केहिन फ़ाई प्राइवेट लिमिटेड की स्त्री मज़दूरों का संघर्ष जारी
ऑटोमोबाइल सेक्टर की केहिन फ़ाई प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी की महिलाएँ पिछले सेटलमेंट के तहत बढ़ी हुई सैलरी और एक साल से लम्बित नया सेटलमेंट करने की माँग करने पर कम्पनी मैनेजमेंट द्वारा किये गये अन्यायपूर्ण निलम्बन और महिलाओं के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ पिछली 15 फ़रवरी से कम्पनी गेट पर धरने पर बैठी हैं। लगातार बाहर ठण्ड में सोने और दिन में गर्मी में बैठने से संघर्षरत मज़दूरों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। सड़क पर धूल-मिट्टी सेहत पर बुरा असर डाल रही है। जिसके चलते एक महिला मज़दूर की सेहत बिगड़ी और इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा।
महिला मज़दूरों ने बताया कि वे पिछले पन्द्रह सालों से इस कम्पनी में काम कर रही है और उन्हें अपने साथ हो रहे अन्याय, शोषण और उत्पीड़न के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए आज मज़बूर होना पड़ा है। उन्होंने साफ़ कहा कि कम्पनी मैनेजमेंट के कई लोग उन्हें कम्पनी विज़िटर के साथ अनैतिक सम्बन्ध बनाने का दबाव तक बनाते हैं।
केहिन फ़ाई प्राइवेट लिमिटेड एक वेण्डर कम्पनी है, जो हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले के बावल में स्थित है और होण्डा टू व्हीलर के लिए कार्बोरेटर, ट्रोटल बॉडी व फ़्यूल इंजन बनाती है। बावल के अलावा इसका पुणे (महाराष्ट्र) में भी प्लांट हैं।
कम्पनी प्रबन्धन और नेतृत्व के साथियों के बीच श्रम विभाग की मौजूदगी में समझौता वार्ता जारी है लेकिन अभी तक दोनों पक्षों के बीच समझौता नहीं हो पाया है। उल्टा कम्पनी बदले की भावना से 10 महिला मज़दूरों को, जिसमें 8 नेतृत्वकारी महिला मज़दूर शामिल हैं, सस्पेण्ड कर चुकी है।
मज़दूरों में एकजुटता की कमी का मैनेजमेंट फ़ायदा उठा रहा है। 50 से अधिक महिला मज़दूर काम करने के लिए अन्दर चली गयी हैं और क़रीब इतनी ही मज़दूर धरने पर नहीं आ रही हैं। इसके अलावा क़रीब 900 ठेका, डिप्लोमा, आईटीआई श्रेणी की मज़दूरों के साथ भी संघर्षरत मज़दूरों की एकता नहीं बन पायी है। ऐसे में प्रबन्धन विभिन्न तरीक़ों से मामले को लम्बा खींचकर मज़दूरों को थकाने-भटकाने की कोशिश में कामयाब रहा है।
परमानेण्ट मज़दूरों के हर तीन साल में होने वाले माँगपत्रक को लेकर सेटलमेण्ट करने में कम्पनी प्रबन्धन काफ़ी जोड़-तोड़ करता है, ताकि किसी तरीक़े से मज़दूरों की वेतन वृद्धि को कम से कम किया जाये। इस बार कम्पनी प्रबन्धन ने मज़दूरों की सापेक्षिक रूप से तनख़्वाह बहुत कम बढ़ाई है, और प्रोडक्शन टारगेट को भी बढ़ा दिया है।
कम्पनी के परमानेण्ट मज़दूरों का सेटेलमेण्ट वर्ष 2020 में होना था। लेकिन कोरोना की वजह से यह टलता गया। लॉकडाउन खुलने के बाद जब महिलाओं ने कम्पनी से नये माँगपत्रक के अनुरूप सेटेलमेण्ट की माँग की तो उल्टे कम्पनी प्रबन्धन ने मज़दूरों से अण्डरटेकिंग (सादे काग़ज़ पर हस्ताक्षर) भरने को कहा। मज़दूरों द्वारा मना करने के बाद कम्पनी प्रबन्धन ने सभी स्थायी महिला मज़दूरों के लिए गेट बन्द कर दिया और कम्पनी गेट के आस-पास कंटीले तार लगा दिये व बैरिकेडिंग कर दी। बाद में मीडिया में मामला उछलने पर कंटीली तारें हटायीं।
ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के साथी लगातार संघर्ष स्थल पर मौजूद रहे हैं। लेकिन नेतृत्व न तो अपनी यूनियन की सभी महिला साथियों से और न ही अन्य यूनियनों के नेतृत्व व सहयोगी व्यक्तियों से तालमेल बैठा पा रहा है। अगर नेतृत्व ही संकीर्ण सोच वाला और नौसिखिया व्यवहार करेगा तो संघर्ष में दिक़्क़त आयेगी। दूसरे, महज़ स्थायी मज़दूर अपनी माँगों के लिए संघर्ष कर रही हैं, जबकि बाक़ी 900 मज़दूरों का माँगपत्र में ज़िक्र तक नहीं है। इसलिए वे संघर्ष में साथ भी नहीं हैं।
मज़दूर बिगुल, मार्च 2021
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