चण्डीगढ़ में मज़दूरों के बीच सघन प्रचार अभियान

पिछले 7 से 11 नवम्बर के दरमियान चण्डीगढ़ में मज़दूरों के विभिन्न रिहायशी इलाक़ों में ‘मज़दूर बिगुल’ का प्रचार अभियान चलाया गया। इस दौरान रिहायशी इलाक़ों और चण्डीगढ़ के मज़दूरों की कार्यस्थितियों की जाँच पड़ताल भी की गयी। प्रचार टीम ने नुक्कड़ सभाओं, लेबर चौक पर सभा, रास्तों पर हाँक लगाकर तथा व्यक्तिगत बातचीत के माध्यम से मज़दूर साथियों को अख़बार से परिचित कराया। मज़दूरों ने बिगुल अख़बार के प्रति ख़ासी दिलचस्पी दिखायी। इन 4-5 दिनों के दौरान ही सैकड़ों अख़बारों का वितरण किया गया।
बिगुल मज़दूर दस्ता, चण्डीगढ़ के शुभम रौतेला ने बताया कि चण्डीगढ़ वैसे तो अपनी सुनियोजित बसावट और ख़ूबसूरती के लिए काफ़ी मशहूर है और शहर में घूमते-फिरते हुए आपको यह नहीं पता चलेगा कि इस शहर को चमकाने और चलाने वाली आबादी किन स्थितियों में रहती है। लेकिन जैसे ही हम हल्लोमाजरा, राम दरबार कॉलोनी, विकासनगर कॉलोनी, धनास, डड्डू माजरा, मनी माजरा इत्यादि इलाक़ों में जायेंगे तो हमें साफ़ पता चल जायेगा कि चण्डीगढ़ की लाखों-लाख मेहनतकश आबादी किन हालात में रहती है। ये श्रमिक चण्डीगढ़ के औद्योगिक इलाक़ों, वर्कशॉपों, भवन निर्माण, दुकानों-शोरूमों में और घरेलू कामगार के तौर पर काम करते हैं। ठेका, दिहाड़ी, मासिक वेतन व पीसरेट पर कार्यरत अधिकतर मज़दूरों को न तो न्यूनतम वेतन ही नसीब होता है और न ही इन्हें आठ घण्टे कार्यदिवस, ईएसआई, ईपीएफ़ और ओवरटाइम का डबल रेट से भुगतान ही मिलता है।
चण्डीगढ़ में अकुशल श्रमिक का सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन 413 दैनिक और 10,747 रुपये मासिक है। इसी तरह कुशल श्रमिक का 455 दैनिक और 11,822 रुपये मासिक है। हालाँकि यह वेतन जीने की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए भी अपर्याप्त है लेकिन ज़्यादातर मज़दूरों को तो इतना भी नहीं मिलता है।
देश के मज़दूर वर्ग से चण्डीगढ़ के मज़दूरों के हालात कुछ अलग नहीं हैं। यहाँ भी श्रमिकों में इस शोषणकारी व्यवस्था के ख़िलाफ़ रोष तो है लेकिन ज़्यादातर मज़दूर असंगठित हैं। मालिक, प्रशासन और पूरी व्यवस्था के गठजोड़ के सामने मज़दूर ख़ुद को असहाय पाते हैं। चण्डीगढ़ के मज़दूर सही राजनीतिक लाइन पर संगठित होकर जुझारू संघर्षों के ज़रिए ही अपने हक़-अधिकार हासिल कर सकते हैं। मेहनतकश जनता के शोषण पर आधारित पूँजीवादी व्यवस्था को ढहाकर मानवकेन्द्रित व्यवस्था के निर्माण में अगुआ भूमिका भी मज़दूर वर्ग की होगी। आने वाले दिनों में निश्चय ही चण्डीगढ़ की श्रमिक आबादी वर्गसचेत व संगठित होगी और पूँजीवादी व्यवस्था द्वारा लादी गयी नियति को धता बताकर देश के मज़दूरों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ेगी। लेकिन इसके लिए मज़दूरों के बीच राजनीतिक चेतना के प्रचार-प्रसार के लिए सतत् काम करने और उन्हें जुझारू यूनियनों और क्रान्तिकारी संगठनों में संगठित करने के लिए जीजान से काम करने की ज़रूरत है।

मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2021


 

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