एक दिन की हड़ताल जैसे अनुष्ठानों से फ़ासिस्टों का कुछ नहीं बिगड़ेगा
गहरे आर्थिक संकट की चपेट में भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही थी। मोदी की विनाशकारी आर्थिक नीतियों ने इसे और ख़स्ताहाल बना दिया और सरकार चलाने की बुर्जुआ योग्यता रखने वाले लोगों के इस सरकार में नितान्त अभाव के चलते अर्थतंत्र का कुप्रबन्धन चरम पर जा पहुँचा है। अडाणी और अम्बानी जैसे कुछ घराने मोदी सरकार से मनमाने फ़ैसले करवाकर इस संकट में भी मुनाफ़ा पीट रहे हैं मगर पूरा पूँजीपति वर्ग मुनाफ़े की गिरती दर के संकट से त्रस्त है और किसी भी तरह से मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए हाथ-पाँव मार रहा है।