मारुति सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में सभा कर रहे कार्यकर्ताओं पर कंपनी के सिक्योरिटी गार्डों द्वारा हमले की कड़ी निन्दा
गुंडों और ग्रुप फोर के सिक्योरिटी गार्डों ने कार्यकर्ताओं के साथ कई जगह मारपीट की,पर्चे छीने, अपहरण करने की कोशिश
नई दिल्ली, 15 जून। मानेसर स्थित मारुति सुजुकी के कारखाने में जारी मज़दूर आन्दोलन के समर्थन में मजदूरों के बीच सभाएं कर रहे बिगुल मजदूर दस्ता के कार्यकर्ताओं पर कल शाम और आज सुबहगुड़गांव तथा मानेसर में कई स्थानों पर मारुति सुजुकी के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों और गुंडों ने हमला किया और मारपीट की।
घटना का ब्योरा देते हुए बिगुल मजदूर दस्ता के रूपेश कुमार ने बताया कि वे लोग मजदूर आन्दोलन के समर्थन में गुड़गांव तथा मानेसर में मजदूरों के बीच जगह-जगह सभाएं कर रहे हैं तथा पर्चे बांट रहे हैं। इसी क्रम में कल शाम करीब 7.30 बजे जब वे कार्यकर्ताओं की टोली के साथ मानेसर स्थित मारुति कारखाने के निकट अलियर गांव में मजदूरों की सभा कर रहे थे तो मोटरसाइकिलों और जीप में सवार होकर पहुंचे एक दर्जन से अधिक हथियारबन्द लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया। इनमें मारुति सुजुकी कंपनी की सिक्योरिटी का काम संभाल रहे ग्रुप फोर कंपनी के वर्दीधारी गार्ड भी शामिल थे। इन लोगों ने कार्यकर्ताओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट की तथा वहां उपस्थित करीब 250 मजदूरों को हथियार दिखाकर आतंकित करके भगा दिया। वे कह रहे थे कि यह मारुति का इलाका है और यहां किसी को भी मारुति के मैनेजमेंट के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
आज सुबह गुड़गांव स्थित मारुति के कारखाने के निकट मौलाहेड़ा गांव तथा सेक्टर 22 में भी मारुति सुजुकी के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डों ने कार्यकर्ताओं की टोली पर हमला किया। इस इलाके में बड़ी संख्या में मारुति के कर्मचारी रहते हैं। दो गाड़ियों में पहुंचे हथियारबन्द गार्डों ने 8-9 कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की और उनके पास मौजूद 2000 से अधिक पर्चे छीन लिये। वे दो कार्यकर्ताओं को जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जाने की भी कोशिश कर रहे थे लेकिन अन्य कार्यकर्ताओं तथा मजदूरों के प्रतिरोध करने पर उन्हें छोड़ दिया और हथियार लहराते हुए धमकियां देते हुए चले गए। इनमें से एक सिक्योरिटीगार्ड का नाम राजकुमार और फोन नंबर 9891982269 है।
बिगुल मज़दूर दस्ता, दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन तथा मारुति सुजुकी के मजदूर आंदोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा ने इस घटना की कठोर निंदा करते हुए कहा है कि हरियाणा सरकार की खुली शह पर सिक्योरिटी गार्ड की ड्रेस में मारुति के भाड़े के गुण्डे मज़दूरों का समर्थन करने वालों के साथ भी अब खुलेआम गुण्डागर्दी कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे गुड़गाँव में सरकार का नहीं मारुति का राज चल रहा है, पुलिस और प्रशासन का का काम मारुति के सिक्योरिटी गार्डों ने हथिया लिया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटिया हरकतें करके मारुति सुजुकी कम्पनी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रही है। अगर उसे लगता है कि डरा-धमकाकर वह मज़दूरों की आवाज़ बन्द करने में कामयाब हो जायेगी तो वह बहुत बड़ी गलतफहमी की शिकार है। कम्पनी की गुण्डागर्दी और आन्दोलन तोड़ने के घटिया हथकण्डों का सारे देश और दुनियाभर में भण्डाफोड़ किया जाएगा। हाल ही में गठित‘मारुति सुजुकी के मजदूर आंदोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा’ ने देशभर के नागरिक अधिकार कर्मियों, बुद्धिजीवियों, न्यायविदों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपनी न्यायसंगत मांगों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे मज़दूरों का साथ देने की अपील की है।
मोर्चा ने कहा है कि मैनेजमेंट मजदूरों को थकाकर, डरा-धमकाकर और घटिया चालों से उनका मनोबल तोड़कर आंदोलन को खत्म कराने की कोशिश कर रहा है। ठेका मजदूरों को लगातार अपना हिसाब लेकर चले जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। आंदोलन खत्म कराने के लिए मजदूरों के परिवारों तक पर दबाव डाला जा रहा है। इसीलिए वार्ताओं के नाटक को जानबूझकर लंबा खींचा जा रहा है जबकि मारुतिसुजकी किसी भी मांग पर समझौते के लिए तैयार नहीं हैं।
मोर्चा ने केंद्रीय यूनियनों की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा है कि कुछ यूनियनें शुरू से इस आंदोलन को हड़प लेने और नवगठित स्वतंत्र यूनियन को ‘‘अपनी’’ यूनियन बताने में लगी हुई हैं मगर सच्चाई यह है कि पिछले डेढ़ सप्ताह से जारी इस जुझारू संघर्ष के समर्थन में अखबारी बयानबाजी के अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं किया है।
गुड़गांव और उसके आसपास फैले विशाल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सैकड़ों कारखानों में कम से कम 20 लाख मजदूर काम करते हैं। अकेले आटोमोबाइल उद्योग की इकाइयों में करीब 10 लाख मज़दूरकाम करते हैं। अत्याधुनिक कारखानों में दुनिया भर की कंपनियों के लिए आटो पार्ट्स बनाने वाले इन मजदूरों की कार्यस्थितियां बहुत बुरी हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से भी अधिक ठेका मजदूर हैं जो 4000-5000रुपये महीने पर 10-10, 12-12 घंटे काम करते हैं। उनके काम की रफ्तार और काम बोझ बेहद अधिक होता है और लगातार सुपरवाइजरों तथा सिक्योरिटी वालों की गाली-गलौज और मारपीट तक सहनी पड़ती है। अधिकांश कारखानों में यूनियन नहीं है और जहां है भी वहां अगुआ मजदूरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करने और निकालने के हथकंडे जारी रहते हैं। स्थापित बड़ी यूनियनें जुबानी जमाखर्च से ज्यादा कुछ नहींकरतीं और बहुत से मामलों में तो मजदूरों के साथ दगाबाजी कर चुकी हैं। ऐसे में यूनियन बनाने के अधिकार का मसला पूरे गुड़गांव इलाके का एक आम और सर्वव्यापी मुद्दा है।
बिगुल मजदूर दस्ता की ओर से बांटे जा रहे पर्चे में कहा गया है कि गुड़गाँव ही नहीं, सारे देश के मज़दूरों से आज यूनियन बनाने का हक छीना जा रहा है ताकि मज़दूर अपने शोषण और लूट के ख़िलाफ एक होकर आवाज़ भी न उठा सकें। इसीलिए मारुति के मज़दूरों की लड़ाई हर मज़दूर के हक की लड़ाई है। अगर इस आन्दोलन को कुचल दिया गया तो गुड़गाँव की तमाम फैक्टरियों में मालिकान पहले से भी ज़्यादा हमलावर हो जायेंगे और मज़दूरों की आवाज़ को और भी बुरी तरह दबाया जायेगा। अगर मज़दूर इस लड़ाई में कामयाब होते हैं तो पूरे इलाके में यूनियन बनाने के संघर्ष को ताकत मिलेगी। पर्चे में अन्य मजदूरों और नागरिकों का आह्वान किया गया है कि मजदूरों की न्यायसंगत मांगें मनवाने के लिए वे भी सरकार पर दबाव बनाएं।
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन