गोरखपुर में मज़दूरों पर गोलीबारी में कम से कम 20 मज़दूर घायल :: मालिकों और प्रशासन की मिली-भगत – पुलिस गुंडों को बचाने में लगी
दिल्ली में मई दिवस की रैली में भाग लेकर लौटे मज़दूरों पर बौखलाये मालिकों ने करवाया हमला
गोरखपुर (उ.प्र.) के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र की अंकुर उद्योग लि. नामक फैक्ट्री के मालिक द्वारा बुलाए गए गुण्डों ने आज (3 मई) सुबह मज़दूरों पर हमला किया। गुण्डों द्वारा की गई गोलीबारी से कम से कम 20 मज़दूर गम्भीर रूप से घायल हो गये हैं जिन्हें जिला अस्पताल में भरती कराया गया है।
यह हमला प्रशासन की पूरी मिली-भगत के साथ किया गया है। अंकुर उद्योग के मालिक ने सहजनवां क्षेत्र के कुख्यात हिस्ट्री शीटर प्रदीप सिंह और उसके गुंडों को भाड़े पर लेकर यह काम कराया है। मज़दूरों ने फैक्ट्री को घेर रखा है ताकि प्रदीप सिंह और उसके गुण्डे निकल कर भाग न सकें। पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंच गया है और फैक्ट्री गेट पर मौजूद है लेकिन उसने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने अब तक प्राथमिकी भी नहीं दर्ज की है। पुलिस की पूरी कोशिश है कि मज़दूरों को तितर-बितर करके गुंडों को वहां से निकाल दिया जाये। लेकिन मज़दूर वहां घेरा डाले हुए हैं।
अब तक 17 घायल मज़दूरों को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनके नाम हैं: 1. विनोद सिंह पुत्र श्री रामसरूप सिंह; 2. विरेन्द्र यादव पुत्र श्री मतिलाल यादव; 3. इन्द्रदेव पुत्र श्री बिलास दास; 4. अमित कुमार पुत्र श्री भूरे; 5. रमानन्द साहनी पुत्र श्री शीतला प्रसाद; 6. शैलेष कुमार पुत्र श्री रामाश्रय और 7. पप्पू जायसवाल, 8.रामजन्म भारत पुत्र श्री गुल्लू भारती, 9. विनय श्रीवास्तव पुत्र श्री तेज नारायण, 10. देवेंद्र यादव पुत्र श्री विजय नाथ, 11. विनोद दुबे पुत्र श्री केदारनाथ, 12. ध्रुव सिंह पुत्र श्री रामरूप सिंह, 13. श्रीनिवास चौहान पुत्र श्री बच्चा चौहान 14. संदीप मेहता पुत्र श्री बाबूलाल सिंह 15. राजेश गुप्ता पुत्र श्री लक्ष्मीकांत गुप्ता, 16. कृष्णकुमार पुत्र श्री रामकिशोर,17. शिवकुमार पुत्र श्री गिरजा राय, 18. देवेश सिंह पुत्र श्री भवानंद सिंह.
साफ तौर पर यह उद्योगपतियों की तरफ से एक सुनियोजित हमला है। कुछ दिन पहले से ही मीडिया में एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया गया था जिसमें कहा गया था कि अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत मज़दूरों को बाहर से आये ”माओवादियों” द्वारा भड़काया गया है। याद रहे कि दो साल पहले जब बरगदवा की 7 फैक्ट्रियों के मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर एक संगठित आन्दोलन शुरू किया था उस समय भी इस प्रकार की अफवाहें फैलाने की कोशिश की गई थी। गोरखपुर के भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ फैक्ट्री मालिकों का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। वे शुरू से ही मज़दूरों के आन्दोलन का विरोध करते हुए मज़दूर नेताओं को ”हिंसा भड़काने पर तुले माओवादी” कहते रहे हैं और पूरे मज़दूर आन्दोलन को यह कहकर बदनाम करते रहे हैं कि यह आन्दोलन ”चर्च के पैसे से चल रहा” है।
गोरखपुर का प्रशासन खुलेआम फैक्ट्री मालिकों का पक्ष ले रहा है। गोरखपुर के कमिश्नर ने 5 दिन पहले ही बयान दिया था कि ”मज़दूरों को भड़काने वाले बाहरी तत्वों को बख्शा नहीं जायेगा और पुलिस उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी।” यह बयान गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के फैक्ट्री मालिकों की एक बैठक के तत्काल बाद आया जिसमें मालिकों ने प्रशासन से ऐसा करने के लिए कहा था। यहां तक कि उन्होंने तीन प्रमुख मज़दूर कार्यकर्ताओं तपिश मेंडोला, प्रमोद कुमार और प्रशान्त को ”माओवादी” बताया था और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने को कहा था। इन तीन कार्यकर्ताओं को पहले भी 2009 में फर्जी मामला बनाकर गिरफ्तार किया गया था और उन्हें तभी छोड़ा गया था जब गोरखपुर के ज़िला मैजिस्ट्रेट के कार्यालय पर आयोजित एक जबरदस्त जनप्रतिरोध ने प्रशासन को 4 दिन के लिए लगभग पंगु बना दिया।
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर के उद्योगपति मज़दूर मांगपत्रक आन्दोलन के तहत दिल्ली में आयोजित मई दिवस की रैली में भाग लेने से मज़दूरों को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे इस्तेमाल कर रहे थे। झूठे मामलों में लगभग एक दर्जन मज़दूरों की गिरफ्तारी की गई थी और यहां तक कि वी एन डायर्स लिमिटेड नाम की एक फैक्ट्री में ताला बंदी कर दी गई थी। लेकिन मज़दूरों ने बड़ी संख्या में मई दिवस की रैली में भाग लेकर मालिकों को करारा जवाब दिया। गोरखपुर से लगभग 2000 मज़दूरों ने मज़दूर मांगपत्रक आन्दोलन के तहत मई दिवस की रैली में भाग लिया जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आये हज़ारों मज़दूरों ने भाग लिया था। इससे फैक्ट्री मालिकों और उनके राजनीतिक संरक्षक और भी बौखलाये हुए हैं और वे मज़दूरों को ”सबक़ सिखाने” की कोशिश कर रहे हैं।
मीडिया के हमारे कुछ शुभचिन्तकों ने हमें सचेत किया है कि गोरखपुर का ज़िला प्रशासन मज़दूर नेताओं और अगुवा मज़दूरों को हिंसा की इस घटना में फर्जी ढंग से फंसाने और उन पर गम्भीर आरोप लगाकर उन्हें परिदृश्य से हटा देने की योजना बना रहा है ताकि आन्दोलन को कुचला जा सके।
हम आप सबसे अपील करते हैं कि फैक्ट्री मालिक और उसके गुण्डों को गिरफ्तार करने के लिए राज्य और ज़िला प्रशासन पर दबाव डालें और मज़दूर नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाने से उन्हें रोकें। संबंधित अधिकारियों के फोन/फैक्स नंबरों और ईमेल आईडी की एक सूची नीचे दी गई है।
सत्यम
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन