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(मज़दूर बिगुल के मार्च 2024 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-ख़बरों आदि को यूनिकोड फ़ॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
केन्द्रीय एजेंसियाँ बनी भाजपा के हाथों की केन्द्रीय कठपुतलियाँ! / भारत
विशेष लेख / रिपोर्ट
ईवीएम पर भरोसा क्यों नहीं किया जा सकता!
‘भगतसिंह जनअधिकार यात्रा’ का दूसरा चरण : समाहार रपट
संघर्षरत जनता
दिल्ली के करावल नगर में जारी बादाम मज़दूरों का जुझारू संघर्ष : एक रिपोर्ट / प्रियम्वदा
समाज
सरकार के ग़रीबी हटाने के दावे की असलियत / ध्रुव
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
बवाना औद्योगिक क्षेत्र में हड़ताली मज़दूरों का दमन / भारत
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
चण्डीगढ़ मेयर चुनाव: फ़ासीवादी दौर में मालिकों के लोकतन्त्र का फूहड़ नंगा नाच / अविनाश
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
ऐतिहासिक अन्याय, विश्वासघात और षड्यंत्र के ख़िलाफ़ जारी है फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष! / लता
पर्यावरण / विज्ञान
मज़दूरों के हालात
देश के निर्माण मज़दूरों की भयावह हालत, एक क्रान्तिकारी बैनर तले संगठित एकजुटता ही इसका इलाज / आदित्य
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन