मथुरा रिफ़ाइनरी के संविदा श्रमिक पिछले 1 सितम्बर से आन्दोलनरत हैं!
हाल ही में मथुरा रिफ़ाइनरी के 18 संविदा श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया। रिफ़ाइनरी मैनेजमेण्ट और ठेकेदार के घृणास्पद गठबन्धन के ख़िलाफ़ मज़दूर 1 सितम्बर से ही धरने पर बैठे हैं। नये ठेकेदार ने आते ही इन श्रमिकों को काम पर से निकाल दिया था। मज़दूरों का कहना है कि खाते में आने वाले वेतन का आधा हिस्सा यदि ठेकेदार को वापस करेंगे तभी उनको काम पर रखा जायेगा। मज़दूरों द्वारा इस शर्त को न मानने के कारण उनको काम से निकाल दिया गया।
अन्य औद्यौगिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले मज़दूरों की तरह ही मथुरा रिफ़ाइनरी में भी छँटनी की प्रक्रिया मनमाने ढंग से की जाती है। इस तरह से की जाने वाली छँटनी और ठेकेदार द्वारा काम पर से निकाले जाने के विरोध में मज़दूरों के प्रतिनिधिमण्डल से रिफ़ाइनरी मैनेजमेण्ट मिलने तक को तैयार नहीं है। निकाले गये मज़दूर रिफ़ाइनरी में तीस से भी अधिक वर्षों से कार्यरत हैं और इन्हें इस तरह बिना किसी कारण के निकाला जाना बिल्कुल अन्यायपूर्ण है।
बीते 26 अक्टूबर को निकाले गये संविदा श्रमिकों ने टाउनशिप चौराहे से टाउनशिप गेट तक चेतावनी रैली का आयोजन किया, जिसका समर्थन बिगुल मज़दूर दस्ता ने भी किया और उनके संघर्ष में हर क़दम पर रहने का आश्वासन भी दिया। इसके बाद से ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ के साथी मज़दूरों के सम्पर्क में बने हुए हैं।
यह आन्दोलन जारी है।
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2022
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन