इटली में धुर-दक्षिणपन्थी ज्यॉर्ज्या मेलोनी के आम चुनाव में जीत के मायने
सनी
इटली में धुर-दक्षिणपन्थी ज्यॉर्ज्या मेलोनी की पार्टी ब्रदर्स ऑफ़ इटली के नेतृत्व में दक्षिणपन्थी गठबन्धन की सरकार बनने जा रही है। इटली की जनता के एक बड़े हिस्से ने राष्ट्रवादी और प्रवासी-विरोधी प्रचार में बहकर धुर-दक्षिणपन्थी मेलोनी और अन्य दक्षिणपन्थियों को चुनाव में बहुमत दिया है। ख़ास तौर पर उत्तरी इटली के सफ़ेद कॉलर मज़दूरों और निम्न मध्यवर्ग ने बड़े स्तर पर मेलोनी को वोट किया है। मेलोनी ने न सिर्फ़ बरलोस्कुनी के फ़ोर्जा इतालिया और मात्तियो साल्वीनी के दक्षिणपन्थी लीग के दक्षिणपन्थी वोट आधार का एक हिस्सा पाया है बल्कि 2018 में सरकार में आयी फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी के निम्न मध्यवर्गीय वोटरों को भी आकर्षित किया है। संकट से त्रस्त जनता ने मेलोनी की प्रवासी-विरोधी, ‘इटली और इटलीवासी पहले’ जैसी फ़िरकापरस्त सोच, इस्लाम-विरोधी और लीबिया पर नौसैनिक पाबन्दी सरीखी प्रतिक्रियावादी नारेबाज़ी को हाथों-हाथ लिया। पूरे यूरोप में इटली के मज़दूरों की आय सबसे कम है। ख़ासतौर पर दक्षिणी इटली में भयंकर ग़रीबी है। संकट का बोझ मज़दूरों पर डालने के लिए 2018 में सरकार ने श्रम क़ानूनों को लचीला बनाया था। कोविड संकट में चरमरायी स्वास्थ्य व्यवस्था और ग़रीबी के बाद अब ऊर्जा संकट के चलते अभूतपूर्व महँगाई ने आम जनता की कमर तोड़कर रख दी थी।
रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण रूस ने यूरोप को दी जाने वाली प्राकृतिक गैस रोक दी है। प्राकृतिक गैस ही यूरोपीय देशों में बिजली और सर्दियों में गर्मी के इन्तज़ाम का स्रोत है। इसकी ऊँची क़ीमत का बोझ यूरोपीय देशों की ग़रीब जनता पर ही आया है। पहले से मौजूद आर्थिक संकट और अधिक गहरा गया है। इटली में मुद्रास्फिति नौ प्रतिशत तक जा पहुँची है। आर्थिक संकट के ही राजनीतिक संकट में तब्दील होने के कारण पिछले चार साल में तीन सरकारें गिर चुकी हैं और सही विकल्प के अभाव में एक अधिक धुर-दक्षिणपन्थी पार्टी की नेता सत्ता में पहुँच रही है। कोविड के संकट में बनी द्राघी सरकार में फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी, डेमोक्रेटिक पार्टी और बरलोस्कुनी की पार्टी और लीग शमिल थी। इस सरकार से पहले भी फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी और जनवादी पार्टी सरकार में रहे थे जो 2019 में लीग और फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी के गिरने पर बनी सरकार थी। इस राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान मेलोनी सभी गठबन्धन सरकारों के विपक्ष में थी और विकल्प के तौर पर ख़ुद को पेश कर रही थी। इसका भी मेलोनी को फ़ायदा मिला और मौजूदा चुनाव में मेलोनी की पार्टी को सबसे अधिक वोट प्राप्त हुए हैं।
मेलोनी की पार्टी फ़ासीवादी नहीं है। मेलोनी ख़ुद फ़ासीवादी विचारधारा के जनक मुसोलिनी की प्रशंसक रही है और नौजवानी में नव फ़ासिस्ट ग्रुप का हिस्सा भी रही है परन्तु उसकी मौजूदा पार्टी एक धुर-दक्षिणपन्थी पार्टी है। इसका न ही काडर-आधारित संगठन है और न ही स्पष्ट फ़ासीवादी विचारधारा है। निश्चित ही, जनता के असन्तोष की लहर पर ही उसे वोट मिले हैं परन्तु उसे सत्ता में लाने वाला कोई निम्नमध्यवर्गीय संगठित प्रतिक्रियावादी आन्दोलन नहीं है। मेलोनी के बरक्स भारत में आरएसएस में यह तीनों चारित्रिक अभिलाक्षणिकताएँ मौजूद हैं।
मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ़ इटली के नारे ज़रूर घनघोर प्रतिक्रियावादी हैं। वह ईसाई इटली को इस्लामिक प्रवासियों द्वारा इस्लामीकरण से बचाने का नारा देती है। वह पुलिसिया यंत्रणा को सही क़रार देती है। इटली में जन्मे प्रवासियों के बच्चों को नागरिक मानने वाले क़ानून को ख़त्म करना चाहती है। अभी तक यूरोपियन यूनियन से अलग होने का राग अलापने वाली मेलोनी अचानक इस सवाल पर चुप हो गयी है। दरअसल यह एक घनघोर मज़दूर-विरोधी और पूँजीपरस्त नेता और पार्टी है जिसका मक़सद मेहनतकश जनता को धर्म और प्रवासी बनाम ग़ैर-प्रवासी के नाम पर बाँटकर पूँजीपति वर्ग की सेवा करना है और मेहनतकश अवाम के सामने इस्लाम और प्रवासियों को नक़ली शत्रु के तौर पर खड़ा कर असल मुद्दों को धूमिल करना है।
मेलोनी ग़रीब जनता के लिए ‘नागरिक मज़दूरी’ (सिटिज़न वेज) के प्रावधान को हटाकर नौकरी देने का वायदा कर रही है। वह ट्रम्प की तरह इटली में इटलीवासियों के लिए नौकरी वापस लाने का नारा दे रही है। ‘नागरिक मज़दूरी’ को निकम्मों और भ्रष्टाचारियों द्वारा इस्तेमाल करने का जुमला उछाल वह मोदी की ही तरह देश के मज़दूरों को “आत्मनिर्भर” होने का नारा दे रही है। ‘नागरिक मज़दूरी’ की बेहद मामूली मदद फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी ने शुरू की थी जिस कारण इस चुनाव में भी दक्षिणी इटली की ग़रीब जनता के बल पर इसे 15 प्रतिशत तक वोट मिल गये। परन्तु उसकी पार्टी का वोट आधार का एक हिस्सा भी मेलोनी के पास स्थानान्तरित हुआ है। दरअसल मेलोनी की राजनीति की ज़मीन फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी और अन्य दलों की राजनीति के घिसने से ही बनी है। 2018 के चुनाव में फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी सरकार में आयी थी और चुनाव से पहले गठबन्धन सरकार में भी शामिल थी। इस पार्टी ने कोविड से पहले ग़रीबी की मार झेल रही जनता के समक्ष कई लुभावने जुमले छोड़े थे और जनता के समक्ष ‘आम आदमी पार्टी’ की तरह इसके वायदे भी सभी वर्गों के लिए थे और पूँजीपति वर्ग और विशेषकर छोटे व मँझोले पूँजीपति वर्ग को छोड़कर किसी को कुछ नहीं देते थे। फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट पार्टी ने धुर-दक्षिणपन्थी लीग के साथ सरकार बनायी थी। ग़रीबों के पक्ष में किये गये वायदे सरकार बनने के बाद से ही लीग और फ़ाइव स्टार के एजेण्डे से ग़ायब हो गये। सरकार बनने की प्रक्रिया में ही लीग द्वारा पेश शर्तों ने यह साफ़ कर दिया कि सरकार चलाने में उसकी मंशा क्या है। 2019 में बनी दूसरी गठबन्धन सरकार और फिर द्राघी सरकार के दलों के वोट के कम होते जाने के साथ ही मेलोनी का उभार हुआ है।
इटली में भी यह बात साबित हुई है कि मौजूदा साम्राज्यवादी विश्वप्रणाली में गहराते आर्थिक संकट ने साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा को बेहद तीखा किया है और तमाम देशों में दक्षिणपन्थी या फ़ासीवादी प्रतिक्रिया को मज़बूत किया है। सही सर्वहारा राजनीतिक लाइन को अमल में उतार सकने वाली क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट पार्टी के अभाव में तमाम दक्षिणपन्थी पार्टियाँ, फ़ासीवादी पार्टियाँ निम्न मध्यवर्ग को लोकरंजक नारों और उनके संकट को दूर करने के ख़्वाब दिखाकर सत्ता में पहुँच रही हैं। फ़ासीवाद ‘अच्छे दिनों’ के सपनों के साथ मिथकों और मिथ्या दुश्मनों को पेश करता है जो उसकी फ़ासीवादी विचारधारा के अनुरूप होता है। वहीं तमाम धुर-दक्षिणपन्थी पार्टियाँ भी इसके आसपास ऐसे ही नारों और व्यवहारवादी राजनीति का अनुपालन करते हुए जनता को मूर्ख बनाती हैं। 2008 के संकट और उसके बाद यूरोपीय सार्वभौम ऋण संकट के गहराने के कारण यूरोप में निम्न मध्यवर्गीय राजनीति की तमाम रंग की पार्टियों का उभार हुआ जिसमें लोकरंजकतावादी वाम के छोर पर यूनान की सिरिज़ा थी तो वामपन्थ के सबसे दक्षिण सिरे पर फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट। हालाँकि फ़ाइव स्टार मूवमेण्ट ने कभी अपने को वामपन्थी नहीं कहा परन्तु इसने जनता पर किफ़ायतसारी की नीतियाँ लागू करने का विरोध किया, सार्वभौम ऋण को ख़त्म करने की बात कही और तमाम भ्रष्ट और बेईमान नेताओं की जगह जनता के भागीदारी वाले जनवाद पर आधारित राज्य की स्थापना की बात कही थी। इसके कई लक्षण आम आदमी पार्टी से मिलते-जुलते हैं। तमाम लोकलुभावन नारे देकर आज यह पार्टी एक भयंकर मज़दूर-विरोधी पार्टी के साथ सत्ता में शामिल है। लम्बी मन्दी के दौरान एक-एक पार्टी जनता के समक्ष नंगी होती जा रही है और क्रान्तिकारी राजनीति के अभाव में धुर-दक्षिणपन्थ और फ़ासीवाद की ज़मीन भी मज़बूत हो रही है। हंगरी में ओरबान, स्पेन में वाक्स से लेकर फ़्रांस में मेरी लॉ पेन सरीखे धुर-दक्षिणपन्थी नेताओं की राजनीतिक ज़मीन मज़बूत हुई है। आर्थिक संकट के तात्कालिक तौर पर टलने का आसार नहीं है जिसका बोझ मज़दूर वर्ग पर डालने का काम 2018 से बनी इटली की हर सरकार करती रही है। इस प्रतिक्रिया की लहर का मुक़ाबला क्रान्तिकारी पार्टी के नेतृत्व में संगठित मज़दूर वर्ग ही कर सकता है। आज इटली से लेकर दुनियाभर में मज़दूर वर्ग के समक्ष यही चुनौती है।
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2022
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