Category Archives: सम्‍पादकीय

आरएसएस और भाजपा के निर्माणाधीन “हिन्दू राष्ट्र” में मज़दूरों की क्या जगह है?

अयोध्या में राम मन्दिर के भूमि पूजन के साथ शायद बहुत से मज़दूर भाई-बहन भी कुछ ख़ुश हुए होंगे। हो सकता है कि उनमें से भी कुछ को लगा हो कि अब रामराज्य की स्थापना हो रही है, अब “हिन्दू राष्ट्र” बन रहा है, अब शायद उन्हें तंगहाली, बेरोज़गारी और भूख-कुपोषण से मुक्ति मिल जायेगी। ऐसे में, हम आज के दौर की कुछ ठोस सच्चाइयों को आपके सामने रखना चाहते हैं और आपके मन में कुछ सवाल खड़े करना चाहते हैं।

कोरोना संकट : ज़िम्मेदार कौन है? क़ीमत कौन चुका रहा है?

दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ये शब्‍द लिखे जाने तक 2,33,000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से करीब 1200 मौतें भारत में हुई हैं। दुनिया में अब तक कुल 32.6 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 10.01 लाख ठीक हो गये हैं। भारत में कुल संक्रमित लोगों की संख्‍या अब तक 35 हज़ार पार कर चुकी है, जिनमें से 8,889 लोग ठीक हुए हैं। कोरोना संक्रमण के महामारी में तब्‍दील होने के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन घोषित किया गया है। आर्थिक गतिविधियाँ काफी हद तक रुक गयी हैं।

सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी जनान्दोलन को हिन्दुत्व फ़ासीवाद-विरोधी आन्दोलन की शक्ल दो!

दिल्ली चुनावों के बाद भाजपा सरकार के फ़ासीवादी हमले और भी तेज़ हो गये हैं। ऐसी ही उम्मीद भी थी। 8 फ़रवरी के बाद कुछ ही दिनों के भीतर दिल्ली में सरकारी मशीनरी की पूरी मिलीभगत के साथ मुसलमानों पर किये गये फ़ासीवादी हमले और दंगे के ज़रिये देश भर में नये सिरे से धार्मिक ध्रुवीकरण करने का प्रयास किया गया है।

आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा जनउभार है सीएए-एनआरसी विरोधी आन्दोलन

देश की जनता को बाँटने और एक बडी आबादी को सरमायेदारों को दोयम दर्जे का निवासी और सरमायेदारों का गुलाम बना देने के इरादे से देश पर थोपे जा रहे सीएए-एनआरसी के विनाशकारी ‘प्रयोग’ के विरुद्ध देशव्‍यापी आन्‍दोलन सत्ता के सारे हथकण्‍डों के बावजूद मज़बूती से डटा हुआ है और इसका देश के नये-नये इलाक़ों में विस्‍तार हो रहा है। दिल्‍ली का शाहीन बाग इस आन्‍दोलन का एक प्रतीक बन गया है और दिनो-रात के धरने का उसका मॉडल पूरे देश में अपनाया जा रहा है।

बग़ावत की चिंगारी सुलगा गया गुज़रा साल

इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक भी पूरा हो चुका है। इस पूरे दशक के दौरान लगातार जारी पूँजीवाद का विश्वव्यापी संकट दुनियाभर की मेहनतकश आवाम की ज़िन्दगी को तार-तार करता रहा। क्रान्तिकारी नेतृत्व की ग़ैरमौजूदगी या कमज़ोरी की वजह से दुनिया के तमाम देशों में इस संकट का लाभ धुर-दक्षिणपन्थी और फ़ासिस्ट ताक़तों ने उठाया।

Important

मेहनतकश साथियो! देश को आग और ख़ून के दलदल में धकेलने की फ़ासिस्ट साज़िश को नाकाम करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ो!

नरेन्द्र मोदी के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कहा गया था कि पिछली बार जो काम शुरू किये गये थे इस बार उन्‍हें पूरा किया जायेगा। पिछले छह महीने इस बात के गवाह हैं कि भाजपा और संघ परिवार ने इस एजेण्डा को आगे बढ़ाते हुए देश को तबाही की राह पर कितनी तेज़ रफ़्तार से बढ़ा दिया है।

देशी-विदेशी बड़ी पूँजी का बेरोकटोक राज! इसी संघी एजेण्डा को पूरा करने में जुटी मोदी सरकार!!

देश के आर्थिक हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जीडीपी की वृद्धि दर धीमी पड़ रही है, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट जारी है, खेती का संकट गम्भीर होता जा रहा है, संकट और घोटालों से वित्तीय संस्थाएँ चरमरा रही हैं, बेरोज़गारी विकराल रूप में आ चुकी है, देश की एक बड़ी आबादी खाने-पीने की बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रही है।

देश की अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर है! – मेहनतकश साथियो, सरकार और संघ परिवार के झूठों और झूठे मुद्दों से सावधान रहो!

किसी भ्रम में मत रहिए! नरेन्द्र मोदी अमेरिका जाकर ‘सब चंगा है’ का नारा लगा आये हैं, वित्त मंत्री कह रही हैं कि बैंकिंग प्रणाली को लेकर चिन्ता की कोई बात नहीं है, एक वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री कह रहा है कि सिनेमा हाउसफ़ुल जा रहे हैं इसका मतलब है कि कोई आर्थिक मन्दी नहीं है! मगर सच्चाई है कि बार-बार इनके झूठों की चादर फाड़कर बाहर निकल आ रही है।

सच को पहचानने और बोलने का विवेक और साहस बनाये रखिये क्योंकि हुक़्मरान हमें यक़ीन दिलाना चाहते हैं…

जिस देश में करोड़ों बच्चे रोज़ रात को भूखे या आधा पेट  खाकर सोते हैं, करोड़ों इन्सानों के सिर पर आज भी छत नहीं है, वहाँ हज़ारों करोड़ सिर्फ़ इन्हीं झूठों को सच में बदलने के लिए फूँके जा रहे हैं। पर इससे भी ख़तरनाक बात यह है कि समाज के अच्छे-ख़ासे तबके की चेतना इन भोंपुओं से दिनो-रात होने वाली झूठ की तेज़ाबी बारिश के असर से भ्रष्ट होती जा रही है जिसकी वजह से देश के फ़ासिस्ट शासक मनचाहे ढंग से साम्प्रदायिकता और अन्धराष्ट्रवाद की आँधी चला पा रहे हैं। भारत के मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा ‘मोदी-मोदी!’ और ‘जय श्रीराम!’ के उन्मादी शोर के नशे में डूबकर और अपनी गाड़ी के पीछे ‘एंग्री हनुमान’ का स्टिकर लगाकर देश को ख़ून के दलदल में डुबो देने की साज़िशों का जश्न मना रहा है।  

झूठी बातों से सच को हमेशा दबाया नहीं जा सकता! आतंक का राज क़ायम करके लोगों को उठ खड़े होने से रोका नहीं जा सकता

लाशों की ढेरियों, खून की नदियों, जेलों, क़त्लगाहों, आतंक और सन्नाटे से भरे साम्राज्य कभी भी टिकाऊ नहीं होते। झूठी बातों से सच को हमेशा दबाया नहीं जा सकता। आतंक का राज क़ायम करके लोगों को उठ खड़े होने से रोका नहीं जा सकता। और जब लोग उठ खड़े होते हैं, तो दुनिया के तमाम फ़ासिस्ट और तानाशाह मिट्टी में मिल जाते हैं। पर तानाशाह कभी इतिहास के सबक़ पर ध्यान नहीं देते। वे इतिहास को बदल देने के भ्रम में रहते हैं और इतिहास उनके लिए कचरे की पेटी तैयार करता रहता है।