ये झूठ है! झूठ है! झूठ है!
22 दिसंबर को नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली के दौरान कहा था: डिटेंशन सेंटर की अफ़वाहें हैं; यह झूठ है, झूठ है, झूठ है।
24 दिसम्बर को अमित शाह ने कहा: डिटेंशन सेंटर सतत प्रक्रिया है, अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखते हैं। शाह ने कहा: 6 साल में एनआरसी पर कोई बात नहीं हुई। लेकिन संसद में और कई चुनावी रैलियों में अमित शाह ने कहा था: ये मानकर चलिए, एनआरसी आने वाला है। आप क्रोनोलॉजी समझिए। पहले सीएए आयेगा और फिर पूरे देश में एनआरसी लागू होगा।
इससे पहले 27 नवंबर को राज्यसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने असम के डिटेंशन सेंटरों में 28 लोगों की मौत होने की बात सही बताया था। उसके बाद कम से कम दो और लोगों की मृत्यु की ख़बर आ चुकी है।
अन्तरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कर्नाटक में भी एक डिटेंशन सेंटर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है। कई और राज्यों में डिटेंशन सेंटर बन रहे हैं। रॉयटर्स की सितंबर में आयी रिपोर्ट के मुताबिक, असम के गोलपाड़ा में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3 हजार लोगों को रखा जा सकता है। अगस्त 2016 में सरकार ने भी लोकसभा में बताया था कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं।
गृह मंत्रालय ने जनवरी 2019 में राज्यों को डिटेंशन सेंटरों के बारे में नियमावली भी भेजी थी।
मज़दूर बिगुल, फ़रवरी 2020
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