दिल्ली के शाहाबाद डेरी में मज़दूर बस्तियों के बगल में बनाये गये श्मशान को हटाने का संघर्ष और सरकारी तंत्र का मकड़जाल!
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सरकार की बदइंतज़ामी ने हजारों लोगों की असमय जान ली। मरने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि लाशों के लिए जगह कम पड़ गयी। कहीं लाशों को नदियों में बहाया गया तो कहीं नये-नये शमशान खोले जा रहे थे। ऐसा ही एक श्मशान अप्रैल महीने में उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शाहाबाद डेरी के रिहायशी इलाक़े में बनाया गया। तब दिल्ली में कोविड से मरने वालों की संख्या 4 से 5 हज़ार तक बतायी जा रही थी (ज़मीनी हकीकत इससे कहीं अधिक बदतर थी)।