लिब्रहान रिपोर्ट – जिसके तवे पर सबकी रोटी सिंक रही हैं
संघ परिवार द्वारा जुटायी गयी उन्मादी भीड़ और हिन्दू फ़ासिस्ट संगठनों के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं द्वारा 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराये जाने की जाँच के लिए गठित जस्टिस लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट 17 वर्ष बाद जिस तरह से पेश की गयी, उससे सभी पार्टियों के हित सध रहे हैं। एक ऐतिहासिक मस्जिद को गिराने और पूरे देश को विभाजन के बाद के सबसे भीषण दंगों की आग में धकेलने वाले संघ परिवार और उसके नेताओं के राजनीतिक करियर पर इस रिपोर्ट से कोई ऑंच नहीं आने वाली है। इस साज़िश में शामिल और इसे शह देने वाले कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिंह राव और पूजा के लिए मस्जिद का ताला खुलवाने से लेकर शिलान्यास करवाने तक कदम-कदम पर भाजपा का रास्ता आसान बनाने वाली कांग्रेस को भी इससे कोई नुकसान नहीं होने वाला। सच तो यह है कि कांग्रेस और भाजपा से लेकर मुलायम सिंह यादव तक सभी इससे अपने-अपने हित साधने में लगे हुए हैं।