मर्यादपुर में देहाती मज़दूर यूनियन एक बार फिर संघर्ष की तैयारी में
बिगुल संवाददाता
मर्यादपुर, मऊ। देहाती मजदूर यूनियन की अगुवाई में मर्यादपुर के जागरूक ग़रीब अपने बुनियादी अधिकारों से जुड़ी मांगों को लेकर एक बार फिर संघर्ष की तैयारी में जुट गये हैं। यूनियन की ओर से ग्राम सभा में जगह-जगह कैम्प लगाकर जन समस्याओं को मुद्दावार नोट किया जा रहा है और भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के विवरण एकत्रित किये जा रहे हैं।
यूनियन के कार्यकताओं ने बताया कि कई जगह ग्राम प्रधान और उसके लग्गुओं-भग्गुओं ने कैम्प लगाने में अड़चनें डालीं और यहाँ तक कि लोगों को कैम्प में आने से रोका। देहाती मजदूर यूनियन के बारे में तरह-तरह की झूठी बातों का प्रचार करके आम ग़रीबों- मज़दूरों में भ्रम फैलाने का काम भी सत्ता के टुकड़खोरों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन इस सबके बावजूद काफ़ी बड़ी संख्या में लोग कैम्प में आये और ग्राम पंचायत और अफ़सरशाही के ख़िलाफ़ खुल कर बोले।
मालूम हो कि करीब दो वर्ष पहले यूनियन के नेतृत्व में मऊ में इन माँगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया गया था। देहाती मजदूर यूनियन के नेतृत्व में उपजिलाधिकारी को सौंपे गये 16 सूत्री मांगपत्रक में निम्नलिखित मांगें शामिल थीं:
राशन कार्ड, मिट्टी के तेल एवं खाद्यान्नों के वितरण में धाँधली की जाँच कर पात्र व्यक्तियों को उचित राशन कार्ड व निर्धारित मात्र में अनाज और मिट्टी के तेल का वितरण सुनिश्चित कराया जाये, विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन व निर्बल आवास योजना की धाँधलियों की जाँच कर लोगों को योजना का लाभ दिलवाने के साथ ही इन तमाम धाँधालियों में लिप्त लेखपाल, सचिव को बर्खास्त किया जाये। इसके अलावा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए डीप बोर हैण्ड पम्प लगाये जाये, बन्द पड़े जच्चा- बच्चा केंद्र को चालू कराया जाये, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाये और सार्वजनिक उपयोग की भूमि को निजी कब्ज़े से आज़ाद कराया जाये। माँग-पत्रक में नाली-खड़ंजा-चकरोड की भू-अभिलेखों के अनुसार आम पैमाइश कराने की माँग भी शामिल थी जिससे ग्राम सभा में आये दिन होने वाले विवादों से छुटकारा मिल सके।
इस प्रदर्शन के बाद सरकारी अमले ने राशन वितरण आदि योजनाओं, बी.पी.एल. सूची और निर्बल आवास वितरण आदि योजनाओं में हुई धाँधली की जाँच का नाटक भी किया था। कुछ खराब हैंड पाइपों की मरम्मत हुई और कुछ डीप बोर पम्प खुदवाने का आश्वासन भी मिला। एक सड़क का निर्माण भी हुआ। लेकिन जैसे ही जनता का दबाव कमजोर पड़ता दिखा वैसे ही पंचायत से लेकर ब्लॉक और ऊपर के अधिकारी-कर्मचारी अपनी आदत से मजबूर होकर फिर से जनता की छाती पर मूँग दलने लगे हैं।
देहाती मजदूर यूनियन के संयोजक डॉ. दूधनाथ ने कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 साल पहले स्वीकार किया था कि तमाम सरकारी योजनाओं के एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे नीचे तक पहुँचता है, बीच के दलाल 85 पैसे खा जाते हैं। आज तो मुश्किल से 5 पैसा नीचे तक पहुँचता है और उसमें से ग़रीबों को महज़ जूठन ही मिलती है। उनका हिस्सा भी गाँव और ब्लॉक के स्तर की नेताशाही और बाबू-अफसर मिलकर खा जाते हैं।
गाँव के गरीबों से जुड़ी हुई इन मांगों को लेकर शीघ्र ही आन्दोलन छेड़ा जाएगा ताकि लोग अपने अधिकारों को लेकर सचेत हों और बहरा हो चुका प्रशासन हरकत में आये।
बिगुल, फरवरी 2009
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