बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्याओं में भारी बढ़ोत्तरी
भयावह बेरोज़गारी और ग़रीबी में बढ़ोत्तरी के कारण भारत में दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। 2019 में देश में हुई कुल आत्महत्याओं में दिहाड़ी मज़दूरों का हिस्सा 23.4 प्रतिशत रहा। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल की तुलना करें तो यह छह साल पहले के मुक़ाबले दोगुना है। देश में 2019 में कुल 139,123 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 32,563 लोग दिहाड़ी मज़दूर थे।
तमिलनाडु में सबसे अधिक 5,186 दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की। उसके बाद महाराष्ट्र में 4,128, मध्य प्रदेश में 3,964, तेलंगाना में 2,858 और केरल में 2,809 दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की।
ये आँकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किये हैं। संस्था ने पहली बार 2014 में दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या का आँकड़ा देना शुरू किया था। उस साल कुल आत्महत्याओं में दिहाड़ी मज़दूरों का हिस्सा 12 फ़ीसदी था। 2015 में बढ़कर यह 17.8 फ़ीसदी, 2016 में 19.2 फ़ीसदी, 2017 में 22.1 फ़ीसदी और 2018 में बढ़कर 22.4 फ़ीसदी हो गया।
दूसरी तरफ़, 2019 में देश में जितने लोगों ने आत्महत्या की उसमें से बेरोज़गारों का हिस्सा 10.1 फ़ीसदी रहा। 25 सालों में यह पहली बार हुआ है जब बेरोज़गारों की आत्महत्या का हिस्सा दो अंकों में पहुँचा हो। 2019 में देश में 14,019 बेरोज़गारों ने आत्महत्या की। यह पिछले साल के मुक़ाबले 8.37 प्रतिशत अधिक है। 2018 में 12,936 बेरोज़गारों ने आत्महत्या की थी।
हालाँकि ये आँकड़े वास्तविक स्थिति से कम ही रहते हैं फिर भी इनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में बेरोज़गारी के हालात किस क़दर जानलेवा हो चुके हैं।
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