अघोषित छँटनी : नपीनो में स्थायी मज़दूरों की छँटनी की तरफ़ बढ़ते क़दम!

शाम

मानेसर (हरियाणा) के सेक्टर 3 के प्लाट नम्बर 7 में स्थित ‘नपीनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड’ (एटक से सम्बद्ध) के 271 महिला व पुरूष मज़दूर 14 जुलाई से कम्पनी कार्यस्थल पर ही मशीनों पर काम रोककर 24 घण्टे दिन-रात धरने पर बैठे थे। पिछले 4 सालों से लम्बित अपने सामूहिक माँगपत्रक को लागू करवाना और निलम्बित 6 साथियों की कार्यबहाली इनकी मुख्य माँगें हैं। कम्पनी प्रबन्धन, यूनियन और श्रम विभाग की त्रिपक्षीय वार्ताओं के बावजूद नपीनो प्रबन्धन अपने अड़ियल रवैये और बदले की दुर्भावना के कारण मज़दूरों की जायज़ माँगों को मानने की बजाय उल्टा सुविधाओं में कटौती करने पर अड़ा हुआ था। इसके विरोध में पिछले महीने की 29 जुलाई को नपीनो आटो के श्रमिकों की माँगों के समर्थन में टी.यू.सी. के द्वारा संस्थान गेट पर सभा की गयी थी! उससे पहले 27 जुलाई 2022 को टी.यू.सी. (ट्रेड यूनियन काउन्सिल) द्वारा मज़दूरों और कम्पनी प्रबन्धनों के बीच चल रहे विवादों के जल्द से जल्द निपटारे के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री को तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन दिया गया था।

ताज़ा घटनाक्रम

ज्ञात रहे कि 20वें दिन भी आई.एम.टी. मानेसर में नपीनो के महिला व पुरुष मज़दूरों की हड़ताल को पुलिसिया आतंक और दमन से ख़त्म कर किया गया था। भारी पुलिस फ़ोर्स तथा पुलिस की बस, वैन और कम्पनी की बसें बुला ली गयी थीं। हड़ताल को ग़ैर-क़ानूनी घोषित करके कार्रवाई करने का दवाब बनाया गया था। उप श्रम आयुक्त (गुरुग्राम) के द्वारा (संस्थान के लिए न्यायालय द्वारा पारित निषेधाज्ञा आदेश (इंजक्शन ऑर्डर), के अनुसार संस्थान के भीतर एवं गेट से 200 मीटर की दूरी तक यूनियन कोई भी गतिविधि नहीं कर सकती) के आदेश पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति एवं थाना अध्यक्ष की देखरेख में संस्थान में कारख़ाने को श्रमिकों से मुक्त करवाया गया। तब पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में श्रम विभाग की तरफ़ से उप श्रम आयुक्त (डिप्टी लेबर कमीशनर), सर्किल II, गुरुग्राम, प्रबन्धन और यूनियन प्रतिनिधियों की तरफ़ से लिखित समझौता हुआ था। हड़ताल के दौरान और पहले से निलम्बित मज़दूरों के निलम्बन को निरस्त किया गया था। प्रबन्धन मज़दूरों के ख़िलाफ़ बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करेगा। तीन-चार दिन की छुट्टी के बाद मज़दूरों को काम पर वापस बुलाया जायेगा। लेकिन प्रबन्धन अपने सभी वायदों से मुकर गया है। न काम पर वापस लिया गया, न निलम्बन (सस्पेंशन) को वापस लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि उल्टा प्रबन्धन ने चालाकी और धोखे से कुछ मशीनों को मानेसर में ही दूसरे प्लाण्ट से कुछ दूरी पर शिफ़्ट भी कर दिया है। इसी प्लाण्ट के अस्थायी मज़दूरों से उत्पादन भी करवाया जा रहा है। जिससे छँटनी की मंशा साफ़ हो जाती है।

मौजूदा स्थिति

3 अगस्त को प्रदर्शन करके दोबारा उपायुक्त महोदय को ज्ञापन दिया गया और घोषणा की गयी थी कि जब तक सम्मानजनक समझौता नहीं होगा, आन्दोलन जारी रहेगा। हालाँकि इसमें नपीनो के मज़दूर शामिल नहीं हुए थे। तब एटक के प्रतिनिधियों और टी.यू.सी. के प्रतिनिधियों को यह जीत की तरह लग रहा था। लेकिन मज़दूरों के न आने की ठोस वजह अब साफ़ हो गयी है। मज़दूरों को शक था कि कम्पनी कोई गड़बड़ी कर सकती है, जो कि सही साबित हुआ।
ऐसे में एक तरफ़ अभी श्रम विभाग, शासन-प्रशासन कुछ भी करने को तैयार नहीं है। दूसरी तरफ़ मज़दूर यूनियनों के साझा मंच, उस वक़्त इससे जुड़ी हुई यूनियनें बाहर से दबाव बना पाने में अभी तक असफल रही हैं। गुड़गाँव, मानेसर से लेकर धारूहेड़ा और बावल तक की कई कम्पनियों के प्रबन्धन और मज़दूरों के मुद्दे पर प्रबन्धन का हाथ ऊपर ही रहा है। इसके अलावा इसी नपीनो प्लाण्ट में पिछली बार हुई हड़तालों के दौरान प्रबन्धन अपने वायदों से मुकर गया था। गुड़गाँव व मानेसर के इलाक़े में इसी तरह से ग़ैर-क़ानूनी छँटनी और समझौता माँगपत्रकों को कई वर्षों से लम्बित (पेण्डिंग) देखा जा सकता है।
ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री काण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का मानना है कि :
एक, अभी भी पूरे मुद्दे पर मन्थन करने की ज़रूरत है और पूरी सूझबूझ के साथ संघर्ष की योजना बनाकर आगे बढ़ने की ज़रूरत है। दूसरा, जब तक कोई निर्णायक और असरदार क़दम नहीं उठाया जायेगा तब तक प्रबन्धन से लेकर श्रम विभाग, प्रशासन-शासन कुछ नहीं करने वाला है। जिसके बारे में पहले भी बार-बार आगाह किया जाता रहा है। तीसरा, पिछले दिनों के आन्दोलनों के संघर्षों और विवादों से सबक़ निकालकर आगे बढ़ना होगा। चौथा, शिकायत पत्र, ज्ञापन आदि की महज़ क़ानूनी माँगों तक न सीमित रहा जाये। संघर्ष दोनों टाँगों पर लड़ा जाता है चाहे क़ानूनी हो या ज़मीनी। मुख्य संघर्ष ज़मीनी होता है क्योंकि जब श्रम क़ानून नहीं थे तब ज़मीनी संघर्षों की बदौलत ही हक़ हासिल किये गये थे। पाँचवाँ, यह पहले तय किया गया था कि समाधान न निकलने की सूरत में मानेसर से गुड़गाँव पैदल मार्च निकाला जायेगा और आन्दोलन तेज़ किया जायेगा। अब फ़ैसला जल्दी लेने की ज़रूरत है, नहीं तो इस बीच प्रबन्धन कोई नयी चाल भी खेल सकता है। छठा, अब प्रदर्शन कहीं भी किया जाये, पैदल मार्च भी किया जाये, लेकिन जब तक कहीं पक्का धरना नहीं शुरू होगा तब तक कुछ नहीं होगा। महज़ श्रम विभागों, अदालतों, अधिकारियों, नेता-मंत्रियों के चक्कर काटने से कुछ नहीं होने वाला।
ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री काण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पहले से इस सवाल को बार-बार उठा रही है कि बिना व्यापक-जुझारू पेशागत (सेक्टरगत) और इलाक़ाई एकता के, प्रबन्धन की छँटनी और सरकारों का मुक़ाबला नहीं किया जा सकता है। यह एकता महज़ स्थायी मज़दूरों (चाहे कम्पनी यूनियनों और बिना कम्पनी यूनियनों) की नहीं बल्कि ठेका और तमाम अस्थायी मज़दूरों की एकता के दम पर ही सम्भव है। साझी समस्याओं और साझे दुश्मन के ख़िलाफ़ साझा माँगपत्रक, सांझा संघर्ष और एक समय के बाद पक्का मोर्चा लगाने ही होंगे। और अब नपीनो के मामले में एक बार फिर से बिना किसी देरी के आगे की कार्रवाई को अंजाम देना होगा। क्योंकि प्रबन्धन अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए कोई भी घटिया और घिनौनी चाल चल सकता है। प्रबन्धन से लेकर श्रम विभाग, प्रशासन-शासन लटकाकर, थकाकर, भरमारकर हमारे संघर्ष और एकता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री काण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन (AICWU) माँग करती है कि
1. प्रशासन बिना किसी शर्त के पुलिस फ़ोर्स को बाहर करे। बिना शर्त प्रबन्धन अपने मज़दूरों से किये वायदे और लिखित समझौता लागू करे।
2. प्रशासन और श्रम विभाग प्रबन्धन पर वायदे और समझौते के लिए दवाब बनाये ताकि मज़दूरों के साथ सम्मानजनक समझौते की कार्रवाई को अमल में लाया जा सके।


 

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