पंजाब सरकार एक और काला कानून ‘पकोका’ लाने की तैयारी में
गुण्डागर्दी बहाना है! जन संघर्ष निशाना है!

बिन्नी

विश्व का सब से बङा 1,46,385 शब्दों वाला लंबा-चौङा भारतीय संविधान पंजाबी कवि पाश के कहने अनुसार आम लोगों के लिए मर चुकी हुई किताब से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। 66 साल से भी ज़्यादा समय में लागू हुए संविधान से अब लोगों के लिए समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्त, विश्वास, धर्म और पूजा की आज़ादी, इज़्ज़त जैसे मौकों पर बराबरी का राग और नहीं अलापा जा सकता। पिछले 66 वर्षों में साफ हो गया कि यह संविधान पूँजीपति वर्ग की सेवादार है और भारतीय हुक्मरानों के लिए राज करने का एक औजार है। 26 जनवरी, 1950 से अब तक संविधान में कितने ही बदलाव किए जा चुके हैं। कई धाराएं शामिल की गई, संशोधन किए गए और भंग किए गए पर देश की आधी से ज़्यादा आबादी देश के मेहनतकश लोगों की हालत गिरावट की ओर जा रही है। आज भारत की सरकार के पास ना तो लोगों के लिए स्वास्थय सहूलतें, शिक्षा और रोज़गार है और ऊपर से सारी सरकारी संस्थाओं का लगातार निजी हाथों में दिए जाने मेहनतकश लोगों को रोज़ाना जीवन की सहूलतों से भी वंचित कर रहा है और आज अलपसंख्यकों के आर्थिक और समाजिक स्तर को काफी गिरा दिया है। जिस देश की आधी से ज़्यादा आबादी यानी 77% रोज़ाना 20 रुपए दिहाङी पर गुज़ारा करती है, 3000 बच्चे रोज़ भूख से मरते हैं, 32 करोङ लोग भूखे सोते हो और 30 करोङ लोग बेरोज़गार हो वहां लोगों का सरकार खिलाफ रोष ज़ाहिर हो और अपनी मांगों को लेकर सरकार खिलाफ संघर्ष करना अनिवार्य है।

सोचा जाये तो अब सरकार लोगो की मांगों मस्लों का हल कैसे निकाले, फिर सरकार कानून का सहारा लेती हैं और ऐसे कानून बनाती है जिस से लोगों के रोष को दबाया जा सके और संघर्षों को कुचला जा सके। इसी मकसद से पंजाब सरकार गुंडागर्दी और अपराधों को काबू पाने के बहाने लोगों की थोङी बहुत आज़ादी को भी छीनने का एक और नया बहाना ढ़ूंढ़ कर ले आई। पंजाब सरकार बीती 12 जुलाई को विधान सभा में पकोका (पंजाब ऑरगनाइज़ड क्राइम कंट्रोल एक्ट) बारे विचार कर चुकी है। भले फिलहाल ऐसा सख्त कानून विधान सभा चुनावों के लिए मंहगा होने के डर से इसको अनुमति नहीं मिली है पर अनिवार्य है कि आने वाले समय में इसको सरकार ज़रुर ले कर आएगी।

आइये ज़रा जान लें कि यह कानून क्या कहता हैं?

-सरकार को गैंगस्टर या और अपराधियों को एक या दो साल तक बिना ज़मानत नज़रबंद रखे जाने का अधिकार है।

-किसी भी दोषी की ओर से डी.एस.पी स्तर के अधिकारी सामने दिए गए ब्यान को ही सही मानने की भी धारा है।

– बंद कमरे में अदालती कारवाई और विशेष अदालतें बनाने का अधिकार है।

-दोष सिद्ध होने के बाद 5 वर्ष से उमर कैद या फंसी तक की सज़ा और 1 से 5 लाख का जुर्माना।

– यह बिल डी.जी.आई या इस से ऊपरली पद्दवी के अधिकारी को किसी भी पकोका अपराधी को इस की धराओं से बाहर करने का अधिकार भी देता है।

– पुलिस द्वारा इकठ्ठे किए सारे इलैक्ट्रानिक सबूतों को 10 वर्ष तक गवाह के तौर पर मानने का अधिकार है।

अर्थात् किसी भी नागरिक को पुलिस प्रशासन इस कानून के आधार पर अपराधी करार दे कर उसको सज़ा दे सकता है। स्पष्ट है कि सरकार खिलाफ उठ रहे संघर्षों को सरकार पहले ही अपराध अफसपा, पंजाब सुरक्षा कानून, निजी और लोक संपत्ति नुकसान रोकथाम बिल तहत बताती है और इन अपराधों को कंट्रोल करना ही ऐसे कानून बनाए जाने का मुख्य मकसद है। साफ दिखता है कि सरकार की क्या मंशा है, बेरोज़गारी, मंहगाई, भ्रष्टाचार और जात-पाती दबाव का कोई हल नहीं है। इसीलिए सरकार अब लोक रोष को कानून के दम पर ही दबा सकाती है। पंजाब सरकार इसी साज़िश तहत पिछले वर्ष ही निजी और लोक संपत्ति नुकसान रोकथाम कानून पास कर चुकी है, जो लोगों के सरकार विरुद्ध अपने विचार प्रकट करने की बुनियादी अधिकार भी छीनता है।

इसके तथ्य भी किसी से लुके हुए नहीं हैं कि गुण्डे गिरोह तो सरकार की  शह पर ही पलती है। मिसाल के तौर पर भरतीय संसद मे बैठे भिन्न-भिन्न राज्यों के प्रतिनिधि की संख्या 543 है जिनमें से 186 पर अपराधिक मुकदमे दर्ज है, जिसमे कत्ल, या कत्ल करने की कोशिश, दंगे भड़काने, अगवा करने और औरतों के विरुद्ध अपराध के मामले हैं। अपनी पंजाब सरकार की बात करें तो बादल सरकार की निजी ऑरबिट बस सर्विस पर 2012 से लेकर अब तक अखबारी खबरों के अनुसार 26 से अधिक गुण्डागर्दी के केस दर्ज हो चुके हैं और पिछले वर्ष 30 अप्रैल को मोगा में 13 वर्ष की अर्षदीप और उसकी मां को बस स्टाफ द्वारा बस में से धक्का मारने की घटना को कौन भूल सकता है। जिस देश का हर तीसरा संसदी सदस्य ही अपराधी हो उनसे हम आस ही क्या रख सकते हैं कि यह गण्डागर्दी या अपराधों के लिए कभी संवेदनशील होंगे। दूसरे, यह कानून सरकार ने मकोका (महाराष्ट्र ऑरगनाइज़ड क्राइम कंट्रोल एक्ट) की तर्ज़ पर बनाया है जो पहले महाराष्ट्र सरकार ने 1999 से लागू किया हुआ है और हैरानी की बात तो यह है कि एन.सी.आर.बी (19अगस्त,2015) की रिपोर्ट अनुसार महाराष्ट्र अपराध और गुण्डागर्दी के एक वर्ष में 2,49,834 दर्ज मामलों के साथ देश का दूसरा सब से ज़्यादा अपराधों वाला राज्य रहा है। पंजाब सरकार के पकोका आने के साथ भी गुण्डा गिरोहों का ही भला होगा।

इससे साफ ज़ाहिर होता है कि सरकार असुरक्षा के डर से भविष्य की तैयारी के लिए लोगों की सरकार खिलाफ आवाज़ को दबाने के लिए सीधा लोगों को ही अपराधी करार देकर उनकी आवाज़ हमेशा के लिए बंद करने वाले काले कानून को लोगों पर सुरक्षा के नाम से थोपना चाहती है। इसलिए हमें अपने जनवादी हकों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा विचारे जा रहे इस काले कानून का डट कर विरोध करना चाहिए।

 

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त-सितम्‍बर 2016


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments