख़ाँ एवं इनसे जुड़ी पूरी क्रान्तिकारी धारा किसानों, मज़दूरों और देश के ग़रीब मेहनतकश आवाम के बेटे-बेटियों के नायक थे और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने और उनके अधूरे सपने को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भी इन्हीं के कन्धों पर है। यह भी कहा गया कि अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से तो 1947 में छुटकारा मिल गया, पर देश की 85 फ़ीसदी आबादी आज भी देशी पूँजीपतियों के हाथों तबाह-बर्बाद हो रही है और ऐसे में आज फिर से एक नयी आज़ादी की लड़ाई का बिगुल फूँकने की ज़रूरत है, जो पूरे सत्ता की बागडोर मज़दूरों-किसानों के हाथ में सौंप दे। यही हमारे क्रान्तिकारियों का असली सपना था और यही आज देश की ज़रूरत है।

इसी तरह, 16 मार्च को भी नुक्कड़ों-चैराहों पर रुककर अभियान चलाया गया और पर्चा बाँटा गया। लोगों ने बड़ी संख्या में अभियान दस्ते की बात सुनी और पर्चा लिया, और साथ ही अभियान को और आगे बढ़ाने के लिए बढ़-चढ़कर आर्थिक सहयोग भी किया और बहुत से नौजवानों ने संगठन से जुड़ने की मंशा ज़ाहिर की। इस गर्मजोशी भरी प्रतिक्रिया ने अभियानी दस्ते का उत्साहवर्धन किया, और एक बार फिर इस बात को भी रेखांकित किया कि इस देश की मेहनतकश जनता भगतसिंह को आज भी अपना सच्चा नायक मानती है।

 

 

मज़दूर बिगुल, मार्च 2011

 


 

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