कार्ल लीब्कनेख़्त और रोज़ा लग्ज़म्बर्ग : जीवन के अन्तिम घण्टे
बुधवार, 15 जनवरी 1919 को कार्ल लीब्कनेख़्त और रोज़ा लग्ज़म्बर्ग की हत्या कर दी गयी थी। बर्लिन के एक उपनगर विल्मर्सडोर्फ़ के बर्गरगरवेहर (सिविल गार्ड) ने लीब्कनेख़्त के गुप्त ठिकाने पर छापा मारकर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। दोनों को बर्लिन में ईडन होटल में ले जाया गया जो कि घुड़सवार पुलिस का स्टाफ़ हेडक्वाटर था।
हत्यारे काम में लगे हैं, उनके दुश्मन अब उनके क़ब्ज़े में हैं। उनकी नज़र में लीब्कनेख़्त है एक यहूदी, लीब्कनेख़्त, स्पार्टकस लीग वाला, लीब्कनेख़्त, आन्दोलनकर्ता और विद्रोही, वह शख्स जिसका कोई देश नहीं, वह शख्स जो सबकुछ बराबर कर देना चाहता है, वह व्यक्ति जो औरतों का राष्ट्रीकरण कर देना चाहता है, वह व्यक्ति जो पैसों को ख़त्म कर देना चाहता है। वहीं लीब्कनेख़्त अब उनके कब्ज़े में है।
रोज़ा लग्ज़म्बर्ग उनके क़ब्ज़े में है। रोज़ा लग्ज़म्बर्ग, पोलैंड की यहूदी, रोज़ा लग्ज़म्बर्ग, स्पार्टकस लीग वाली, आन्दोलनकर्ता, विद्रोही, रोज़ा लग्ज़म्बर्ग, लाल रोज़ा, ख़ूनी रोज़ा। रोज़ा लग्ज़म्बर्ग उनके क़ब्ज़े में है।
और जर्मन गणराज्य के साम्राज्यवादी अफ़सर ख़ुशी से हाथ मलते हैं। कैप्टन फ़्लुंक-हार्टुंग, लेफ़्टीनेंट स्टाइज, लीपमान, फ़ॉन रिएट्जेन, शुल्ज़ और हाइन्ज़ फ़्लुंक-हार्टुंग अपने हाथ मलते हैं। कैप्टन हॉफ़मन, पाब्स्ट और लेफ़्टीनेंट वोगेल और जैगर ज़ु फ़र्ड रुंगे दरवाज़े पर खड़े हैं। हत्यारों के लिए सबकुछ अच्छा चल रहा है।
”सुअर! वह मोआबिट (जेल) तक ज़िन्दा नहीं पहुँचेगा।” ”रोज़ा भी नहीं।”
जैगर रुंगे ने कार में बैठे लीब्कनेख़्त के सिर पर पीछे से दो बार राइफ़ल के कुन्दे से वार किया। वह रोज़ा लग्ज़म्बर्ग के सिर पर भी वार करता है। वह गिर जाती हैं। रुंगे दोबारा मारता है, और उन्हें मरी समझकर छोड़ देता है। कार लीब्कनेख़्त को लेकर अँधेरी रात में आगे चली जाती है, लेकिन मोआबिट की दिशा में नहीं, बल्कि टियरगार्टेन (बर्लिन के बीचोबीच घने जंगली भाग वाला एक बड़ा पार्क) में। एक अँधेरी सड़क पर यह रुकती है। अर्द्धबेहोश व्यक्ति से कहा जाता है कि मोटर ख़राब हो गयी है, और पूछा जाता है कि क्या वह चल सकता है। हथियारबन्द सैनिक उन्हें घेर लेते हैं, और उन्हें अँधेरे जंगल में और भीतर ले जाया जाता है। फिर उसे एक वार से नीचे गिरा दिया जाता है, एक गोली की आवाज़ और रात में जंगल कराह उठता है।
लीब्कनेख़्त को लेफ़्टीनेंट लीपमान एक प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ‘’अज्ञात व्यक्ति, मरा पड़ा मिला’’ के रूप में पहुँचा देता है।
बेहोश रोज़ा लग्ज़म्बर्ग को घसीटकर दूसरी कार में ले जाया गया है। ओबर-लेफ़्टीनेंट वोगेल ख़ून से सनी स्त्री के पास बैठा है। एक व्यक्ति पिस्तौल के कुन्दे से फिर उनके सिर पर मारता है। ओबर-लेफ़्टीनेंट वोगेल अपनी पिस्तौल उनके सिर से लगाता है और गोली से उनका भेजा उड़ा देता है। वे कार लेकर लैंडवेहर नहर तक जाते हैं और उनके मृत शरीर को पुल पर से अँधेरे जल में फेंक देते हैं।
हत्यारे अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, ”लीब्कनेख़्त भागने की कोशिश में गोली से मारा गया।” आगे वे लिखते हैं, ”रोज़ा लग्ज़म्बर्ग नाराज़ भीड़ के हाथों मारी गयी।”
हत्यारे ईडन होटल में शराब की दावत करते हैं। उनके फ़ोटोग्राफ़ लिये जाते हैं। वे मुस्कुराते हैं। वे अपने हाथ मलते हैं। वे सुरक्षित हैं, कोई उन्हें हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करेगा। हत्यारों के लिए अभी सबकुछ अच्छा चल रहा है।
ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार ‘द कम्युनिस्ट रिव्यू’, 24 जनवरी, वर्ष 4, अंक 9 में प्रकाशित
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2019
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