कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (छठी किस्त)
भारतीय संविधान एक पूँजीवादी संविधान है जो व्यक्तिगत सम्पत्ति की वर्तमान व्यवस्था की इंच-इंच हिफाजत करने की कसमें खाता है, जमीन और पूँजी को उत्पादन और शोषण के साधन के रूप में स्वीकार करता है, शोषकों को शोषण की पूरी गारण्टी देता है और उनकी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है, लेकिन दूसरी ओर मेहनतकशों को काम करने के हक की, रोटी तक की गारण्टी नहीं देता। भारतीय पूँजीपति वर्ग के सिध्दान्तकारों ने पूँजीवादी शोषण को न्यायसंगत व स्वाभाविक ठहराने के लिए तथा भारतीय समाज की समूची सम्पदा पर पूँजीपति वर्ग का नियन्त्रण बनाये रखने के लिए दार्शनिक- राजनीतिक-विधिशास्त्रीय आधार के रूप में, पूँजीवादी राज और समाज की आचार-संहिता के रूप में इस संविधान की रचना की है। यह संविधान भारतीय पूँजीपति वर्ग की आर्थिक और राजनीतिक क्षमता की, उस समय की राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति की तथा साम्राज्यवाद के युग की स्पष्ट और मुखर अभिव्यक्ति है।