बादाम मज़दूर यूनियन के संयोजकों पर हमला, पुलिस ने गुण्डो की जगह संयोजकों को ही गिरफ्तार किया
करावल नगर के बादाम मज़दूर कल से मज़दूरी बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। आज सुबह क़रीब 1500 महिला-पुरुष मज़दूर अपनी मांग के समर्थन में यूनियन के संयोजक आशीष तथा अन्य लोगों की अगुवाई में इलाकाई पैमाने का जुलूस निकाल रहे थे। ये मज़दूर प्रति बोरा 40 रुपये की बेहद मामूली दरों पर ठेकेदारों के लिए काम करते हैं। आन्दोलन के बढ़ते जनसमर्थन से बौखलाए बादाम ठेकेदारों ने सुबह क़रीब 11:30 बजे अपने गुण्डो से जुलूस पर हमला करा दिया। हमले में आशीष, कुणाल और प्रेमप्रकाश बुरी तरह घायल हो गये। ठेकेदारों की बर्बरता से बौखलाए मज़दूरों ने इस पर ज़बर्दस्त प्रतिरोध किया।
इस पूरे मामले में करावल नगर पुलिस की भूमिका साफ़तौर पर मज़दूर विरोधी दिखी। पुलिस दिनभर जहां एक ओर मज़दूरों की लिखित नामजद तहरीर पर एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन देती रही, वहीं शाम 7 बजहे तक ठेकेदार और उनके गुण्डो के खिलाफ न तो एफआईआर ही दर्ज हुई और न ही घायल मज़दूरों का मेडिकल मुआयना कराया गया। उल्टे पुलिस ने बादाम मज़दूर यूनियन के संयोजक आशीष तथा कुणाल और प्रेमप्रकाश को धारा 107/151 के तहत गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस की इस अंधेरगर्दी से पूरे क्षेत्र के मज़दूरों में गुस्से की लहर दौड़ गयी। इस पूरे इलाके में क़रीब 25,000 मज़दूर बादाम तोड़ने का काम करते हैं। इन मज़दूरों के ठेकेदार बेहद निरंकुश हैं और क़रीब-क़रीब मुफ्त में मज़दूरों से काम करवाने के आदि हैं। बादाम मज़दूर यूनियन ने गुण्डों द्वारा मारपीट और पुलिस की मालिक परस्त भूमिका की तीखे शब्दों में निंदा की है। यूनियन ने बताया कि कल एक प्रतिनिधिमण्डल पुलिस के उच्चाधिकारियों से मिलेगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। युनियन का कहना हैकि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे आन्दोलनात्मक रुख अपनाने के लिए तैयार रहेंगे।
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन
jindgi kabhi darti nahi. haar kya jeet kya yeh samjhati nahi. honge kabhi khushio ke pal hamari jholi mein. yeh wada hai hamara us duniya se jisne kabhi harna nahi sikha.
Inqlab Zindabad