भोपाल हत्याकाण्ड : कटघरे में है पूरी पूँजीवादी व्यवस्था
भोपाल की घटना बार-बार यह याद दिलाती है कि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बटोरने की अन्धी हवस में पागल पूँजीपतियों के लिए इंसान की जिन्दगी का कोई मोल नहीं होता। पूँजीवाद युद्ध के दिनों में हिरोशिमा और नागासाकी को जन्म देता है और शान्ति के दिनों में भोपाल जैसी त्रासदियों को। यह पर्यावरण को तबाह करके पूरी पृथ्वी को विनाश की ओर धकेल रहा है। इस नरभक्षी व्यवस्था का एक-एक दिन मनुष्यता पर भारी है। इसे जल्द से जल्द मिट्टी में मिलाकर ही धरती और इंसानियत को बचाया जा सकता है। और यह जिम्मेदारी इतिहास ने मजदूर वर्ग के कन्धों पर सौंपी है।