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(मज़दूर बिगुल के जनवरी 2018 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
बेहिसाब बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानता / मुकेश असीम
मोदी और पेट गैस की गोलियों में क्या संबंध है! / मुकेश असीम
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
न्यायिक व्यवस्था का संकट और फ़ासिस्ट आतंक राज / कविता कृष्णपल्लवी
विशेष लेख / रिपोर्ट
संघर्षरत जनता
केजरीवाल सरकार के मज़दूर और ग़रीब विरोधी रवैये के ख़िलाफ़ आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने उठायी आवाज़!
लुधियाना में 9 वर्ष की बच्ची के अपहरण व क़त्ल के ख़िलाफ़ मेहनतकशों का जुझारू संघर्ष
समाज
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
यमन संकट और अन्तरराष्ट्रीय मीडिया की साज़िशी चुप्पी / मानव
मज़दूर बस्तियों से
कड़कड़ाती ठण्ड और ‘स्मॉग’ के बीच मज़दूर वर्ग का जीवन / शिशिर गुप्ता
गतिविधि रिपोर्ट
पंजाब के 60 से अधिक जनवादी-जनसंगठनों ने काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ तालमेल फ़्रण्ट बनाया
लुधियाना पुलिस कमिशनरी में धरना-प्रदर्शनों पर पाबन्दी के ख़िलाफ़ व्यापक संघर्ष का ऐलान
ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व क़त्ल काण्ड-2014 की पीडि़ता शहनाज़ की तीसरी बरसी पर श्रद्धांजलि समागम
कला-साहित्य
सावित्रीबाई फुले की कुछ कविताएँ
भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ के अंश
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन